loader

हिंदू-हिंदी से बीजेपी के अल्पसंख्यक तुष्टिकरण के आरोप को काटना चाहती हैं ममता?

ममता ने राज्य के आठ हज़ार से ज़्यादा ग़रीब ब्राह्मण पुजारियों को एक हज़ार रुपए मासिक भत्ता और मुफ़्त आवास देने की घोषणा की है। ममता बनर्जी ने राज्य में हिंदी भाषी वोटरों को अपने साथ जोड़ने के लिए तृणमूल कांग्रेस की हिंदी सेल का गठन किया है। पश्चिम बंगाल हिंदी समिति का विस्तार करते हुए कई नए सदस्यों और पत्रकारों को इसमें शामिल किया गया है।
प्रभाकर मणि तिवारी
नौ साल पहले सत्ता में आने के बाद से ही मुसलिम तुष्टिकरण का आरोप झेल रही पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अब हिंदू-हिंदी और दलित कार्ड के जरिए बीजेपी को मात देने की तैयारी की है। यही वजह है कि अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले बीजेपी के चौतरफा हमलों की काट के लिए उन्होंने पहली बार हिंदू-हिंदी और दलितों पर ध्यान दिया है।
हालांकि वह इस बात का बखूबी जानती थीं कि उनके ताजा फ़ैसलों पर विवाद ज़रूर होगा। यही वज़ह है कि उन्होंने कहा कि इन फ़ैसलों को अन्यथा नहीं लिया जाना चाहिए। उन्होंने जोड़ा कि अगर पादरियों की ओर से ऐसी मांग आती है तो सरकार उनको भी मासिक भत्ता देने पर विचार करेगी। लेकिन बावजूद इसके उनके बयानों के राजनीतिक निहितार्थों पर बहस लगातार तेज़ हो रही है।
पश्चिम बंगाल से और खबरें
यह सवाल भी पूछा जा रहा है कि क्या मुसलिम तुष्टिकरण के आरोपों की काट के साथ ही बीजेपी के हिंदू-हिंदी वोटों के धुव्रीकरण की कोशिशों से निपटने के दोहरा लक्ष्य हासिल करने के लिए ही उन्होंने यह दांव चला है?

क्या है मामला?

कहा जा रहा है चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर उर्फ पीके की सलाह पर ही ममता ने यह फ़ैसला किया है।
ममता ने इस सप्ताह राज्य के आठ हज़ार से ज़्यादा ग़रीब ब्राह्मण पुजारियों को एक हज़ार रुपए मासिक भत्ता और मुफ़्त आवास देने की घोषणा की। ममता बनर्जी ने राज्य में हिंदी भाषी वोटरों को अपने साथ जोड़ने के लिए तृणमूल कांग्रेस की हिंदी सेल का गठन किया है। इस सेल का चेयरमैन पू्र्व केंद्रीय मंत्री दिनेश त्रिवेदी को बनाया गया है। पश्चिम बंगाल हिंदी समिति का विस्तार करते हुए कई नए सदस्यों और पत्रकारों को इसमें शामिल किया गया है। वर्ष 2011 में पुनर्गठित हिंदी अकादमी में 13 सदस्य थे। यह तादाद अब बढ़ा कर 25 कर दी गई है।
इसके साथ ही सरकार ने पहली बार दलित अकादमी के गठन का एलान करते हुए सड़क से सत्ता के शिखर तक पहुंचने वाले मनोरंजन ब्यापारी को इसका अध्यक्ष बनाया है। दलित अकादमी के गठन के पीछे उनकी दलील है कि दलित भाषा का बांग्ला भाषा पर काफी प्रभाव है।

तुष्टिकरण?

वर्ष 2011 में राज्य की सत्ता में आने साल भर बाद ही ममता ने इमामों को ढाई हजार रुपए का मासिक भत्ता देने का एलान किया था। उनके इस फ़ैसले की काफी आलोचना की गई थी। कलकत्ता हाईकोर्ट की आलोचना के बाद अब इस भत्ते को वक़्फ़ बोर्ड के जरिए दिया जाता है। इसके बाद बीते साल उन्होंने 28 सौ दुर्गापूजा समितियों को दस-दस हज़ार रुपए की आर्थिक सहायता दी थी। तब भी उनकी आलोचना हुई थी।

बीजेपी अध्यक्ष जे. पी. नड्डा ने बीते सप्ताह ही तृणमूल कांग्रेस सरकार पर हिंदू-विरोधी सोच रखने और मुसलिम तुष्टिकरण की नीति पर चलने का आरोप दोहराया था। उसके दो दिन बाद ही ममता ने पुरोहितों को मासिक भत्ता और मकान देने का एलान किया। उनके इन फैसलों को नड्डा के आरोपों से भी जोड़ कर देखा जा रहा है।

बीजेपी का हमला

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ औऱ बीजेपी समेत दूसरे दल भी इन फ़ैसलों की आलोचना कर रहे हैं। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष कहते हैं,

'तृणमूल कांग्रेस बंगाल में बीजेपी के बढ़ते असर से डर गई है। इसी वजह से उन्होंने हिंदू और हिंदी भाषियों के वोटरों को लुभाने के लिए तमाम फ़ैसले किए हैं। लेकिन राज्य के लोग इस सरकार की हक़ीक़त समझ गए हैं। उनको अब ऐसा चारा फेंक कर मूर्ख नहीं बनाया जा सकता।'


दिलीप घोष, अध्यक्ष, पश्चिम बंगाल बीजेपी

संघ के वरिष्ठ नेता जिष्णु बसु का कहना है कि अगर सरकार हिंदुओं की सहायता ही करना चाहती थी तो वह राज्य के विभिन्न इलाक़ो में हिंसा में मरने वालों के परिजनों को सहायता दे सकती थी। राज्य में हिदुंओं का वज़ूद ही ख़तरे में है।

सीपीआईएम ने की आलोचना

सीपीआईएम के नेताओं ने भी ममता पर सांप्रदायिकता की राह पर चल कर बीजेपी और संघ के एजंडे को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है। सुजन चक्रवर्ती कहते हैं, 'बंगाल में बीजेपी की पैठ की वजह तृणणूल कांग्रेस ही है। सरकार अब असली मुद्दों को भुला कर सत्ता के मोह में सांप्रदायिकता की राह पर चलने लगी है।'
ममता बनर्जी इससे पहले हमेशा बंगाली अस्मिता और संस्कृति की बात उठाती रही हैं। पहली बार उन्होंने हिंदी भाषियों और दलितों का सवाल उठाया है। राज्य के कई इलाकों में हिंदी भाषियों की भारी तादाद है और कई सीटों पर उनके वोट ही निर्णायक हैं।
राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि धार्मिक आधार पर किए जाने वाले फ़ैसलों से धर्मनिरपेक्षता के मूल सिद्धांत का उल्लंघन होता है। राजनीतिक पर्यलेक्षक विश्वनाथ चक्रवर्ती कहते हैं, 'बीजेपी की मजबूत होती पैठ की वजह से राज्य का सामाजिक ढाँचा तेज़ी से बदल रहा है। बीते कई चुनावो में वोटरों का धार्मिक लाइन पर धुव्रीकरण देखने में आया है। अगले साल के अहम चुनावों से पहले यह प्रक्रिया और तेज़ होगी। 
बीजेपी से मुक़ाबले के लिए ममता उसके बिछाए जाल में ही फँसती जा रही हैं।' वह कहते हैं कि सरकार को धार्मिक आधार पर फ़ैसला करने की बजाय रोज़गार और निवेश जैसे मुद्दो पर ध्यान देना चाहिए था। लेकिन उन्होंने अपने ताज़ा फ़ैसलों से विपक्ष औऱ ख़ासकर बीजेपी को एक मजबूत हथियार दे दिया है।
सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
प्रभाकर मणि तिवारी

अपनी राय बतायें

पश्चिम बंगाल से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें