उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में विधानसभा चुनावों से पहले नेहरू जैसी शख्सियतों पर हमला क्यों किया जा रहा है और क्यों धर्म निरपेक्ष नज़रिए को छोड़ हिंदू नज़रिए से इतिहास को समझने की कोशिश हो रही है?
सम्राट मिहिर भोज पर गुर्जर व राजपूत समाज के लोगों के बीच और सुहेल देव को लेकर राजभर और राजपूत समाज के लोगों के बीच विवाद क्यों है? पहले तो ऐसा विवाद नहीं था तो आख़िर अब ऐसा क्या हो गया है?
उत्तर प्रदेश में अगले कुछ महीनों बाद चुनाव होने हैं, लेकिन काफ़ी पहले से ही राजनीतिक दल ब्राह्मणों को रिझाने की कोशिश में जुट गए हैं। चाहे वह मायावती हों या अखिलेश यादव। बीएसपी के बाद बीजेपी भी प्रबुद्ध सम्मेलन के लिए जुटी हुई है।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जाति जनगणना की माँग क्यों की? क्या वह इसके ज़रिए अति पिछड़ों और अति दलितों को फिर से अपनों खेमे में लाने का दाँव चल रहे हैं?
पत्रकार संतोष भारतीय की नयी किताब देश की राजनीति के उस दौर की गवाह है जिस दौर में कांग्रेस पार्टी संसदीय राजनीति के शिखर तक पहुँची और जल्दी ही अपने भीतर की कमज़ोरियों के कारण पतन के रास्ते पर चल पड़ी।
पत्रकार सुरेंद्र प्रताप सिंह को याद करत हुए पत्रकार शैलेश बताते हैं कि किस तरह उन्होंने किसी ख़बर के लिए सबूत जुटाने का सबक एक ग़लती से सीखा और किस तरह 'रविवार' के संपादक उनके साथ खड़े रहे।
मुझे आज भी इस बात पर अचरज होता है कि एक बहुत कम उम्र के छात्र से प्रशासन इतना क्यों डरा हुआ था कि परीक्षा देने के लिए भी कॉलेज तक ले जाने के लिए तैयार नहीं था।
फ़िल्म की तरह चिराग़ पासवान का राजनीतिक भविष्य सुपर फ़्लॉप साबित होगा या फिर वह पार्टी में बग़ावत की आँधी के बीच अपने पिता राम विलास पासवान की राजनीतिक विरासत को संजो कर रख पाएँगे?
ब्लैक फंगस के मामलों के लिए कौन है ज़िम्मेदार? क्या कोरोना से इसका कोई संबंध है? कौन लोग ब्लैक फंगस की चपेट मं पहले आते हैं? देखिए डॉक्टर्स के साथ एक गंभीर चर्चा।
अस्पताल ने सभी लोगों की रिपोर्ट निगेटिव बताया। राय साहब और उनकी पत्नी को खाँसी हो रही थी इसलिए उन्होंने रिपोर्ट पर विश्वास नहीं किया और दोबारे जाँच के लिए कहा। इस बार उन्हें, उनकी पत्नी और एक अन्य सदस्य को पॉज़िटिव बताया गया।
ऑक्सीजन की कमी से बहुत सारे रोगी गंभीर स्थिति में पहुँच रहे हैं। इसके चलते आईसीयू और वेंटिलेटर पर रोगियों की संख्या बढ़ रही है। डॉक्टर ने यह भी बताया कि ऑक्सीजन की व्यवस्था हो तो बहुत सारे रोगियों का घर पर ही इलाज हो सकता है।
नया वायरस शरीर के भीतर अधिक तेज़ी से फैलता है। इसलिए मौत की दर काफ़ी बढ़ सकती है। पहले के स्ट्रेन की तरह ये हमारे नाक के भीतरी हिस्से में नहीं ठहरता बल्कि सीधे फेफड़े में पहुँच जाता है।