वैसे तो दिल्ली के शाहीन बाग़ जैसा प्रदर्शन पूरे देश को छोड़िए पंजाब में भी कई जगहों पर चल रहा है, लेकिन राज्य में संगरूर के मलेरकोटला का ‘शाहीन बाग़’ ख़ास है।
अकाली-बीजेपी गठबंधन अब कितने दिन तक रह पाएगा? यदि यह गठबंधन टूटता है तो महाराष्ट्र में शिवसेना और झारखंड में आजसू के बाद तीसरा दल होगा जो बीजेपी से ख़ुद को अलग कर लिया होगा।
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाये जाने के बाद लगे प्रतिबंंधों के कारण हालात बेहद ख़राब हैं और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी सभी जगह इंटरनेट चालू नहीं हुआ है।
नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ चल रहे आन्दोलन ने पंजाब की अर्थव्यवस्था पर गहरा असर डाला है। वहाँ बड़े उद्योगपति ही नहीं छोटे और मझोले व्यापारी तक इसकी चपेट में आ गए हैं।
नागरिकता क़ानून का विरोध कर रहे जामिया मिल्लिया इसलामिया के छात्रों पर दिल्ली पुलिस की कार्रवाई के ख़िलाफ़ पंजाब के कई विश्वविद्यालयों, कॉलेजों में प्रदर्शन किए गए।
अमित शाह ने जैसे ही लोकसभा में बताया कि पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के हत्यारे बलवंत सिंह राजोआना की फाँसी की सज़ा बरक़रार है तो पंजाब की राजनीति में नया तूफ़ान आ गया।
सिखों की पार्लियामेंट मानी जाने वाली शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी यानी एसजीपीसी पर फिर बादलों की अगुवाई वाले शिरोमणि अकाली दल का क़ब्ज़ा हो गया है। इसके सियासी मायने क्या हैं?
भारत-पाकिस्तान के प्रधानमंत्रियों द्वारा अपने-अपने देश की हदों में किए गए उद्घाटन समारोहों के बाद, 9 नवंबर से करतारपुर गलियारा बाक़ायदा शुरू हो गया। इससे दिलों के बीच की दूरियाँ तो मिटेंगी, लेकिन क्या राजनीतिक ख़तरे नहीं बढ़ेंगे?