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लखीमपुर: चश्मदीदों ने मंत्री पुत्र को रौंदने वाली गाड़ी में देखा था

लखीमपुर खीरी में किसानों के रौंदे जाने का सच क्या है? इसमें केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा मोनू का क्या हाथ है? किसानों को पीछे से रौंदे जाने का ताज़ा वीडियो आने के बाद उनपर ज़्यादा आरोप लग रहे हैं। हालाँकि, काफ़ी ज़्यादा दबाव पड़ने के बाद आशीष मिश्रा के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज हो गई है, लेकिन मंत्री इन आरोपों को शुरू से ही खारिज करते रहे हैं। 

केंद्रीय राज्य मंत्री मिश्रा ने रविवार को इस बात से इनकार किया था कि उनका बेटा वाहन चला रहा था। उन्होंने कहा था, 'उनका ड्राइवर गाड़ी चला रहा था। जैसे ही वाहन पर पथराव किया गया, वह पलट गया और दो किसान उसकी चपेट में आ गए।' उन्होंने कहा, 'मेरी पार्टी के कार्यकर्ता डिप्टी सीएम की अगवानी करने जा रहे थे कि किसानों में शामिल कुछ हमलावरों ने उन पर लाठियों और तलवारों से हमला कर दिया। हमले में पार्टी के तीन कार्यकर्ता और एक कार चालक की मौत हो गई। उन्होंने गाड़ी को नष्ट कर दिया और उसमें आग लगा दी।' टेनी ने आज फिर से कहा है कि हमारे पास यह साबित करने के लिए सबूत हैं कि न तो मैं और न ही मेरा बेटा मौक़े पर मौजूद थे। 

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क्या केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के इन दावों में सच्चाई है? स्थानीय लोगों ने क्या देखा? आइए, आपको बताते हैं कि हक़ीक़त क्या है। लखीमपुर खीरी के पल्लिया के रहने वाले और भीम आर्मी से जुड़े चमकौर सिंह ने चंद्रशेखर रावण के साथ मौक़े पर पहुँच कर हालात का जायजा लिया है। उन्होंने बड़ी संख्या में लोगों से बात की है। इनकी बातों को सुनकर ख़ुद तय कीजिए कि आख़िर सचाई क्या है। घटना से जुड़े उठ रहे सवालों के जवाब दे रहे हैं चमकौर सिंह।   

क्या चमकौर सिंह उस जगह मौजूद थे?

चमकौर सिंह कहते हैं कि वह घटना के दौरान उस जगह पर नहीं थे और तब वह लखनऊ में थे। वह कहते हैं कि उनके अपने घर पल्लिया में आना-जाना लगा रहता है। वह कहते हैं कि फ़ोन पर वह पहले से ही संपर्क में थे, लेकिन घटना के बाद वह लखीमपुर में सोमवार को पहुँचे थे, हालाँकि यह उतना आसान भी नहीं था। चमकौर सिंह कहते हैं, 'मैं चंद्रशेखर आज़ाद के साथ आ रहा था और हम किसानों से मिलना चाह रहे थे। लेकिन हमें रास्ते में ही रोक दिया गया। फिर हमने पुलिसकर्मियों के सामने बहाने बनाए और उन्होंने हमें लखनऊ छोड़ दिया। और वहाँ से हम बाइक से किसी तरह पुलिस से बच-बचाकर लखीमपुर पहुँचे।'

चमकौर सिंह ने कहा कि किसान शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे थे। लखीमपुर के बनवीरपुर में एक कार्यक्रम में उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के जाने के दौरान किसानों ने प्रदर्शन करना तय किया था। बनवीरपुर में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री का घर है।

चमकौर सिंह ने कहा, 'शांतिपूर्ण ढंग से ही प्रदर्शन किया जा रहा था। काले झंडे दिखाना तो प्रदर्शन की परंपरा रही है। किसानों का कार्यक्रम निपट चुका था। उन्होंने शांतिपूर्ण तरीक़े से विरोध-प्रदर्शन कर लिया था। वो जाने को तैयार थे। वो लौट रहे थे वहां से। अब तक किसी तरह की कोई भी हिंसा नहीं हुई थी। इस बीच पीछे से तीन गाड़ियाँ आती हैं...। आज ही उसका वीडियो आया है। पीछे से गाड़ी आती है और कुचलती है। कुचलने के बाद उन्हें गाड़ी से निकाला जाता है और फिर उन्हें भीड़ निशाना बनाती है। यह गाँव में सुनने में आया।'

चमकौर सिंह कहते हैं कि घटना स्थल पर सोमवार को उनकी किसानों से बात हुई। वह कहते हैं, 'हम भी जानना चाह रहे थे कि क्या ऐसी संभावना है कि कोई पथराव किया गया जिससे गाड़ी अनियंत्रित हो गयी हो। यह जानना इसलिए ज़रूरी था क्योंकि मंत्री और बीजेपी की तरफ़ से यह नैरेटिव सेट करने की कोशिश की जा रही है। ऐसा वहाँ हमें कहीं से भी कुछ सुनने में नहीं आया। मैं भी यह सचाई जानना चाहता था। तो सचाई यही है कि गाड़ियों ने पीछे से किसानों को रौंदा है और इसके बाद भीड़ उग्र हो गई। पहले गाड़ी चढ़ी फिर लोगों ने पीटा है। पीटने के बाद गाड़ी नहीं चढ़ी है।'

वीडियो चर्चा में सुनिये घटना का पूरा सच!

कितने किसानों ने यह कहा कि उन्होंने मंत्री के बेटे को गाड़ी चलाते हुए देखा है, गाड़ी में बैठे हुए देखा है? आरोप है कि कुचलने के बाद जब लोगों ने गाड़ी को घेरा तो मंत्री के पुत्र ने फ़ायरिंग की और उससे किसी की जान चली गई। कितने किसानों ने इसकी पुष्टि की?

चमकौर सिंह- 'ज़्यादातर लोगों ने कहा कि उन्होंने ऐसा सुना है। लेकिन कुछ लोग थे जिन्होंने कहा कि उन्होंने मंत्री जी के बेटे मोनू को देखा है। जितने भी लोगों से मैंने बात की तो उनमें से 10-15 फ़ीसदी लोगों ने कहा कि उन्होंने स्वयं मोनू को देखा है। मोनू ने पिस्टल निकाली, मोनू ने खुद के बचाव के लिए गोलियाँ चलाईं भी। वो गोली लगती हुई नहीं दिखी। उनको लग रहा था कि शायद लगी होगी। वो तो पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी आया कि गोली लगी नहीं है। गोली चलाते हुए दिखा, गन्ने के खेत में घुसा और पुलिस सुरक्षा में निकाल लिया गया।'

मोनू को गाड़ी चलाते हुए कितने किसानों ने देखा?

चमकौर सिंह- जितने लोगों ने कहा कि उन्होंने मोनू को पिस्टल लहराते, गोली चलाते, पुलिस को सुरक्षित गन्ने के खेत से निकालते हुए देखा है उतने लोगों ने कहा कि उन्होंने मोनू को गाड़ी चलाते हुए देखा है।

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क्या उस क्षेत्र में लोग मोनू को अच्छी तरह पहचानते हैं कि वही मोनू है और यही मंत्री महोदय का पुत्र है?

चमकौर सिंह- देखिए, सांसद जी राजनीति में 2012 से तो जीतते आ रहे हैं। 2012 में उन्होंने विधायकी जीती थी। इससे पहले भी वह इलेक्शन लड़ते रहे हैं। उनको क्षेत्र में तो सब कोई जानता है और मोनू को भी लोग उतने ही पहचानते हैं। उनके घर के बहुत पास की घटना है यह। एक-दो किलोमीटर के दायरे की। वहाँ से क़रीब 60 किलोमीटर दूर पल्लिया में हम भी मोनू को पहचानते हैं। क्योंकि वह वहाँ के मंत्री का बेटा है। 

मंत्री जी यह कह रहे हैं कि दंगल का कार्यक्रम हो रहा है, सुबह से शाम तक उनका बेटा वहाँ मौजूद था। घटना स्थल पर वह मौजूद नहीं था। इस बात की तसदीक वहाँ कितने लोग कर रहे हैं? 

चमकौर सिंह- जितने लोग भी दंगल के कार्यक्रम में थे उसमें से, मैं कह सकता हूँ कि, 99 फ़ीसदी तो उन्हीं के लोग थे। चाहे वे बीजेपी के हों या उनके अपने लोग हों। जितने भी किसान थे वे तो घटनास्थल पर थे। तो इसमें से किसान तो नहीं कहेगा कि मैंने उन्हें वहाँ देखा है। जो लोग वहाँ थे वे लोग आमंत्रित थे और वो कह रहे हैं कि मोनू वहीं पर मौजूद रहे हैं। हाँ, मैं आपको बता दूं, उसमें से भी कुछ लोग, एक-दो लोग, मुझे मिले। उन्होंने यह कहा था कि ये बीच में चले गए थे उस घटना के वक़्त/के आसपास। वो कह रहे थे कि उनको उपमुख्यमंत्री जी को छोड़ना है या रिसीव करना है, ऐसी कुछ बात थी। 

किसानों के घटना स्थल और दंगल के स्थल के बीच की दूरी कितनी है? 

चमकौर सिंह- मुश्किल से पाँच मिनट, यदि गाड़ी की बात करें। 

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बता दें कि अब तो सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें साफ़ तौर पर देखा जा सकता है कि एक गाड़ी किसानों को रौंदती हुई निकलती है। वीडियो में देखा जा सकता है कि प्रदर्शनकारियों का एक समूह खेतों के बीच एक सड़क पर आगे बढ़ रहा है। फिर पीछे से तेज गति से आ रही एक ग्रे एसयूवी से उनको कुचल दिया जाता है। गाड़ी की तेज गति होने से एक व्यक्ति तो उछलकर बोनट के ऊपर गिरता है। सड़क के किनारे कई लोग बिखरे पड़े नज़र आते हैं। उस ग्रे एसयूवी के पीछे-पीछे दो और गाड़ियाँ निकलती हैं। 

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क़मर वहीद नक़वी

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