भारत एक बार फिर चीन के विस्तारवादी इरादों का सामना कर रहा है। दोनों देशों के बीच सीमा पर ज़बर्दस्त तनाव के हालात बने हुए हैं। 1962 के लिये नेहरू ज़िम्मेदार तो 20 सैनिकों की मौत की ज़िम्मेदारी क्या नरेंद्र मोदी की नहीं है?
मध्य प्रदेश के फरहेदा गाँव का 21 साल का वीर सपूत गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ हुई भारतीय सैनिकों की मुठभेड़ में शहीद हो गया। आठ महीने पहले इस जवान की शादी हुई थी।
चीन ने लद्दाख में गलवान घाटी पर अवैध क़ब्ज़ा कर लिया है और उसकी सेना ने भारतीय सेना के एक कर्नल और 20 जवानों को मार दिया है। क्या यह साम्राज्यवादी नीतियों के कारण नहीं है?
16 बिहार रेजिमेंट के कमांडिंग अफसर संतोष डेढ़ साल से लद्दाख में सेवारत थे। पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में सोमवार रात को चीनी और भारतीय सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प में भारतीय सेना के कुल 20 सैनिक शहीद हो गए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत-चीन सीमा विवाद पर लगातार खामोश हैं। वे साठ किलोमीटर भूमि पर कब्ज़ा कर लिए जाने के बाद भी चुप रहे और अब बीस सैनिकों के शहीद होने पर उन्होंने चुप्पी तो तोड़ी मगर ख़ूनी झड़प पर कुछ नहीं बोले। उनकी चुप्पी से संदेह और अविश्वास का वातावरण बन रहा है। वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की रिपोर्ट
प्रधानमंत्री मोदी ने आख़िरकार लद्दाख में चीनी सेना की घुसपैठ और गलवान घाटी में भारतीय और चीनी सेना के बीच हिंसक झड़प पर चुप्पी तोड़ी। उन्होंने आज कहा कि भारतीय सैनिकों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा।
लद्दाख में चीनी सेना की घुसपैठ और गलवान घाटी में भारतीय और चीनी सेना के बीच हिंसक झड़प में 20 जवानों के शहीद होने के मामले में प्रधानमंत्री मोदी ने शुक्रवार को सर्वदलीय बैठक बुलाई है।