हाल ही में अमेरिका की प्रिंस्टन यूनिवर्सिटी और दिल्ली की एक संस्था के शोधकर्ताओं ने सुझाव दिया है कि भारत को कोरोना वायरस से मुक्त करने का सर्वश्रेष्ठ तरीक़ा यह है कि इसकी आधी से ज़्यादा आबादी को कोरोना वायरस से संक्रमित करा दिया जाए।
पालघर में साधुओं की हत्या हो या दादरी में अख़लाक़ को मार डालने का मामला। दोनों ही मामलों में भीड़ ने न्याय किया। ऐसी घटनाएं रोकने के लिए भीड़तंत्र को ख़त्म करना ज़रूरी है।
क्या आप जानते हैं कि दुनिया के लिए क़यामत बन चुके नए करोना वायरस का ऑफ़िशल नाम क्या है? क्या कहा- COVID -19? जी नहीं, यह तो उस बीमारी का नाम है जो इस वायरस ने फैलाई है।
कोरोना वायरस जिसने सारे भारत में सामान्य जनजीवन को ठप कर दिया है और लोगों को घरों में क़ैद रहने के लिए बाध्य कर दिया है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह कोरोना वायरस है क्या बला।
पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई राज्यसभा के लिये मनोनीत क्या हुए, लोगों ने उनके सीजेआई रहते हुए दिये गये फ़ैसलों पर सवाल खड़े कर दिये। लेकिन क्या ऐसा करना सही होगा।
यूपी में होर्डिंग के मसले पर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले पर कुछ लोगों को निराशा हो सकती है। नागरिकता क़ानून का विरोध करने वाले कार्यकर्ताओं के होर्डिंग यूपी सरकार ने फ़ोटो और पते समेत लगा दिये हैं।
दिल्ली के चुनाव में बीजेपी नेताओं ने नफ़रत भरे बयान दिये। अमित शाह ने कहा कि हो सकता है कि पार्टी को ऐसे बयानों से नुक़सान हुआ है। लेकिन क्या वास्तव में ऐसा हुआ है।
एक जज ने ही क्यों कहा था राष्ट्रविरोधी और राजद्रोह शब्द आजकल गाजर-मूली की तरह इस्तेमाल हो रहे हैं और राजनीतिक कारणों से कोई भी किसी को ऐसे आरोपों में फँसा सकता है?
नए बजट में टैक्स दरों में भारी बदलाव किया गया है। 5 लाख से 15 तक की आय पर लगने वाला टैक्स पहले के मुक़ाबले कम कर दिया गया है। इससे लगता है कि करदाताओं को इससे काफ़ी लाभ होगा। लेकिन ऐसा है नहीं।
आज से 71 साल पहले जब कट्टर हिंदूवादी नाथूराम गोडसे ने बिड़ला हाउस में 80 साल के एक कमज़ोर बूढ़े की छाती पर चार गोलियाँ दागी थीं तो वह जान रहा था कि ऐसा करके वह अपने लिए केवल बर्बादी चुन रहा है।
1990 में और उसके बाद हज़ारों कश्मीरी पंडित परिवारों को घाटी से भागना पड़ा। वहाँ ऐसे हालात क्यों पैदा हुए और उनके पीछे 1987 की चुनावी धाँधलियों का क्या रोल था?