ऐसे दौर में, जबकि योगी सरकार के विरुद्ध बीजेपी के भीतर और बाहर आम जनता में, असंतोष की अग्नि जल रही है तब क्या गड्ढे में धंसी कांग्रेस अपने भूत से कुछ सीखने की कोशिश कर रही है या अभी भी वह पुरानी गुत्थियों को सुलझाने में ही उलझी हुई है?
उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की सियासी ज़मीन को मजबूत करने के लक्ष्य को लेकर मैदान में उतरीं पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने बड़ा बयान दिया है।
7 महीने बाद होने जा रहे उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की चुनावी तैयारियों को परखने के मद्देनज़र ही प्रियंका गांधी तीन दिन के यूपी दौरे पर पहुंची हैं।
महात्मा गांधी के आह्वान पर शुरू हुई प्रभातफेरी की परंपरा एक बार फिर से यूपी कांग्रेस ने अपनायी है। अचानक से बिना चुनाव सड़कों-गलियों में ‘आओ रे, नौजवान गाओ रे’ का गीत गाते हुए सैकड़ों कांग्रेसी कार्यकर्ता नज़र आ रहे हैं।
उत्तर प्रदेश में चार चरणों में होने वाले पंचायत चुनावों में वैसे तो बीजेपी, सपा, बसपा और कांग्रेस ने पूरी ताक़त लगा रखी है पर सबसे ज़्यादा हलचल दोनों राष्ट्रीय राजनीतिक दलों के खेमों में नज़र आ रही है।
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने आज मौनी अमावस्या के पर्व पर संगम में आस्था की डुबकी लगाई। पिछले लोकसभा चुनाव प्रचार अभियान की शुरुआत प्रियंका गांधी ने गंगा यात्रा से की थी। 17 मार्च 2019 को प्रियंका ने प्रयागराज से जल यात्रा निकाली थी। क्या कांग्रेस जाने अंजाने भाजपा के जाल में फंसती नहीं नजर आ रही है?
उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों के पहले कांग्रेस घोषणापत्र जारी कर देगी। दस लाख लोगों से मशविरा करेगी और जनता की मांगों, अपेक्षाओं व संकल्पों को इसमें शामिल करेगी। कांग्रेस इसे 'जनता का घोषणापत्र' नाम दे रही है।
प्रियंका गाँधी का नया मंत्र है- नयी प्रदेश कमेटी छोटी हो, पुराने सदस्यों के पर कतरें जाएँ, युवाओं के हाथ में बड़ी ज़िम्मेदारी और महिला चेहरों को भी प्रमुखता दी जाए। इससे क्या वह कांंग्रेस की वापसी करा पाएँगी?
क्या कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जितिन प्रसाद कांग्रेस को झटका देने की तैयारी में हैं? यह अटकल काफ़ी तेज़ है कि वह कांग्रेस में ख़ुश नहीं हैं और अपना राजनीतिक करियर बचाने के लिए बीजेपी का दामन थाम सकते हैं।
प्रियंका गाँधी अपनी ओर ध्यान खींचने में सफल रही हैं। पूर्वी उत्तर प्रदेश की अपनी पहली यात्रा के समय भी, अहमदाबाद के अधिवेशन में भी, दलित नेता चन्द्रशेखर से मिलने के समय भी और प्रयाग से वाराणसी की गंगा यात्रा में भी।