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तमिलनाडु: जयललिता-करूणानिधि के न होने पर ईपीएस बनाम स्टालिन हुआ चुनाव

चुनाव आयोग ने तमिलनाडु के साथ ही पांच राज्यों में चुनाव की तारीख़ों का एलान कर दिया है। तमिलनाडु में 6 अप्रैल को एक ही चरण में वोटिंग होगी और बाक़ी राज्यों के साथ ही 2 मई को चुनाव नतीजे आएंगे। तमिलनाडु में इस बार का विधानसभा चुनाव पिछले चुनावों से पूरी तरह अलग है। वह इसलिए क्योंकि राज्य की या दक्षिण की राजनीति के दो बड़े दिग्गज इस बार चुनाव में नहीं हैं। 

बात हो रही है पूर्व मुख्यमंत्रियों जयललिता और करूणानिधि की। दोनों ही नेताओं का देहांत हो चुका है और इनकी जगह इस बार क्रमश: तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ई. पलानिस्वामी (ईपीएस) और स्टालिन आमने-सामने हैं। ईपीएस ऑल इंडिया अन्ना द्रमुक (एआईएडीएमके) तो स्टालिन द्रमुक की चुनावी कमान संभाल रहे हैं। 

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तमिलनाडु में टक्कर एआईएडीएमके और डीएमके के बीच ही रही है और इस बार भी इनके बीच ही होनी है। एआईएडीएमके के साथ बीजेपी और पट्टाली मक्कल काची (पीएमके) है तो डीएमके के साथ कांग्रेस, एमडीएमके, वीसीके और कुछ अन्य दल हैं लेकिन मुख्य चेहरा ईपीएस और स्टालिन का ही है। तमिलनाडु में विधानसभा की 234 सीटें हैं। 

एआईएडीएमके को इस बार चुनौती घर से ही मिलने वाली है क्योंकि जयललिता की क़रीबी रहीं शशिकला ने एलान कर दिया है कि वे चुनावी तैयारियों के लिए जल्द ही लोगों के बीच में जाएंगी। 

EPS and Stalin fight in Tamil Nadu election - Satya Hindi

शशिकला अहम फ़ैक्टर 

शशिकला ने कहा है कि एआईएडीएमके और उनके भतीजे दिनाकरन की पार्टी अम्मा मक्कल मुनेत्र कषगम (एएमएमके) को मिलकर चुनाव लड़ना चाहिए। लेकिन एआईएडीएमके इसके लिए तैयार नहीं है। शशिकला के जेल से बाहर आने पर उनके स्वागत में पहुंचने वाले सात कार्यकर्ताओं को एआईएडीएमके ने बाहर का रास्ता दिखा दिया था। 

एआईएडीएमके को होगा नुक़सान

ईपीएस और उप मुख्यमंत्री ओ. पन्नीरसेल्वम इस बात को जानते हैं कि एआईएडीएमके के भीतर और राज्य के मतदाताओं के बीच भी शशिकला की पकड़ है। इस बात की पूरी संभावना है कि ऐसे नेता जिन्हें एआईएडीएमके से टिकट न मिले, वे शशिकला के भतीजे दिनाकरन की पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ सकते हैं और इससे एआईएडीएमके को राजनीतिक नुक़सान होगा। एआईएडीएमके के कमजोर होने का सीधा फ़ायदा डीएमके को होगा और ऐसे में एआईएडीएमके के लिए सत्ता में वापसी कर पाना बहुत मुश्किल हो जाएगा। 

एआईएडीएमके में इसे लेकर चिंता है कि दिनाकरन की पार्टी के चुनाव लड़ने के कारण उसे मिलने वाले वोटों का बंटवारा होगा और इसका सीधा फायदा डीएमके गठबंधन को होगा।
शशिकला के कारण अगर एआईएडीएमके को इस चुनाव में हार मिलती है तो पार्टी के लिए आगे की राह बहुत मुश्किल हो जाएगी क्योंकि उसके पास जयललिता जैसा कोई बड़ा चेहरा नहीं है। एआईएडीएमके ने चुनाव में डीएमके की पूर्ववर्ती सरकार के माफिया राज, 2 जी घोटाला और वंशवाद को मुद्दा बनाया है। 
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डीएमके को मिली थी बड़ी जीत

2019 के लोकसभा चुनाव में तमिलनाडु की 39 में से 38 सीटों पर डीएमके और उसकी सहयोगी पार्टियों ने जीत दर्ज की थी। इस बड़ी जीत के बाद से ही डीएमके प्रमुख स्टालिन ने विधानसभा चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी थीं और वह लगातार ईपीएस सरकार को घेरते रहे। स्टालिन ने चुनाव में एआईएडीएमके सरकार के भ्रष्टाचार को प्रमुख मुद्दा बनाया है। स्टालिन के बेटे उदयनिधि स्टालिन भी चुनाव में खासे सक्रिय हैं। 

2016 के विधानसभा चुनाव में एआईएडीएमके और डीएमके के बीच कड़ी टक्कर रही थी। तब एआईएडीएमके को 135 और डीएमके को 88 सीटें मिली थीं। लेकिन तब जयललिता और करूणानिधि जीवित थे, इस बार इन दिग्गजों के बिना हो रहे पहले विधानसभा चुनाव में राज्य के मतदाता किसे वोट देते हैं, ये देखना दिलचस्प रहेगा। 

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क़मर वहीद नक़वी

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