ग़रीब हो या अमीर, जब जनता 20 लाख करोड़ रुपये के सुहाने पैकेज वाले झुनझुने की झंकार सुनने को बेताब हो तब तीन दिनों से राहत कम और भाषण ज़्यादा बरस रहा है।
क्या आत्महत्या बढ़ने का कारण लॉकडाउन है। क्या पति-पत्नी के झगड़े का कारण घर में बंद रहना है। इंग्लैंड के मनोचिकित्सक डा. अशोक जैनर की राय देखिए शैलेश की रिपोर्ट में।
लाखों की संख्या में जो मज़दूर इस समय गर्मी की चिलचिलाती धूप में भूख-प्यास झेलते हुए अपने घरों को लौटने के लिए हज़ारों किलोमीटर पैदल चल रहे हैं उन्हें शायद बहुत पहले ही आभास हो गया था कि देश को ही आत्म-निर्भर होने के लिए कह दिया जाएगा।
भारतीय रेलवे ने सभी ट्रेनों को 30 जून तक के लिए रद्द कर दिया है। रेलवे ने कहा है कि जिन लोगों ने टिकट बुक किया था, उन्हें पूरा पैसा रिफ़ंड कर दिया जाएगा।
डॉ. वेद प्रताप वैदिक कहते हैं कि मुझे दर्जनों नेताओं ने फ़ोन किए, उनमें भाजपाई भी शामिल हैं कि प्रधानमंत्री का भाषण इतना उबाऊ और अप्रासंगिक था कि 20-25 मिनट बाद उन्होंने उसे बंद करके अपना भोजन करना ज़्यादा ठीक समझा।
मध्य प्रदेश में प्रवासी मज़दूरों को ले जा रहे ट्रक में बड़ा हादसा हो गया। एक बस की टक्कर से कम से कम 8 मज़दूर मारे गए और 50 से ज़्यादा को हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया।
लंबे संघर्षों के बाद आख़िरकार कामगारों के 8 घंटा काम के जिस अधिकार को 'अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन’ (आईएलओ) ने 1919 में मान्यता दी थी, ठीक एक सदी बाद क्या इस तरह अपनी आँखों के सामने उन्हें 'उड़नछू' हो जाते वह देखता रहेगा?
कल मोदीजी ने देश को बीस लाख करोड़ का पैकेज दिया । आज निर्मला जी ने उसका भाष्य किया पर लोगों को अचरज हुआ कि इसमें सड़कों पर लाखों की संख्या में पैदल घर लौटते मज़दूरों के लिये एक शब्द तक नहीं था । मोदी सरकार की इस अनीति पर सवाल कर रहे हैं शीतल पी सिंह
20 लाख करोड़ के पैकेज का शेयर बाज़ार पर क्या असर होगा? निवेशकों को क्या करना चाहिए? जानिए जाने माने मार्केट एक्सपर्ट और अल्टामाउंट कैपिटल के हेड ऑफ़ इक्विटी प्रकाश दीवान से।