loader

पश्चिमी यूपी में लामबंद हो रहे किसान, महापंचायतों का दौर जारी

उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार को इस बात का अंदाजा कतई नहीं रहा होगा कि ग़ाज़ीपुर बॉर्डर खाली कराने की उसकी कोशिश का इतना जबरदस्त रिएक्शन होगा कि माहौल ही बदल जाएगा। हफ़्ते भर के भीतर लगभग पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसान महापंचायतें हो चुकी हैं और इन महापंचायतों में उमड़ी भीड़ ने योगी सरकार के होश उड़ा दिए हैं। 

राकेश टिकैत जिस दिन भावुक हुए थे, उस दिन रात से ही पूरा पश्चिमी उत्तर प्रदेश उबलने लगा था। कई गांवों से ट्रैक्टर-ट्रालियों में लोग ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पहुंचने लगे थे। उसके अगले दिन मुज़फ्फरनगर में पहली किसान महापंचायत हुई थी।

ताज़ा ख़बरें

जाट-मुसलमान आए साथ 

मुज़फ्फरनगर के बाद मथुरा, बाग़पत और बिजनौर में महापंचायत हो चुकी हैं। बिजनौर में सोमवार को महापंचायत हुई। यहां भी जाट और मुसलमान बड़ी संख्या में कंधे से कंधा मिलाकर किसानों की लड़ाई लड़ने का दम भरते दिखे। 

किसान आंदोलन पर सुनिए चर्चा- 

आरएलडी को मिला मौक़ा

इन महापंचायतों ने राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) को फिर से जिंदा होने का मौक़ा दिया है। 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले हुए सांप्रदायिक दंगों के बाद से हाशिए पर चल रही आरएलडी के नेता जयंत चौधरी इन महापंचायतों में हिस्सा ले रहे हैं और अपने दादा चौधरी चरण सिंह के किसानों के लिए किए गए कामों का हवाला देते हुए राजनीतिक आधार को बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं। उनके पिता और पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी अजित सिंह भी किसानों के समर्थन में खुलकर खड़े हैं। 

जाट समुदाय से आने वाले जयंत चौधरी को हाथरस में उन पर हुए लाठीचार्ज के बाद भी सहानुभूति मिली थी। यह तय है कि किसान आंदोलन में जाटों और मुसलमानों के एक मंच पर आने के बाद पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बीजेपी के लिए अपनी सियासी ज़मीन को बचा पाना मुश्किल हो जाएगा।
बिजनौर की किसान महापंचायत में जयंत चौधरी ने मोदी सरकार के ख़िलाफ़ मोर्चा खोलते हुए कहा कि किसान हनुमान है और वह एक होकर लड़ेगा तो मोदी की लंका ढह जाएगी। इस महापंचायत को समाजवादी पार्टी और कांग्रेस का भी पूरा समर्थन मिला और इसमें नौजवानों की भी भागीदारी रही। महापंचायत के बाद बिजनौर के नजीबाबाद, जलालाबाद इलाक़ों के गांवों से किसानों ने दिल्ली कूच किया। 
उत्तर प्रदेश से और ख़बरें

भारतीय किसान यूनियन की युवा शाखा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और किसान नेता महेंद्र सिंह टिकैत के पोते गौरव चौधरी भी किसानों की महापंचायतों में आ रहे हैं। इस आंदोलन के जरिये एक बार फिर टिकैत परिवार की पकड़ किसानों के बीच मजबूत हो रही है। 

Kisan mahapanchayat in bijnor against farm laws 2020 - Satya Hindi

बाग़पत में किसान महापंचायत 

रविवार को बाग़पत में हुई किसान महापंचायत में भी ऐसा ही नजारा देखने को मिला था। यहां सर्वखाप पंचायत हुई थी और इसमें पहुंचे लोगों ने ग़ाज़ीपुर, सिंघु और टिकरी बॉर्डर पर चल रहे आंदोलन को समर्थन दिया था। ये इलाक़ा जाट नेता चौधरी अजित सिंह का गढ़ माना जाता है लेकिन पिछले दो चुनावों में उन्हें यहां से हार मिली है। अगर किसान आंदोलन के जरिये जाट और मुसलमान फिर से इकट्ठा होते हैं तो छोटे चौधरी अपनी सियासी ज़मीन फिर से हासिल कर सकते हैं। मथुरा में हुई महापंचायत में भी किसान उमड़े थे। 

योगी सरकार यह समझने में भूल कर रही है कि यह आंदोलन पश्चिमी यूपी से निकलकर पीलीभीत, लखीमपुर-खीरी, रामपुर, बरेली और तराई के बाक़ी इलाक़ों में फैल चुका है। इन इलाक़ों में किसानों, जाटों और मुसलमानों की सियासी हैसियत बहुत दमदार है।

बदलेंगे सियासी समीकरण

जिस तरह पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसान महापंचायतें हो रही हैं, उससे यही लगता है कि इससे यहां की सियासत पर खासा असर होगा। 2014 के सांप्रदायिक दंगों के बाद उस साल हुए लोकसभा चुनाव, 2017 के विधानसभा चुनाव और 2019 के लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी को यहां अच्छी बढ़त मिली थी लेकिन अगर किसान आंदोलन छह महीने और चल जाता है तो यह पश्चिमी उत्तर प्रदेश के साथ ही पूरे प्रदेश के सियासी समीकरणों को बदल सकता है, शायद मोदी और योगी सरकार इसे लेकर चिंतित भी हैं लेकिन किसानों के सामने बहुत ज़्यादा झुकने के लिए वे हाल-फिलहाल तैयार नहीं दिखते। 

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी

अपनी राय बतायें

उत्तर प्रदेश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें