सरकार गठन पर तालिबान के प्रतिद्वंद्वी गुटों में विवाद की रिपोर्टों के बीच अब नया फ़ॉर्मूला सामने आया है। इसके तहत बेहद कम चर्चित नेता को अफ़ग़ानिस्तान का प्रधानमंत्री बनाया जा सकता है। मीडिया रिपोर्टों में सूत्रों के हवाले से ख़बर है कि तालिबान नेता मुल्ला हसन अखुंद को इस पद पर बैठाया जा सकता है। संयुक्त राष्ट्र की आतंकवादी सूची में शामिल अखुंद को प्रधानमंत्री के रूप में इसलिए चुने जाने की संभावना है क्योंकि तालिबान के प्रतिद्वंद्वी गुटों के बीच विवाद है और उन गुटों में समझौते के तहत इनका नाम आया है। नया फॉर्मूला बनाने में पाकिस्तान की भी भूमिका बताई जा रही है। तीन दिन पहले ही पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी के प्रमुख आईएसआई भी काबुल पहुँचे थे।
समझा जाता है कि तालिबान के ही कई गुटों के बीच मतभेद हैं और इसीलिए अब तक सरकार का गठन नहीं हो पाया है। हाल ही ख़बर आई थी कि सत्ता के सबसे बड़े दावेदार मुल्ला अब्दुल ग़नी बरादर तालिबान के ही सहयोगी हक्कानी नेटवर्क के साथ संघर्ष में घायल हो गए थे। यह संघर्ष कथित तौर पर उस शुक्रवार को ही हुआ जिस दिन की नमाज़ के बाद सरकार गठन की घोषणा होने वाली थी। तब ख़बर आई थी कि सरकार गठन की घोषणा अब बाद में की जाएगी।
तालिबान के ही गुटों में संघर्ष की इस ख़बर को तब और बल मिला जब पाकिस्तान की ख़ुफिया एजेंसी के प्रमुख फैज़ हमीद शनिवार को अचानक काबुल पहुँच गए थे। समझा जाता है कि फैज़ तालिबान के गुटों में अंदरुनी क़लह को शांत कराने गए थे। इसके बाद से ही सवाल उठ रहे हैं कि अफ़ग़ानिस्तान में सरकार गठन में क्या पाकिस्तान की भी अहम भूमिका होगी?
इसी बीच अफ़ग़ानिस्तान में सरकार गठन का नया फॉर्मूला सामने आया है। एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, नए फॉर्मूले के तहत, मुल्ला बरादर और मुल्ला उमर के बेटे मुल्ला याकूब के मुल्ला अखुंद के प्रतिनिधि के रूप में काम करने की संभावना है। टीवी चैनल ने सूत्रों के हवाले से ख़बर दी है कि हक्कानी नेटवर्क के सिराज हक्कानी गृह मंत्रालय जैसा कार्यभार संभाल सकते हैं। तालिबान के नेता हैबतुल्लाह अखुंदज़ादा के 'सर्वोच्च नेता' होने की संभावना है।
ऐसी अटकलें हैं कि पिछले हफ्ते पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई प्रमुख फैज़ हमीद के काबुल में प्रवास के दौरान आम सहमति बनी थी। वह अब इस्लामाबाद वापस लौट गए हैं।
प्रधानमंत्री पद के नये दावेदार मुल्ला हसन अखुंद तालिबान की लीडरशिप काउंसिल और 'रहबारी शूरा' के प्रमुख हैं और उन्होंने 2001 में अमेरिका के साथ युद्ध शुरू होने से पहले तालिबान-नियंत्रित अफ़ग़ानिस्तान में एक मंत्री के रूप में कार्य किया है।
इस नये फॉर्मूले पर पहुँचने से पहले पिछले शुक्रवार को ही ख़बर आई थी कि तालिबान सरकार गठित करने वाले हैं। तालिबान के ही अधिकारियों ने घोषणा की थी कि तालिबान नई सरकार की घोषणा करने के लिए तैयार है। उसने यह भी कहा था कि हफ़्तों में नहीं, बल्कि कुछ दिनों में ही इसकी घोषणा की जाएगी। इसके बाद मीडिया रिपोर्टों में सूत्रों के हवाले से कहा गया था कि शुक्रवार की नमाज़ के बाद इसकी घोषणा संभव है।
तब सूत्रों के हवाले से ख़बरें आई थीं कि सत्ता की कमान मुल्ला अब्दुल ग़नी बरादर के हाथ में होगी। तालिबान के जो चार बड़े नेता हैं, उनमें पहले नंबर पर तालिबान के प्रमुख मुल्ला हैबतुल्लाह अखुंदज़ादा हैं। अखुंदज़ादा के बारे में पहले ही ख़बर आ चुकी थी कि वह 'सुप्रीम लीडर' होंगे। तालिबान के प्रवक्ताओं ने इसकी घोषणा ताफ़ तौर पर की थी।
हालाँकि जब शुक्रवार के बाद भी सरकार का गठन नहीं हो पाया तो रिपोर्ट आई कि हक्कानी और तालिबान के दूसरे गुट ही हैबतुल्लाह अखुंदज़ादा को सुप्रीम लीडर मानने को तैयार नहीं हैं और इसी वजह से सत्ता संघर्ष की ख़बरें आईं। लेकिन अब लगता है कि नये फॉर्मूले पर सरकार का गठन जल्द हो जाएगा।
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