उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव में लगे हुए 135 शिक्षकों, शिक्षा मित्रों और जाँचकर्ताओं की मौत की ख़बर पर तीखी टिप्पणी करते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट ने राज्य चुनाव आयोग से कोरोना प्रोटोकॉल का पालन नहीं करने पर सफाई माँगी है।
अदालत ने पूछा है कि राज्य चुनाव आयोग, उसके वरिष्ठ अधिकारियों और कोरोना से होने वाली मौतों के लिए ज़िम्मेदार दूसरे लोगों के ख़िलाफ़ कार्रवाई क्यों न की जाए।
जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा और जस्टिस अजित कुमार की बेंच ने राज्य चुनाव आयोग को नोटिस देते हुए कहा है कि पंचायत चुनाव के बचे हुए चरणों में कोरोना दिशा-निर्देशों का सख़्ती से पालन किया जाए। ऐसा नहीं होने पर चुनाव आयोग के संबंधित अधिकारियों के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए तल्ख़ टिप्पणी की और कहा,
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रिपोर्टों में कहा गया है कि पंचायत चुनाव के दौरान कोरोना दिशा-निर्देशों का उल्लंघन किया गया। ऐसा लगता है कि न तो राज्य चुनाव आयोग न ही पुलिस ने ड्यूटी पर तैनात लोगों को वायरस संक्रमण से बचाने के लिए कुछ किया गया।
इलाहाबाद हाई कोर्ट के खंडपीठ की टिप्पणी का अंश
ऑक्सीजन की कमी शर्मनाक
अदालत ने ऑक्सीजन की कमी पर भी बहुत ही टिप्पणी करते हुए इसे शर्मनाक क़रार दिया। बेंच ने कहा कि आज़ादी के 70 साल बाद और इतने सारे उद्योगों को होने के बावजूद यदि ऑक्सीजन तक नहीं मिल पा रही है तो यह निहायत ही शर्मनाक है।
बेंच ने कहा कि राज्य की स्वास्थ्य सेवा बदहाल है। उसने लखनऊ, प्रयागराज, आगरा, वाराणसी, गोरखपुर, कानपुर और झांसी के सरकारी अस्पतालों को आदेश दिया कि वे दिन में दो बार मेडिकल बुलेटिन जारी करें, जिसमें दिन भर की स्थितियों के बार में विस्तार से जानकारी दी जाए।
अदालत ने कहा,
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उत्तर प्रदेश के बड़े शहरों में अराजक स्थिति है। अतीत की महामारियों से पता चलता है साधन संपन्न लोग तो बच जाएंगे, लेकिन ग़रीब लोग उपचार के अभाव में मर जाएंगे।
इलाहाबाद हाई कोर्ट के खंडपीठ की टिप्पणी का अंश
सरकार को फटकार
इलाहाबाद हाई कोर्ट के खंडपीठ ने सरकार की तीखी आलोचना करते हुए कहा कि 'हम सिर्फ़ सरकारी घोषणाओं और काग़जी कार्रवाइयों को बर्दाश्त नहीं करेंगे, सरकार को ठोस कदम उठाने होंगे।'
अदालत ने कहा कि 'यह खुला रहस्य है कि साल 2020 में सरकार कोरोना को ख़त्म हुआ मान कर संतुष्ट और निश्चिंत हो गई और पंचायत चुनावों जैसे दूसरे काम में लग गई, लोगों की सेहत का ख्याल नहीं किया। सरकार को कोरोना की दूसरी लहर की तैयारियाँ करनी चाहिए थीं, उसने नहीं की।'
अदालत ने यह भी कहा कि जब लोग मारे जा रहे हैं और उस स्थिति में आँखें मूंद कर रहेंगे तो आने वाली पीढ़ियाँ हमें माफ़ नहीं करेंगी।
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