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ब्राह्मण वोट पर पकड़ बनाने के लिए कांग्रेस ने याद किया नरसिम्हा राव को?

एक दिवंगत कांग्रेसी नेता के नाम का फ़ायदा उठाने के कोशिश में सभी पार्टियाँ हैं जबकि कांग्रेस ही पीछे है। कुछ सलाहकारों की राय मानते हुए, लंबे सोच-विचार के बाद कांग्रेस आलाकमान ने पीवी के प्रति अपने रवैया बदलने का फ़ैसला लिया।
देश भर के ब्राह्मण वोट बैंक पर दुबारा कब्जा करने और दक्षिण में कमज़ोर होते आधार को मजबूत करने के मक़सद से ही कांग्रेस नेतृत्व ने अचानक पूर्व प्रधानमंत्री पी. वी. नरसिम्हा राव के प्रति अपना रवैया और दृष्टिकोण बदला है। 

पीवी की तारीफ!

जिस तरह से कुछ  ग़ैर-कांग्रेसी राजनीतिक पार्टियाँ पीवी के नाम पर राजनीतिक फ़ायदा उठाने की कोशिश में लग गयी हैं, उसने कांग्रेस नेतृत्व को अपनी रणनीति बदलने पर मजबूर किया है। इसी का नतीजा है कि पीवी की मृत्यु के बाद पहली पर गांधी परिवार ने पीवी की तारीफ की है। इस तारीफ ने सभी को चौंका दिया है।

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पीवी से सोनिया गांधी की नाराज़गी जगजाहिर है। कई कारणों से पीवी के संबंध गांधी परिवार से ठीक नहीं रहे। गांधी परिवार पीवी को पसंद नहीं करता है और उसने हमेशा पूर्व प्रधानमंत्री से दूरी बनाये रखी।

पीवी की उपेक्षा

गांधी परिवार की पीवी से नाराज़गी की बात उस समय सभी को पता चल गयी थी जब उनके निधन के बाद उनके पार्थिव शरीर को न कांग्रेस मुख्यालय लाया गया और न ही उनका संस्कार दिल्ली में किया गया, जबकि पीवी आजीवन कांग्रेस में रहे, लंबे समय तक पार्टी अध्यक्ष रहे और पूरे 5 साल तक देश के प्रधानमंत्री भी।

प्रधानमंत्री बनने के बाद नरसिम्हा राव ने गांधी परिवार को ख़ास तवज्जो नहीं दी और उन्हें दरकिनार करते हुए कांग्रेस पर कब्जा करने की कोशिश की।
इसके बाद जब सोनिया गांधी कांग्रेस अध्यक्ष बनीं तब उन्होंने पीवी को पूरी तरह से नज़रअंदाज़ कर दिया। इसके बाद भी पीवी की जयंती हो या पुण्यतिथि, गांधी परिवार ने कभी उन्हें याद नहीं किया, कभी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। 

पीवी के नाम पर राजनीति

वैसे भी मृत्यु के बाद पीवी भुला दिए गये। इस साल पीवी फिर राजनीति के केंद्र में हैं। 2020 उनका जन्म शताब्दी वर्ष है। इसी लिए कई लोग उन्हें याद कर रहे हैं।

तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव यानी केसीआर ने पीवी के नाम पर राजनीतिक ज़मीन मज़बूत करने की कोशिश की। उन्होंने ऐलान कर दिया कि तेलंगाना सरकार साल भर अपने खर्चे पर पीवी जन्म शताब्दी समारोह आयोजित करेगी। इस दौरान उनकी उपलब्धियों को यादगार बनाने के लिए एक स्मारक बनाया जाएगा।

तेलंगाना सेंटीमेंट

चूंकि पीवी तेलंगाना से हैं, केसीआर ने पीवी के जरिये तेलंगाना सेंटीमेंट पर अधिकार जमाने के मक़सद से नयी राजनीति शुरू कर दी। उधर बीजेपी के अलावा दूसरी बड़ी राजनीतिक पार्टियों के बड़े नेता भी एक पूर्णकालिक आजीवन कांग्रेसी नेता रहे पूर्व प्रधानमंत्री पीवी की जमकर तारीफ करने लगे।
कांग्रेस आलाकमान को लगा कि एक दिवंगत कांग्रेसी नेता के नाम का सभी फ़ायदा उठाने के कोशिश में हैं जबकि वह ही पीछे रह जा रही है। कुछ सलाहकारों की राय मानते हुए, लंबे सोच-विचार के बाद कांग्रेस आलाकमान ने पीवी के प्रति अपने रवैये को बदलने का फ़ैसला लिया। 

जन्म शताब्दी वर्ष

पहले तेलंगाना प्रदेश कांग्रेस समिति को पीवी के जन्म शताब्दी वर्ष पर बड़े पैमाने पर साल भर कार्यक्रम आयोजित करने की अनुमति दी। फिर इसके बाद, पुरानी बातों को भुलाने का अहसास दिलाते हुए, पुरानी परंपरा तोड़ते हुए पहली बार पूर्व प्रधानमंत्री की तारीफ की।
सोनिया गांधी ने स्वयं कहा कि पीवी का जन्म शताब्दी वर्ष हम सभी के लिए मौका है कि हम एक बहुत विद्वान व्यक्तित्व को याद करें। पीवी नरसिम्हा राव के साहसिक नेतृत्व के चलते देश कई चुनौतियों से पार पाने में सफल रहा।
यह बात कांग्रेस कार्यकारी अध्यक्ष ने तेलंगाना कांग्रेस समिति को दिए अपने एक संदेश में कही। भले ही यह संदेश तेलंगाना के कांग्रेसी नेताओं के नाम था, लेकिन इसका उद्देश्य सभी को एक अलग संदेश देना था। संदेश था कि पीवी कांग्रेसी थे और उनकी कामयाबियाँ कांग्रेस की हैं, न कि किसी और की।

किसके पीवी?

संदेश था कि पीवी के नाम पर कांग्रेस का अधिकार है और वह ही उसका फ़ायदा उठाएगी। कांग्रेस नेतृत्व को समझ में आ गया कि अगर दूसरी राजनीतिक पार्टियाँ पीवी के नाम पर अपनी ज़मीन मज़बूत करेंगी तो नुक़सान उसे ही होगा, खासकर ब्राह्मण वोट बैंक और दक्षिण के 5 राज्यों के अपने वोट बैंक पर।
मौके की नज़ाकत को समझते हुए सोनिया गांधी और उनके बेटे राहुल गांधी ने पीवी को वापस कांग्रेस का बनना शुरू कर दिया है। चूंकि पीवी के प्रधानमंत्रित्व काल में मनमोहन सिंह वित्त मंत्री थे और आगे चलकर प्रधानमंत्री बने, कांग्रेस नेतृत्व  मनमोहन सिंह की भी तारीफ कर रहा है। 
पीवी के प्रति बदला रवैया और बदली रणनीति कांग्रेस को कितना फ़ायदा पहुँचाएगी इसका उत्तर समय देगा, लेकि पीवी के नाम पर राजनीतिक रोटियां सेकने से विरोधियों को रोकने के लिए पीवी को कांग्रेसी यथोचित श्रद्धांजलि देने में जुट गये हैं।
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