पंजाब के विधानसभा चुनाव में फ़िल्म अभिनेता सोनू सूद की बहन भी उतरने जा रही हैं। लेकिन चर्चा इस बात की है कि वे किस राजनीतिक दल के टिकट पर चुनाव लड़ेंगी। कोरोना काल में ग़रीबों के मसीहा और मददगार जैसी छवि बनाने वाले सोनू सूद जैसे लोकप्रिय अभिनेता का साथ लेने की कोशिश कांग्रेस की भी है और आम आदमी पार्टी की भी।
आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार सोनू सूद को ब्रांड एम्बेसेडर बना चुकी है। जबकि इस तरह की ख़बरें हैं कि सूद ने कुछ दिन पहले ही मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी से भी मुलाक़ात की है। ऐसे में उनका साथ किसे मिलेगा, इसे लेकर जोरदार चर्चाएं हैं।
ब्रांड एम्बेसेडर बनाए जाने के कुछ दिन बाद ही आयकर विभाग ने सोनू सूद के मुंबई व लखनऊ स्थित घरों व उनकी कंपनी के कार्यालयों का 'सर्वे' किया था।
पंजाब के राजनीतिक जानकारों के मुताबिक़, सोनू सूद जब अपनी बहन के चुनाव प्रचार में आएंगे तो इसका अच्छा-खासा असर होगा। ज़रूरतमंदों की मदद करने के कारण सोनू सूद सोशल मीडिया पर खासे लोकप्रिय हैं और देश में उनके समर्थकों की एक बड़ी तादाद है।
हालांकि कहा जा रहा है कि इस बात की ज़्यादा संभावना है कि सोनू सूद की बहन कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ सकती हैं। मोगा शहरी सीट इस समय कांग्रेस के ही पास है।
बीते एक साल से अपने घर के झगड़ों से परेशान पंजाब कांग्रेस को निश्चित रूप से सोनू सूद जैसे लोकप्रिय चेहरे का सहारा चाहिए। हालांकि पंजाब सरकार ने बीते दिनों एडवोकेट जनरल ए. पी. एस देओल से इस्तीफ़ा ले लिया है और यह कहा जा रहा है कि नवजोत सिंह सिद्धू अब चन्नी सरकार के लिए मुश्किल खड़ी नहीं करेंगे। लेकिन यह नहीं कहा जा सकता कि सिद्धू फिर किस दिन चन्नी को कठघरे में खड़ा कर दें।
देखना होगा कि मालविका सूद सच्चर किस राजनीतिक दल का हाथ पकड़ती हैं। लेकिन जिस भी दल से वे चुनाव लड़ेंगी, उसे निश्चित रूप से सोनू सूद की लोकप्रियता का फ़ायदा मिलेगा।
आम आदमी पार्टी आगे!
फरवरी-मार्च में होने वाले पंजाब के विधानसभा चुनाव से पहले ABP-C Voter का सर्वे आया है। सर्वे आम आदमी पार्टी के सबसे बड़े दल के रूप में उभरने की बात कहता है।
सर्वे कहता है कि 117 सीटों वाली पंजाब की विधानसभा में आम आदमी पार्टी को 47-53, कांग्रेस को 42-50 और शिरोमणि अकाली दल को 16-24 सीटें मिल सकती हैं। बीजेपी और अन्य को 1-1 सीट मिलने की बात कही गई है। पंजाब में सरकार बनाने के लिए ज़रूरी विधायकों का आंकड़ा 59 है। ऐसे में सर्वे के मुताबिक़, किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलने जा रहा है इसलिए सरकार बनाने के लिए पंजाब में जोरदार घमासान चल रहा है।
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