8 फ़रवरी को होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनावों के लिए मुसलिम वोटर कैसे बदल सकते हैं चुनावी नतीजे? अरविंद केजरीवाल अकेले ही कमान संभाले हुए हैं और बीजेपी की पूरी फौज।
दिल्ली जीतने के लिए ‘आप’, बीजेपी और कांग्रेस ने पूरी ताक़त झोंक दी है। लेकिन मुख्य मुक़ाबला ‘आप’ और बीजेपी के बीच माना जा रहा है और कांग्रेस के लिए यह वजूद की लड़ाई है।
दिल्ली में बीजेपी का चेहरा बनने के लिए पार्टी नेताओं के बीच लड़ाई चल रही है। ऐसे में केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी के एक बयान के बाद यह लड़ाई और तेज होने का डर है।
जीवन के लिए कुदरत की दो नियामतें सबसे ज़्यादा ज़रूरी हैं- हवा और पानी। अगर हम कुदरत के साथ खिलवाड़ करते हुए उन्हें ज़हरीला बना दें तो फिर इसका मतलब यह है कि हम जीना ही नहीं चाहते।
महाराष्ट्र और हरियाणा के नतीजों के बाद बीजेपी इतनी हिम्मत नहीं जुटा पाई कि वह झारखंड के साथ दिल्ली में भी चुनाव करा ले। दिल्ली में उसे अब राम मंदिर पर कोर्ट के फ़ैसले से ही उम्मीद है।
अगर सिर्फ़ वीआईपी से लूटपाट करने वाला ही पकड़ा जाएगा तो ऐसी घटनाओं का शिकार आम आदमी ज़रूर सवाल उठाएगा कि आख़िर उनके साथ हुई लूटपाट के अपराधी खुले क्यों घूम रहे हैं।
गंभीर भी कहने लगे हैं कि अगर दिल्ली में बीजेपी जीत जाए तो वह मुख्यमंत्री बनने के लिए तैयार हैं और दिल्ली का मुख्यमंत्री बनना उनके लिए एक सपने के मुकम्मल होने जैसा होगा।
एनआरसी को लेकर मनोज तिवारी पर टिप्पणी करने के बाद केजरीवाल घिर गए हैं और उन्होंने संजय सिंह को दिल्ली का प्रभारी बना दिया है लेकिन क्या यह दाँव काम करेगा?
जिस दिन आप दिल्ली की सात लोकसभा सीटों पर बुरी तरह हारी थी, शायद उसी दिन केजरीवाल ने फ़ैसला कर लिया था कि अब सरकारी ख़ज़ाने का मुँह मुफ़्त सुविधाओं के लिए खोल देंगे।