चीन को पूर्वी लद्दाख के सीमांत भारतीय इलाक़े से पीछे जाने के लिये मजबूर करने के इरादे से सैन्य विकल्प के इस्तेमाल की सम्भावनाओं को लेकर भारत के प्रधान सेनापति जनरल बिपिन रावत के बयान का सामरिक हलकों में गहन विश्लेषण शुरू हो गया है।
चीन और भारत सीमा पर तैनात रह चुके कर्नल सुमित सेन (रिटायर्ड ) बता रहे हैं कि लद्दाख़ में चीन के इरादे क्या हैं। क्या वो स्थायी रूप से क़ब्ज़ा के लिए पैंगोंग इलाक़े में आया है।
लद्दाख में बीजेपी के पूर्व प्रमुख और जम्मू-कश्मीर सरकार में मंत्री रह चुके शेरिंग दोर्जे का साफ़ मानना है कि चीन सीना न केवल भारतीय ज़मीन पर काबिज है, वह नहीं लौटने वाली है।
गुरुवार को दोनों देशों के विदेश मंत्रालयों के डब्ल्यूएमसीसी की चौथे दौर की बातचीत में चीन अपने सैनिकों को पाँच मई से पहले की यथास्थिति बहाल करने पर सहमति देगा, इसकी उम्मीद कम ही है।
क्या भारत अब चीन पर भी ‘भय बिन होत न प्रीत’ का सिद्धांत लागू करने की स्थिति में है। प्रधानमंत्री का इशारा किस की तरफ़ था। वरिष्ठ पत्रकार हरि कुमार का बेबाक़ विश्लेषण।
भारत-चीन के बीच सीमा विवाद और तनाव तो पहले से ही है, बीजिंग ने एक नया मोर्चा खोल दिया है। चीन ने उत्तराखंड के लिपुलेख दर्रे के पार अपने एक बटालियन सैनिकों को उतार दिया है।
भारतीय ज़मीन पर चीनी क़ब्ज़े पर अब तक झूठ बोलने वालों को राहुल गाँधी ने अब राष्ट्र-विरोधी बताया है। राहुल गाँधी ने कहा चीनियों द्वारा भारतीय भूमि पर क़ब्ज़ा किए जाने को छिपाना व उन्हें इसे लेने की अनुमति देना राष्ट्र-विरोधी है।