जम्मू-कश्मीर से धारा 370 और 35 ए हटाए जाने को एक साल बीत गया है। इस एक साल में ये राज्य कितना बदला है? अवाम कितना खुश हैं? और क्या वे वादे पूरे होते दिख रहे हैं जो इन धाराओं को हटाते वक़्त किए गए थे? वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार ने कश्मीर टाइम्स की एक्ज़ीक्यूटिव एडिटर अनुराधा भसीन से इन्हीं सब सवालों पर बात की। पेश है बातचीत के महत्वपूर्ण अंश
धारा 370 हटाए जाने के बाद कश्मीर के हालात कितने बदले हैं, वहाँ के अवाम क्या सोच रहे हैं, वे नाउम्मीद हैं या उन्हें इसे अँधेरे में उम्मीद की कोई रौशनी दिखलाई दे रही है। पेश है वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की श्रीनगर स्थित वरिष्ठ पत्रकार हारुन रेशी से बेबाक बातचीत।
प्रियंका का ट्वीट क्या काँग्रेस का सरेंडर है? क्या कोई विकल्प न होने के कारण उसे ऐसा करना पड़ा है या फिर बीजेपी से निपटने के लिए उसने नरम हिंदुत्व की रणनीति अपना ली है? वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की विवेचना।
न्यूयार्क टाइम्स की एक खोजी रिपोर्ट में जर्मनी में अतिवादी जर्मनों के बारे में बहुत ही ख़तरनाक़ जानकारियों का खुलासा किया गया है। इस रिपोर्ट के मुताबिक दक्षिणपंथी नस्लवादी संगठित हो रहे हैं और उनकी घुसपैठ सेना और पुलिस तक में हो गई है। वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की रिपोर्ट
भारतीय राजनीति के एक दिलचस्प किरदार अमर सिंह को किसलिए जाना जाएगा... उन्होंने राजनीति को क्या दिया है.... वे ऐसा क्या कर गए हैं जिसकी एक स्थायी छाप भारतीय राजनीति पर हमेशा देखी जाती रहेगी और उसे देखकर उनको याद किया जाता रहेगा। वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की रिपोर्ट
क़रीब ढाई सौ जाने माने नेता, पत्रकार और बुद्धिजीवियों ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से दिल्ली दंगों की निष्पक्ष जाँच करवाने की माँग की है। लेकिन केंद्र सरकार के रुख़ को देखते हुए क्या यह मुमकिन हो पाएगी? मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की वरिष्ठ नेता बृंदा कारत से वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार ने बातचीत की। पेश हैं उसके अंश।
हालाँकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प चुनाव टालने की इच्छा ज़ाहिर करने के बाद फँस गए हैं और बहाने बनाने लगे हैं, मगर ये स्पष्ट हो गया है कि वे अपनी जीत के प्रति आश्वस्त नहीं हैं। तो क्या हार के डर से वे चुनाव आगे बढ़ाना चाहते थे और क्या ऐसा करके वे अपनी जीत सुनिश्चित कर सकते हैं? वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की रिपोर्ट
दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर हैनी बाबू की गिरफ़्तारी से बौद्धिक एवं सांस्कृतिक जगत में ज़बर्दस्त गुस्सा है। उसने इसे बुद्धिजीवियों को कुचलने के सिलसिले की नई कड़ी बताया है। आख़िर सरकार ने क्यों हैनी बाबू को गिरफ़्तार किया है, क्या है उनका कसूर? वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की रिपोर्ट।
भारतीय वायुसेना को पाँच राफेल विमान मिलने से निश्चय ही उसकी मारक क्षमता में इज़ाफ़ा करेगा, मगर उतना नहीं जितना कि मीडिया बता रहा है। वह मोदी सरकार की नाकामियों से ध्यान हटाने के लिए ऐसा कर रहा है मगर चीन के मुकाबले अभी भी हमारी वायुसेना कई मामलों में पीछे है, इसलिए किसी भी तरह का मुग़ालता पालना घातक हो सकता है। पेश है वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की रिपोर्ट-
एक करोड़ के आसपास की आबादी वाले यूनाइटेड अरब अमीरात ने कोरोना पर तो काफी हद तक नियंत्रित कर लिया है, मगर वहाँ की पचासी फ़ीसदी आबादी बेरोज़गारी के खौफ़ में जी रही है। पेश है आबूधाबी में रह रहीं एचआर कन्सल्टेंट निशि शेट्टी से वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की बातचीत।
उमर गुस्से में हैं, निराश हैं, उन्हें देश के राजनीतिक दलों से शिकायतें हैं, वे चुनाव न लड़ने की बात कर रहे हैं। लेकिन बहुत सारे लोगों को लग रहा है कि केंद्र सरकार के साथ उन्होंने कोई डील कर ली है इसलिए धारा 370 के मामले में वे खामोश हैं। वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की रिपोर्ट।
कोरोना महामारी से ग्रस्त अमेरिका में हालात सुधरने के नाम नहीं ले रहे। अब तो उम्मीदें वैक्सीन पर टिकी हुई हैं। अमेरिकी कंपनियाँ युद्ध स्तर पर अपने प्रयोगों को आगे बढ़ा रही हैं। पेश है वाशिंगटन में रह रही वैज्ञानिक डॉ. इंद्राणी बरुआ से इस मुद्दे पर बातचीत।
पाँच अगस्त को अयोध्या में राम मंदिर के भूमि पूजन की घटना को जिस तरह से योजना बनाई जा रही है, वे क्या ये नहीं बतातीं कि इसका इस्तेमाल चुनावी राजनीति के लिए किया जा रहा है? वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की रिपोर्ट।
अमेरिका कोरोना वायरस से सबसे ज़्यादा प्रभावित देश है, मगर उससे लड़ने के मामले में वह अंदर ही अंदर बुरी तरह विभाजित भी है। न केवल राजनीतिक स्तर पर बल्कि सामाजिक स्तर पर भी ये बँटवारा देखा जा सकता है। अमेरिका में रह रहीं रचना नाथ ने इस बारे में वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार को विस्तार से बताया।
छह महीनों बाद भी अमेरिका में हालात बदतर बने हुए हैं। कोरोना महामारी से लड़ने में ट्रम्प सरकार की नाकामी हर जगह देखी जा सकती है। मेफिस यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर डॉ. सुभाष झा से वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार ने बातचीत करके पूरा ब्यौरा लिया।
तेलंगाना हाईकोर्ट ने नफ़रत फैलाने वाली सामग्री को प्लेटफॉर्म देने के लिए ट्वीटर को फटकार लगाई है। लेकिन मामला केवल ट्विटर तक सीमित नहीं है सोशल मीडिया के दूसरे प्लेटफॉर्म पर भी यही हो रहा है। दिक्कत ये है कि जब सरकार सोई हुई है तो कौन रोकेगा? इसे वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की रिपोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने जाने माने वकील प्रशांत भूषण के ख़िलाफ़ अदालत की अवमानना के मामले में सुनवाई शुरू कर दी है। लेकिन क्या सचमुच में अवमानना का मामला बनता है या फिर प्रशांत को सबक सिखाने की कोशिश की जा रही है। जाने माने राजनीतिक कार्यकर्ता योगेंद्र यादव से वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार ने इस मसले पर बातचीत की।
राजस्थान में काँग्रेस सरकार पर आए संकट को एक हफ़्ते से ज़्यादा हो गया मगर काँग्रेस हाईकमान की ओर से कोई बयान नहीं आया। आए दिन ट्वीट करने वाले राहुल, प्रिंयका भी खामोश हैं। इस खामोशी का क्या मतलब है, बता रहे हैं वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार
चार महीने हो गए हैं मगर इंदौर में कोरोना का संक्रमण रोके नहीं रुक रहा। इसकी क्या वजह है राजनीतिक स्थिरता, प्रशासन की लापरवाही या आपदा में अवसर ढूँढते अफ़सरों-क़ारोबारियों का भ्रष्टाचार? वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार ने इंदौर में दो जाने माने पत्रकार प्रकाश हिंदुस्तानी और रमण रावल से बातचीत की।
अब इसमें कोई शक़ नहीं रह गया है कि मोदी सरकार की विदेश नीति चारों खाने चित हो गई है। पड़ोसियों से संबंध तो बिगड़े ही हैं, अंतरराष्ट्रीय छवि भी धूमिल हुई है। लेकिन क्या सरकार सचाई स्वीकार करके विदेश नीति को बदलेगी वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की रिपोर्ट।
बीजेपी सरकार ने ये लगभग नियम सा बना लिया है कि अगर कोई सरकार गिरानी हो और अगर केवल प्रलोभन से काम न चल रहा हो तो इनकम टैक्स, सीबीआई और ईडी को लगा दो। इनके ज़रिए इतना आतंक पैदा कर दो कि कई विधायक घबराकर ही दल बदल करने को तैयार हो जाएँ। वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार ने दो वरिष्ठ पत्रकारों एन के सिंह और उर्मिलेश से इस मुद्दे पर बातचीत की।
पाकिस्तान में कोरोना महामारी के असर और इमरान ख़ान से बढ़ती निराशा पर लाहौर स्थित पत्रकार सज्जाद अज़हर पीरज़ादा से वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की बातचीत।
ग़ाज़ियाबाद में पत्रकार विक्रम जोशी की दिन दहाड़े हत्या ने एक बार फिर से इस सचाई को रेखांकित किया है कि उत्तरप्रदेश में कानून-व्यवस्था नाम की चीज़ नहीं रह गई है। योगी सरकार भले ही ये गाते रहे कि प्रदेश में अपराधी या तो जेल में हैं या यमराज के पास मगर अब हर कोई कहने लगा है कि यूपी में जंगल राज है। ऐसी स्थिति क्यों आई, बता रहे हैं वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार।
अररिया की अदालत ने 11 जुलाई को दुष्कर्म पीड़िता और उसकी दो सहयोगियों को अदालत की अवमानना के आरोप में जेल भेज दिया था। देश भर में हंगामा मचने के बाद पीड़िता को छोड़ दिया गया मगर तन्मय निवेदिता और कल्याणी बडोला अभी भी जेल में हैं। सवाल उठता है उनको कब छोड़ा जाएगा? वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार ने अररिया में जन जागरण शक्ति संगठन के लिए काम कर रहे कामायनी और आशीष से इस बारे में बात की।