इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने अपने ताजा बयान में कहा है कि कोविड के दूसरे दौर में अब तक 244 डॉक्टरों की जान चली गयी है। इसमें सर्वाधिक 78 डाॅक्टर बिहार के हैं।
उत्तर प्रदेश में गंगा किनारे बसने वाले शहरों में बीते दिनों कई शव बहते हुए मिले। उन्नाव से लेकर ग़ाज़ीपुर और चंदौली से वाराणसी और भदोही सहित कई जगहों पर दर्जनों शव गंगा में मिले।
श्मसान घाटों और क़ब्रिस्तानों पर अंत्येष्टि के लिए लगी लंबी लाइनों, गंगा में लगातार दिख रही लाशों और कोरोना से होने वाली मौतों के सरकारी आँकड़ों के बीच बड़ी खाई को देख कर यह अंदेशा होना स्वाभाविक है कि क्या सरकारें जितनी मौतें बता रही हैं, उससे ज़्यादा मौते हो रही हैं?
एक रिपोर्ट में कहा गया है कि यूपी में 27 ज़िलों में 1140 किलोमीटर गंगा किनारे 2 हज़ार से ज़्यादा शव मिले हैं। ये शव गंगा किनारे कहीं पानी में तैरते मिले तो कहीं रेतों में दफनाए हुए।
क्या उत्तर प्रदेश और बिहार में सरकारी मशीनरी कुंभकर्णी नींद सो चुकी है क्योंकि इन दोनों राज्यों में नदियों से लगातार शव मिल रहे हैं और ऐसा क्यों हो रहा है, अफ़सर इसका सही जवाब नहीं दे पा रहे हैं।
सोमवार को बिहार के बक्सर में गंगा में 45 से ज़्यादा शव मिलने की ख़बर और इसके विजुअल्स से विचलित हुए लोगों को उत्तर प्रदेश में भी ऐसा ही कुछ देखने को मिला है।
बिहार के बक्सर ज़िला स्थित चौसा कस्बे में उस समय सनसनी फैल गई जब देखते ही देखते उसके महादेवा घाट पर लाशों का अंबार लग गया। सुबह-सुबह कम से कम 40-45 लाशें गंगा नदी में बहती हुई महादेवा घाट पर लग गईं।
सरकार के तमाम दावों और उपायों के उलट कोरोना संक्रमण बढ़ने की रफ़्तार में कमी नहीं आई है। एक दिन में नए कोरोना मामलों की संख्या शनिवार की सुबह चार लाख के पार हो गई। यह अब तक का रिकार्ड है।
पत्रकार रोहित सरदाना की मृत्यु हर्ट अटैक से हो गई, वे पिछले 10 दिनों से कोरोना से जूझ रहे थे। 'ईटीवी' से पत्रकारिता की शुरुआत करने वाले रोहित 'ज़ी न्यूज़' में लंबे समय तक काम करने के बाद फ़िलहाल 'आजतक' में एंकर थे।
केंद्र और राज्य सरकारें भले ही यह दावा करें कि कोरोना संकट नियंत्रण में है, यदि इसके संक्रमण और उसकी रफ़्तार पर ध्यान दिया जाए तो कोरोना महामारी बेकाबू हो चुकी है। इससे संक्रमित होने वालों और इससे मरने वालों की संख्या रोज बढ़ती जा रही है।
सारे देश में कोरोना से मौत पर कोहराम मचा हुआ है। महामारी काबू में नहीं आ रही है। लोग कीड़े- मकोड़ों की तरह मर रहे हैं। अस्पतालों में बिस्तर नहीं मिल रहे और श्मशानों में चिताएँ उपलब्ध नही हैं। मौतों के असली आँकड़े छिपाए जा रहे हैं।
भारत में रहने वालों के लिए यह ख़बर नई नहीं है। श्मशानों में जलती चिताओं और दाहकर्म के लिए प्रतीक्षा की कतारों को देख कर कोरोना से मरने वालों के सरकारी आँकड़ों पर संदेह होना स्वाभाविक है।
सोमवार की सुबह इसके पिछले 24 घंटों में कोरोना से मरने वालों की तादाद तीन हज़ार से अधिक हो गई, जो अब तक का रिकॉर्ड है। इसके साथ ही कोरोना से इस दौरान संक्रमित होने वालों की संख्या भी 3.62 लाख हो गई, वह भी अब तक की सबसे बड़ी संख्या है।