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क्या कोरोना बनेगा ट्रंप की हार का कारण 

अमेरिकी मीडिया के अनुसार जब ट्रंप कोरोना पॉजिटिव पाए गए तो कई सलाहकारों का कहना था कि इस मौक़े का लाभ उठाकर एक भावपूर्ण संदेश अमेरिकी जनता को दिया जा सकता है लेकिन ट्रंप ने बीमारी का इलाज भी पूरा नहीं किया और बहत्तर घंटों मे व्हाइट हाउस लौट गए। इसके क्या संकेत हैं? क्या वह राष्ट्रपति चुनाव हार रहे हैं? आख़िर वह ख़ुद के मज़बूत होने का संदेश क्यों देना चाह रहे हैं?
जे सुशील अमेरिका से

अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव छवियों का खेल बन कर रह गया है जिसके कारण वोटर अब भ्रमित कम और चिढ़े हुए अधिक लग रहे हैं।

कोरोना पॉजिटिव होने के बाद बहत्तर घंटों में ही राष्ट्रपति ट्रंप न केवल अस्पताल से लौट गए बल्कि व्हाइट हाउस की बालकनी में आकर मास्क उतार कर खड़े रहे। उनका संदेश सीधा था- वो एक मज़बूत राष्ट्रपति हैं जो वायरस से डरे नहीं बल्कि लड़े। लेकिन लोगों में क्या संदेश गया है ये अब धीरे-धीरे लोग वोटों के ज़रिए बता रहे हैं।

यहाँ यह बताना ज़रूरी है कि अमेरिका में वोटिंग की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। भले ही तीन नवंबर एक तारीख़ है वोट डालने की लेकिन पोस्टल बैलेट के ज़रिए हर राज्य में कुछ समय पहले ही प्रक्रिया शुरू हो जाती है। मसलन, मैं जहाँ रहता हूँ उस राज्य में छह हफ्ते पहले ही यह प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। मेरे परिचितों में कई लोग पहले ही पोस्ट बैलेट के ज़रिए अपना वोट डाल चुके हैं।

वीडियो विश्लेषण में देखिए, कोरोना से ट्रंप को कितना नुक़सान...

डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार जो बाइडेन ने इसी वोटिंग का हवाला देकर कहा था कि राष्ट्रपति को नया जज नियुक्त नहीं करना चाहिए लेकिन ट्रंप ठहरे ट्रंप। वह जो एक बार ठान लेते हैं तो वह अपने सलाहकारों की भी नहीं सुनते। अमेरिकी मीडिया के अनुसार जब ट्रंप कोरोना पॉजिटिव पाए गए तो कई सलाहकारों का कहना था कि इस मौक़े का लाभ उठाकर एक भावपूर्ण संदेश अमेरिकी जनता को दिया जा सकता है लेकिन ट्रंप ने बीमारी का इलाज भी पूरा नहीं किया और बहत्तर घंटों मे व्हाइट हाउस लौट गए। हो सकता है कि उनके समर्थकों को यह संदेश गया हो कि वह एक साहसी शख्सियत हैं लेकिन डॉक्टर उनके इस क़दम को लेकर आश्वस्त नहीं हैं।

लौटने के बाद जारी एक वीडियो संदेश में उन्होंने कहा कि अमेरिका के पास दुनिया की सबसे बेहतरीन दवाइयाँ हैं और कोरोना से डरना नहीं चाहिए। हालाँकि ट्रंप यह बात गोल कर गए कि जो सुविधाएँ और दवाइयाँ उन्हें उपलब्ध हैं वो अमेरिका के हर नागरिक को मुहैया नहीं हो सकती हैं क्योंकि जैसा कि लोग जानते हैं कि बिना इंश्योरेंस के अमेरिका में इलाज़ लगभग असंभव है। 

अकेले अमेरिका में पिछले छह महीनों में दो लाख से अधिक लोग कोरोना वायरस के कारण मारे जा चुके हैं लेकिन ट्रंप अपने किसी भाषण में इस आँकड़े का ज़िक्र नहीं करते हैं। 

इतना ही नहीं, सोमवार को जब ट्रंप अस्पताल से निकले तो अस्पताल के डॉक्टरों ने पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए यहाँ तक कहा कि वह इस बात पर टिप्पणी नहीं कर सकते कि राष्ट्रपति कोरोना के बारे में क्या राय रखते हैं या वह क्या कह रहे हैं।

इसका सीधा मतलब निकाला जा रहा है कि ट्रंप और डॉक्टरों की कोरोना के बारे में राय अलग-अलग है।

फ़िलहाल ट्रंप और उनके आसपास रहने वाले तीस लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं जिनमें उनकी पत्नी मेलानिया ट्रंप के अलावा व्हाइट हाउस की प्रेस सलाहकार और कई अन्य महत्वपूर्ण लोग भी शामिल हैं। फ़िलहाल आशंका जताई जा रही है कि चूँकि ट्रंप ने कोरोना का अपना इलाज पूरा नहीं कराया है इसलिए व्हाइट हाउस में उनके संपर्क में आने वाले और लोग भी कोरोना से प्रभावित हो सकते हैं।  

‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ की रिपोर्ट के अनुसार पिछले छह महीनों में व्हाइट हाउस में मास्क को लेकर भी कोई निश्चित रणनीति नहीं थी और इमारत में जाने वाले व्यक्ति का रैपिड टेस्ट किया जाता था। ख़बर के अनुसार कई लोग जो मास्क पहन रहे थे, उनका मज़ाक़ उड़ाया जाता था और इस कारण कई लोग व्हाइट हाउस बिल्डिंग में अपने मास्क जेबों में रखा करते थे।

मास्क का मज़ाक़ उड़ा रहे ट्रंप 

ट्रंप अभी भी मास्क का मज़ाक़ उड़ा रहे हैं जैसा कि वह डिबेट में यह कह चुके हैं कि बाइडेन दुनिया का सबसे बड़ा मास्क पहन कर घूमते हैं। दुनिया भर में कोरोना को हल्के में लेने वाले तीन राष्ट्राध्यक्ष कोरोना का सामना कर चुके हैं जिनमें ब्रितानी प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन, ब्राज़ील के राष्ट्रपति बोलसानारो और अब ट्रंप शामिल हैं।

लेकिन अभी भी बीमारी की गंभीरता को लेकर ट्रंप गंभीर नहीं दिख रहे हैं। फ़िलहाल उन्होंने अमेरिकी ड्र्ग्स प्राधिकारण के उन नियमों को धता बताया है जिसके अनुसार वैक्सीन को पास करने के लिए कई परीक्षणों का प्रस्ताव है।

ट्रंप चाहते हैं कि किसी भी तरह तीन नवंबर से पहले वह कोरोना की वैक्सीन की घोषणा कर दें ताकि उन्हें चुनाव में फ़ायदा हो और ये फ़ैसला उसी रणनीति का हिस्सा है।

हालाँकि अमेरिकी लोग जानते हैं कि वैक्सीन की घोषणा अगर हो भी जाए तो कितने लोगों को यह मुफ्त में मिलेगी इसकी गारंटी कोई नहीं दे सकता है। अमेरिका में यह एक अजीबोगरीब स्थिति बन चुकी है जहाँ लोग ट्रंप के किसी भी तरह के निर्णय से चकित होना बंद कर चुके हैं लेकिन साथ ही उन्हें बाइडेन से भी बहुत उम्मीदें नहीं हैं।

मैंने अपने आसपास जितने भी लोगों से बात की है उनमें एक गहरी निराशा दिखी है। हालाँकि वो सभी लोग डेमोक्रेट समर्थक हैं लेकिन उनका कहना था कि डिबेट में बाइडेन ने कई मौक़े गँवाए जब वो ट्रंप का मुँह बंद कर सकते थे लेकिन बाइडेन शांत रहे। 

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हो सकता है कि यह रणनीति हो बाइडेन की लेकिन युवा डेमोक्रेट्स बाइडेन के इस रवैये से ख़ुश नहीं हैं। संभव है कि अगली डिबेट में बाइडेन और आक्रामक दिखें लेकिन ट्रंप की आक्रामकता के सामने वो कितना ठहर पाएँगे यह डिबेट में ही दिखेगा।

चुनाव में अब एक महीने से भी कम समय बचा है और सारे चुनाव सर्वेक्षणों में बाइडेन औसतन सात अंकों से आगे चल रहे हैं। दूसरी तरफ़ इलेक्टोरल कॉलेज के वोटों में बाइडेन ने बड़ी लीड बना रखी है और अगर वो पॉपुलर वोट हार भी जाते हैं तो चुनाव सर्वेक्षणों के मुताबिक़ बाइडेन की जीत निश्चित लग रही है पर क्या ट्रंप यह हार आसानी से स्वीकारेंगे।

इसके लिए नवंबर के महीने का इंतज़ार करना होगा।

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जे सुशील अमेरिका से

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