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नया अध्यक्ष चुन पाएगी कांग्रेस कार्यसमिति या यूं ही अटका रहेगा मामला? 

‘नौ दिन चले अढ़ाई कोस’ की कहावत को पीछे छोड़ते हुए कांग्रेस ने एक नई कहावत गढ़ दी है- ‘सवा साल न चले एक क़दम भी।’ दरअसल, कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष पद के सवाल पर आज भी वहीं की वहीं खड़ी है जहां वो सवा साल पहले तब खड़ी थी जब राहुल गांधी ने कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में लोकसभा चुनाव में पार्टी की हार की ज़िम्मेदारी लेते हुए अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। 

सोमवार को फिर इस मसले पर कार्यसमिति की बैठक हो रही है। ऐसे में यह सवाल अहम हो जाता है कि क्या इस बैठक में होने वाले मंथन से कांग्रेस को नया अध्यक्ष मिलेगा? 

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दबाव में है कांग्रेस आलाकमान

कांग्रेस आलाकमान पर अब नया अध्यक्ष चुनने का दबाव बढ़ गया है। रविवार को कांग्रेस के ख़ेमों से ख़बर आई है कि पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कार्यसमिति की बैठक से पहले पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से साफ़ कह दिया है कि वो अब इस पद पर नहीं बने रहना चाहतीं। लिहाज़ा, पार्टी अपना नया अध्यक्ष चुने। 

ख़बर है कि सोनिया गांधी ने उन 23 नेताओं को बाक़ायदा चिट्ठी लिखकर यह बात कही है जिन्होंने हाल ही उन्हें चिट्ठी लिख कर पार्टी अध्यक्ष का चुनाव कराने की मांग की थी। इनमें पांच पूर्व मुख्यमंत्रियों समेत पार्टी के कई वरिष्ठ नेता शामिल हैं। इस चिट्ठी ने कांग्रेस में अध्यक्ष पद को लेकर अंदर ही अंदर चल रहे तूफ़ान को सामने ला दिया है। 

दरअसल, अतंरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी का कार्यकाल 10 अगस्त को ख़त्म हो गया है। पिछले साल इसी दिन उन्हें एक साल के लिए अंतरिम अध्यक्ष चुना गया था। तब कहा गया था कि कांग्रेस जल्द ही नया अध्यक्ष चुनने की प्रक्रिया शुरू करेगी। लेकिन साल भर में कांग्रेस ने ऐसी कोई प्रक्रिया शुरू ही नहीं की। 

साल पूरा होते-होते कांग्रेस आलाकमान पर नए अध्यक्ष का चुनाव कराने का दबाव काफ़ी बढ़ गया। कई वरिष्ठ नेताओं ने सोनिया गांधी से साफ़-साफ़ कहा कि या तो वो राहुल गांधी को दोबारा अध्यक्ष पद संभालने के लिए राज़ी करें या फिर किसी और को पूर्णकालिक अध्यक्ष बनाने की प्रक्रिया शुरू कराएं। 

सोमवार को हो रही कार्यसमिति की बैठक अगस्त के पहले हफ्ते में ही होनी थी लेकिन पार्टी में जारी अंदरूनी उठापठक की वजह से यह टल गई थी।

आज होने वाली कार्यसमिति की बैठक को लेकर वही सवाल सामने है कि कांग्रेस का अगला अध्यक्ष कौन हो? पार्टी का एक बड़ा धड़ा चाहता है कि राहुल गांधी अपना इस्तीफ़ा वापस लेकर फिर से पार्टी की कमान संभालें। अगर राहुल यह ज़िम्मेदारी नहीं संभालना चाहते हैं तो फिर अध्यक्ष पद के लिए और कार्यसमिति के लिए चुनाव कराए जाएं। 

पार्टी हलकों से ख़बरें आ रही हैं कि सौ से ज़्यादा नेताओं ने इस बाबत सोनिया गांधी को चिट्ठी लिख कर मांग की है। यह दावा हाल ही में कांग्रेस से निकाले गए पूर्व पार्टी प्रवक्ता संजय झा ने किया था। हालांकि उनके इस दावे को पार्टी के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने नकार दिया था।

अब ख़बर आ रही है कि पार्टी के 300 नेताओं ने सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखकर नए अध्यक्ष का चुनाव कराने की मांग की है। हालांकि कांग्रेस आलाकमान ऐसी किसी चिट्ठी से इनकार कर रहा है। लेकिन इन ख़बरों से यह बात साफ़ हो गई है कि कांग्रेस में सबकुछ ठीक-ठाक नहीं है। 

दो गुटों में बंटी पार्टी

अध्यक्ष पद को लेकर पार्टी साफ़ तौर पर दो गुटों में बंटी नज़र आ रही है। एक धड़ा हर हालत में राहुल गांधी को ही फिर से अध्यक्ष बनाने की वकालत कर रहा है। वहीं, वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि राहुल ने अपने इस्तीफ़े की ज़िद पर अड़े रहकर साफ़ कर दिया है कि वो अब नहीं लौटेंगे तो फिर पार्टी को आगे बढ़ जाना चाहिए। इस मुद्दे पर देखिए, वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार का वीडियो-    

राहुल के ख़िलाफ़ साज़िश!

महाराष्ट्र के कांग्रेस नेता संजय निरुपम खुलेआम आरोप लगा चुके हैं कि कुछ वरिष्ठ नेता राहुल के ख़िलाफ़ साज़िश कर रहे हैं। हालांकि उन्होंने किसी का नाम नहीं लिया लेकिन उनका कहना है कि कई वरिष्ठ नेता राहुल गांधी को दोबारा अध्यक्ष बनाए जाने के रास्ते में रोड़ा अटका रहे हैं। सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखने और इस तरह की ख़बरें मीडिया में लीक कराने के पीछे इन्हीं वरिष्ठ नेताओं का हाथ माना जा रहा है। 

वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि राहुल गांधी ने अपनी मर्ज़ी से अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा दिया था। उन्हें मनाने की हर संभव कोशिश की गई लेकिन वो टस से मस नहीं हुए। ऐसे में उनके ख़िलाफ़ किसी तरह की साज़िश का सवाल ही नहीं उठता।

परिवार से बाहर का हो अध्यक्ष 

सूत्रों की मानें तो राहुल गांधी आज भी अपनी इस ज़िद पर अड़े हुए हैं कि कांग्रेस का अगला अध्यक्ष उनके परिवार से बाहर का ही हो। हाल ही में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने भी राहुल गांधी की इस बात से सहमति जताते हुए साफ़ कहा है कि पार्टी को उनके परिवार के बाहर के किसी व्यक्ति को ही पार्टी का अगला अध्यक्ष चुनना चाहिए। 

प्रियंका ने हाल ही में एक पत्रिका को दिए इंटरव्यू में यह बात कही है। कार्यसमिति की बैठक से पहले प्रियंका ने दो टूक यह बात कहकर एक तरह से पार्टी आलाकमान की ही मुश्किलें बढ़ाई हैं। अब सोनिया गांधी ने अंतरिम अध्यक्ष पद छोड़ने की इच्छा ज़ाहिर करके पार्टी नेताओं की मुश्किलों में और इज़ाफ़ा कर दिया है।  

अध्यक्ष बनने से इनकार 

कांग्रेस अभी तक इस उम्मीद में बैठी थी कि किसी तरह राहुल को ही दोबारा अध्यक्ष पद संभालने के लिए राज़ी कर लिया जाएगा। अगर राहुल नहीं माने तो बतौर अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी का ही कार्यकाल एक साल और बढ़ा दिया जाएगा। अगर राहुल मान गए तो ठीक वर्ना प्रियंका गांधी वाड्रा को यह ज़िम्मेदारी संभालने के लिए राज़ी किया जाएगा। इन तीनों के इनकार ने तमाम उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। 

अब कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के सामने नया अध्यक्ष चुनने की पहाड़ जैसी चुनौती खड़ी हो गई है। पार्टी में अब हालात ऐसे हो गए हैं कि इस मसले को सुलझाना ही पड़ेगा। इसे और आगे टाला नहीं जा सकता। इसलिए कार्यसमिति की बैठक की अहमियत काफ़ी बढ़ गई है।

कार्यकारी अध्यक्ष बनाएगी कांग्रेस?

कार्यसमिति की बैठक से पहले कोई भी नेता दावे के साथ यह बताने की स्थिति में नहीं है कि इसमें क्या फ़ैसला होगा। लेकिन एक बात साफ़ है कि बैठक में किसी नए अध्यक्ष पर फ़ैसला होना मुश्किल है। अंदाज़ा लगाया जा रहा है कि कार्यसमिति एक बार फिर एक सुर में राहुल गांधी से अध्यक्ष पद संभालने की गुज़ारिश करेगी। इसके लिए कोई समय सीमा तय की जाएगी। इस बीच,  सोनिया गांधी से अंतरिम अध्यक्ष पद पर बने रहने की अपील की जाएगी। अगर सोनिया इसके लिए राज़ी नहीं होती हैं तो उनकी मदद के लिए एक या दो कार्यकारी अध्यक्ष बनाए जा सकते हैं। नए अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया शुरू करने के लिए भी समय सीमा तय की जा सकती है।

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इनमें से कोई भी व्यवस्था अस्थाई ही होगी। वक़्त का तकाज़ा यह है कि पार्टी अध्यक्ष पद के स्थाई समाधान की दिशा में क़दम बढ़ाए। पार्टी में ज़्यादातर नेताओं का यही मानना है। दबी ज़ुबान में उठने वाली ये मांग किसी भी समय ज़ोर पकड़कर पार्टी आलाकमान के लिए बड़ी मुसीबत खड़ी कर सकती है। 

इस बात का अहसास तमाम बड़े नेताओं को भी है। लिहाज़ा कोशिश की जा रही है कि कार्यसमिति की बैठक में जो भी मंथन हो उससे पार्टी को आगे ले जाने का रास्ता निकले। इसलिए, उम्मीद की जा रही है बैठक से भले ही नए अध्यक्ष का नाम सामने न आए लेकिन इस दिशा में पार्टी पहला क़दम ज़रूर बढ़ा सकती है।

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यूसुफ़ अंसारी

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