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50 साल तक विपक्ष में बैठना है तो संगठन के चुनाव न कराए कांग्रेस: आज़ाद

कांग्रेस के 23 वरिष्ठ नेताओं द्वारा पार्टी आलाकमान को लिखा पत्र लीक हो जाने के बाद चल रहा बवाल सीनियर नेता ग़ुलाम नबी आज़ाद के ताज़ा बयानों के बाद और बढ़ सकता है। इंदिरा से लेकर राजीव गांधी और नरसिम्हा राव के साथ काम कर चुके आज़ाद ने न्यूज़ एजेंसी एएनआई को दिए एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में बेलाग होकर कई बातें कही हैं। 

आज़ाद की कही ये बातें कांग्रेस आलाकमान का सिरदर्द बढ़ा सकती हैं क्योंकि आज़ाद बहुत पुराने नेता हैं और उनकी छवि बेहद गंभीर और कांग्रेस के वफादार नेता की रही है। 

आज़ाद ने न्यूज़ एजेंसी एएनआई से कहा कि पत्र लिखने के पीछे मंशा कांग्रेस को मजबूत और सक्रिय करने की थी। पार्टी में संगठन के आंतरिक चुनाव कराने की जोरदार हिमायत करते हुए आज़ाद ने कहा कि जिन लोगों को कुछ नहीं मालूम है, जिन्हें अपॉइंटमेट वाला कार्ड मिल गया है, वे चुनाव कराने का विरोध करते हैं। 

आज़ाद ने कहा, ‘हमने मांग की है कि कांग्रेस के प्रदेश, जिला, ब्लॉक अध्यक्ष का चुनाव होना चाहिए। साथ ही कांग्रेस वर्किंग कमेटी का भी चुनाव किया जाना चाहिए।’

राज्यसभा में विपक्ष के नेता आज़ाद ने एएनआई से कहा कि कांग्रेस कमेटियों के चुनाव से पार्टी मजबूत होगी क्योंकि अभी तक यही होता है कि जो दिल्ली आता-जाता है उसे सिफ़ारिश पर अध्यक्ष बना दिया जाता है। उन्होंने कहा कि अभी जो अध्यक्ष बनता है, ऐसे लोगों के साथ कभी-कभी एक  फ़ीसदी लोग भी नहीं होते हैं। 

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कई राज्यों में प्रभारी रहते हुए कांग्रेस को जीत दिला चुके आज़ाद ने कहा, ‘23 साल से पार्टी में चुनाव नहीं हुए हैं। सत्ताधारी पार्टी बहुत मजबूत है। अगर मेरी पार्टी को 50 साल विपक्ष में बैठना है तो फिर चुनाव की कोई ज़रूरत नहीं है। मुझे अब कुछ नहीं बनना है। मैं 15 दफ़ा महासचिव रहने के साथ ही 5 प्रधानमंत्रियों के साथ काम कर चुका हूं।’ 

संगठन में चुनाव का पुरजोर समर्थन करते हुए आज़ाद ने एएनआई से कहा, ‘इसका फ़ायदा कांग्रेस को ही होगा। जिन लोगों को प्रधानमंत्री, पार्टी अध्यक्ष बनना है, उन्हें ही इसका फ़ायदा मिलेगा। मैं 5-7 साल और एक्टिव राजनीति में रहूंगा। मुझे पार्टी अध्यक्ष या प्रधानमंत्री नहीं बनना है।’ 

उन्होंने बिना नाम लिए कांग्रेस के कुछ राज्य प्रभारियों की ओर निशाना साधते हुए कहा कि वे एक राज्य बताएं कि जहां उन्होंने पार्टी को जीत दिलाई हो। 

छुटभईयों की बातें न सुने आलाकमान

जम्मू-कश्मीर से आने वाले आज़ाद ने कहा, ‘कुछ लोग दिल्ली में बैठकर पार्टी के जनाधार की बात कर रहे हैं। सोनिया गांधी तब रहेंगी, जब पार्टी अध्यक्ष रहेंगी। राहुल गांधी अगर प्रधानमंत्री बनना चाहेंगे तो जब पार्टी मजबूत होगी तभी बन सकते हैं। जो लोग चुनाव कभी नहीं चाहेंगे, वे कभी प्रधानमंत्री नहीं बनेंगे। उनको अगर प्रधानमंत्री बनना है तो हमारी बातें सुननी होंगी, इन छुटभईयों की बातें नहीं।’

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राज्यसभा के सांसद आज़ाद ने कहा कि जो सच्चा कांग्रेस मैन होगा, वो पार्टी में संगठन के चुनाव का समर्थन करेगा। पत्र लीक होने के सवाल पर उन्होंने एएनआई से कहा कि कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक के दौरान उसकी रनिंग कमेंट्री लीक हो गई, उसका क्या होगा। आज़ाद ने कहा कि उनका गांधी परिवार से पारिवारिक जुड़ाव है और सवाल उठाते हुए पूछा कि क्या आज चापलूसी करने वाला ज़्यादा वफ़ादार हो गए हैं?

कलह थमेगी या नहीं 

कांग्रेस के 23 वरिष्ठ नेताओं द्वारा पार्टी आलाकमान को पत्र लिखने के बाद जो सियासी तूफान पार्टी के अंदर खड़ा हुआ है, वह अभी थमता नहीं दिखता। पत्र लिखने वालों में गु़ुलाम नबी आज़ाद, कपिल सिब्बल, शशि थरूर और आनंद शर्मा के अलावा उत्तर प्रदेश से आने वाले जितिन प्रसाद के भी हस्ताक्षर हैं। 

लेकिन अब इसे लेकर जितिन प्रसाद का उत्तर प्रदेश में अपने ही जिले में विरोध शुरू हो गया है और पार्टी कार्यकर्ताओं ने उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई करने की मांग की है। इससे कांग्रेस का घमासान सड़कों पर आ गया है। लेकिन कपिल सिब्बल जितिन प्रसाद के समर्थन में उतर आए हैं। 

पत्र लीक होने और आज़ाद के इस इंटरव्यू के बाद कांग्रेस आलाकमान पर स्थायी अध्यक्ष चुनने, संगठन के जल्द से जल्द चुनाव कराने का दबाव बढ़ गया है। लेकिन उससे बड़ा सिरदर्द यह है कि 23 नेताओं के ख़िलाफ़ जो विरोध के स्वर पार्टी के अंदर उठ रहे हैं, उन्हें पार्टी कैसे शांत करेगी। 

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क़मर वहीद नक़वी

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