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नाम क्या रखें, क्या नहीं? कई देशों में कुछ नामों पर पाबंदी, भारत में कितनी छूट?

मेरा विचार है कि अपने बच्चों के नाम ऐसे रखने चाहिए, जो सार्थक हों, प्रेरणादायक हों और लोकप्रिय हों। ऐसे नाम या उपनाम क्यों रखे जाएँ, जिनसे आपका मज़हब, आपकी जाति, आपकी नस्ल और आपकी हैसियत का विज्ञापन होने लगे? आपका नाम, नाम है या विज्ञापन? सामान्य नामों पर सरकारी प्रतिबंध उचित नहीं है लेकिन क्या हमारे नाम और उपनाम जाति-निरपेक्ष और मज़हब निरपेक्ष नहीं हो सकते? 
डॉ. वेद प्रताप वैदिक

किसी देश का कोई नागरिक अपना या अपने बच्चों का नाम क्या रखे, इस पर तरह-तरह की पाबंदियाँ कई देशों में हैं। सउदी अरब ने तो ऐसे 51 नामों की सूची जारी कर रखी है, जिन्हें उसका कोई नागरिक नहीं रख सकता। वह सुन्नी राष्ट्र है। इसीलिए कई शिया नामों पर वहाँ प्रतिबंध है। लातीनी अमेरिका के कुछ राष्ट्र ऐसे हैं, जिनमें आप अपनी बेटी का नाम मरियम (ईसा मसीह की माँ) तो रख सकते हैं लेकिन बेटे का नाम जिसस (मसीह) नहीं रख सकते। तुर्की में कुर्द लोग बग़ावती माने जाते हैं। उनके नाम के साथ आप आरमेनियाई प्रत्यय (इयान) आदि नहीं लगा सकते। इस्राइल में काफ़ी समय तक यह परंपरा चलती रही कि रुस और पूर्वी यूरोप से आनेवाले यहूदियों के नाम हिब्रू भाषा में रखे जाते थे।

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तुर्की में भी राष्ट्रवाद ने इतना ज़ोर मारा था कि अरबी, फारसी, फ्रांसीसी नामों की बजाय नागरिकों, मोहल्लों और बाज़ारों के नामों का तुर्कीकरण किया गया था। भारत के आज़ाद होने के बाद बहुत से शहरों, मोहल्लों, सड़कों, स्मारकों, बाग़ों और भवनों के अंग्रेज़ी नामों को हटाकर भारतीय नामों को रखा गया है। ईरान में जब से आयतुल्लाहों का राज हुआ है, ईरान के शाहों और बदशाहों के नामों को दरी के नीचे सरका दिया गया है। अल्जीरिया के मुसलिम शासकों से लड़नेवाली यहूदी योद्धा बेरबरा रानी का वहाँ अब कोई नाम भी नहीं लेता। चीन के शिनच्यांग (सिंक्यांग) प्रांत में उइगर मुसलमान रहते हैं। उन्हें भी कई इसलामी नाम नहीं रखने दिए जाते हैं। 

मध्य एशिया के ताजिकिस्तान में इसलामी या अरबी नामों पर प्रतिबंध है। जब तक वह सोवियत संघ का हिस्सा था, वहाँ के लोग अपने नाम रुसी शैली में रखते थे लेकिन ज्यों ही वह राष्ट्र स्वतंत्र हुआ, वहाँ इसलाम धर्म और अरबी संस्कृति ने ज़बर्दस्त आकर्षण पैदा किया लेकिन अब ताजिक सरकार ने ऐसे नाम रखने पर प्रतिबंध लगा दिया है और कहा कि आप ताजिक भाषा और संस्कृति के नाम क्यों नहीं रखते? आप अरबों की नकल क्यों करते हैं? वैसे, इंडोनेशिया के मुसलमान अपने नाम प्रायः संस्कृत भाषा में रखते हैं और अपने साहित्य और कला-कर्म में भारतीय नायकों का गुणानुवाद करते हैं लेकिन वे पक्के मुसलमान हैं।

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अब सवाल यही है कि हम भारतीयों के नाम कैसे रखे जाएँ? वैसे, भारत में भी अश्लील नाम रखने पर रोक ज़रूर है लेकिन नागरिकों को पूरी छूट है। वे अपना और अपने बच्चों का जैसा चाहें, वैसा नाम रखें। इस प्रक्रिया में न मज़हब, न जाति, न भाषा और न ही सामाजिक-आर्थिक हैसियत का कोई प्रतिबंध है लेकिन मेरा अपना विचार है कि अपने बच्चों के नाम ऐसे रखने चाहिए, जो सार्थक हों, प्रेरणादायक हों और लोकप्रिय हों। ऐसे नाम या उपनाम क्यों रखे जाएँ, जिनसे आपका मज़हब, आपकी जाति, आपकी नस्ल और आपकी हैसियत का विज्ञापन होने लगे? आपका नाम, नाम है या विज्ञापन? सामान्य नामों पर सरकारी प्रतिबंध उचित नहीं है लेकिन क्या हमारे नाम और उपनाम जाति-निरपेक्ष और मज़हब निरपेक्ष नहीं हो सकते? क्या वे स्वदेशी भाषाओं में नहीं रखे जा सकते?
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डॉ. वेद प्रताप वैदिक

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