भारतीय जनता पार्टी ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 की तैयारियाँ दूसरे दलों से पहले शुरू कर दी है, अब ये तैयारियाँ निर्णायक स्थिति में पहुँच गई है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह यूपी चुनावों पर रणनीति बनाने के लिए शुक्रवार को वाराणसी में एक उच्च स्तरीय बैठक में भाग लेंगे। इस बैठक में यूपी बीजेपी के अध्यक्ष और राज्य के दूसरे नेता होंगे।
यह बैठक ऐसे समय होगी जब बीजेपी ने योगी आदित्यनाथ को ही चुनाव में आगे करने उन्हें ही मुख्यमंत्री के चेहरे के तौर पर पेश करने की रणनीति बनाई है। हालांकि इस पर अंतिम और औपचारिक निर्णय होना बाकी है, पर योगी के नाम पर मुहर लगने की पूरी संभावना है।
स्वयं शाह ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता अभियान शुरू करने के मौके पर कुछ दिन पहले कहा था, "यदि आप नरेंद्र मोदी को 2024 में प्रधानमंत्री बनाना चाहते हैं तो 2022 में योगी आदित्यनाथ को उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाएं।"
उन्होंने इसके आगे कहा था, "हम यूपी को नंबर एक राज्य बनाएंगे। उत्तर प्रदेश के बिना केंद्र में सरकार नहीं बन सकती, 2014 और 2019 में मोदी सरकार बनाने का सारा श्रेय यूपी की जनता को है।"
केंद्रीय गृह मंत्री ने यह भी कहा था कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में पार्टी को कम से कम 300 सीटें मिलेंगी। यूपी विधानसभा में 403 सीटें हैं। इसके पहले यानी 2017 के चुनाव में बीजेपी को 312 सीटें और 39.67 प्रतिशत वोट मिले थे।
पर्यवेक्षकों का कहना है कि इस बार 2017 के नतीजों को दुहराना मुश्किल है क्योंकि योगी सरकार के ख़िलाफ़ माहौल बना हुआ है। राज्य की जनता का बड़ा हिस्सा ही नहीं, बीजेपी के कार्यकर्ता भी मुख्यमंत्री से नाराज़ हैं, इसके बावजूद चुनाव में उन्हें ही आगे करने की नीति अपनाने की संभावना है।
शुक्रवार की बैठक में इस पर विचार किया जाएगा कि यूपी बीजेपी अगले चुनाव में क्या रणनीति अपनाए कि उसे पहले जैसी ही सीटें मिलें।
पूर्वांचल पर फ़ोकस?
दीनदयाल हस्तकुल संकल में होने वाली इस बैठक में यूपी बीजेपी अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह, केंद्रीय मंत्री व चुनाव प्रभारी धर्मेद्र प्रधान व सुनील बंसल मौजूद रहेंगे। यह बैठक चार दिनों तक चलेगी।
अमित शाह वाराणसी के बाद पूर्वी उत्तर प्रदेश का दौरा करेंगे। वह मुख्यमंत्री के गृह नगर गोरखपुर व आज़मगढ़ जाएंगे। वह इसके अलावा बस्ती भी जाएंगे जहाँ खेल महाकुंभ का उद्घाटन करेंगे।
क्या परेशान है संघ परिवार?
गृह मंत्री का दौरा ऐसे समय हो रहा है जब कुछ दिन पहले ही राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ ने आजादी अमृत महोत्सव के मौके पर एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया है।
देश की आज़ादी के 75 साल पूरे होने के मौक़े पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ उत्तर प्रदेश में आज़ादी के ‘अनजान’ क्रांतिकारियों की खोज करेगा। ‘अनजान’ क्रांतिकारियों से मतलब उन लोगों से है, जिन्होंने देश की आज़ादी की लड़ाई लड़ी लेकिन उनका जिक्र इतिहास में नहीं हो सका और इस वजह से लोगों को भी उनके संघर्ष के बारे में पता नहीं चला।
‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’ 19 नवंबर से 16 दिसंबर तक मनाया जाएगा। 19 नवंबर को रानी लक्ष्मी बाई का जन्मदिन है जबकि 16 दिसंबर को विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन 1971 के युद्ध में भारत ने पाकिस्तान को शिकस्त दी थी।
इसके पहले अक्टूबर के अंतिम सप्ताह में अमित शाह पार्टी की तैयारियों का जायजा लेने के लिए लखनऊ गए थे।
मैदान में मोदी?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते दिनों कुशीनगर, सिद्धार्थनगर और वाराणसी का दौरा कर पूर्वांचल में जनता के बीच पार्टी के लिए जगह बनाने की कोशिश की थी।
बता दें कि बीजेपी ने निषाद पार्टी और अपना दल (एस) के साथ पहले ही गठबंधन बना रखा है।
अब उसने भारतीय सुहेलदेव जनता पार्टी, शोषित समाज पार्टी, भारतीय मानव समाज पार्टी, मुसहर आंदोलन मंच, मानवहित पार्टी, पृथ्वी राज जनशक्ति पार्टी और भारतीय समता समाज पार्टी को अपने साथ मिला लिया है।
इन दलों का पूर्वांचल में थोड़ा-बहुत असर है लेकिन बीजेपी के साथ आने से यह असर कई सीटों पर निर्णायक हो सकता है।
ऐसे में वाराणसी की यह बैठक बेहद अहम है।
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