पश्चिम बंगाल की मु्ख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सार्वजनिक रूप से अपना गोत्र शांडिल्य बताया है। हालांकि उन्होंने इसे वोट से नहीं जोड़ा है, पर उनका मक़सद साफ है, वह यह बताना चाहती हैं कि वह हिन्दू हैं, ब्राह्मण हैं और उसमें भी उच्च गोत्र की कन्या हैं।
मुसलमानों को आरक्षण, मदरसे खोलने के फ़ैसले और मुसलिमों के विकास के लिए अब तक सबसे ज़्यादा पैसा देने के राज्य सरकार के फ़ैसलों पर मुहर लगाने वाले शुभेंदु अधिकारी अब कहते फिर रहे हैं कि तृणमूल कांग्रेस जीत गई तो नंदीग्राम 'मिनी पाकिस्तान' बन जाएगा।
मातुआ एक हिन्दू वैष्णव पंथ है, जिसकी स्थापना 1860 में हरिचाँद ठाकुर ने की थी। मातुआ पंथ में यकीन करने वालों का कहना है कि हरिचाँद ठाकुर विष्णु के अवतार थे, जिन्हें ईश्वर ने इस पृथ्वी पर धर्म फैलाने के लिए भेजा था।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2021 के ठीक पहले महिश्या समुदाय को आरक्षण देने का ऐलान कर राज्य के चुनावी गणित में जाति को महत्वपूर्ण समीकरण के रूप में इस्तेमाल करने की रणनीति अपनाई है।
हरियाणा सरकार ने निजी कंपनियों से कहा है कि वह अपनी ज़रूरत के 75 प्रतिशत कर्मचारी राज्य से रखें। इससे जुड़ा अधिनियम राज्य विधानसभा से पारित हो चुका है और राज्यपाल ने उस पर मुहर भी लगा दी है।
लगभग तीन महीने से दिल्ली के पास पंजाब के किसानों के धरने से कई सवाल खड़े होते हैं। इनमें से ज़्यादातर किसान उस पंजाब के हैं, जो हरित क्रांति का केंद्र बना।
क्या बीजेपी पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2021 के पहले ‘राम बनाम दुर्गा’ का समीकरण खड़ा कर उसके जाल में टीएमसी को फँसाना चाहती है? क्या ‘राम बनाम दुर्गा’ बीजेपी नेताओं के पितृसत्तात्मक सोच का नतीजा है?
देश की 70 प्रतिशत आबादी के खेती-किसानी पर निर्भर रहने के बावजूद क्यों कोई सरकार उनकी मूलभूत समस्याओं का समाधान खोजने में गहरी दिलचस्पी नहीं लेती है या अब तक समाधान ढूंढ नहीं पायी है।
क्या फुरफुरा शरीफ़ के पीरज़ादा ममता को कमज़ोर करने के लिये काम कर रहे हैं या फिर उनके इरादे कुछ और हैं? क्या मुसलमान वोटर वाकई ममता को छोड उनकी पार्टी को वोट भी देगा, यह भी बडा सवाल है?
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने नंदीग्राम से चुनाव लड़ने का एलान कर न सिर्फ बीजेपी के दाँव को उलट दिया है, बल्कि उसे उसी के जाल में फँसा दिया है।
क्या भारतीय जनता पार्टी पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2021 के पहले सांप्रदायिक आधार पर वोटों का ध्रुवीकरण करना चाहती है ताकि वह बहुसंख्यक हिन्दू वोटों को अपनी ओर खींच सके?
केंद्र सरकार ने जल्दबाजी में और किसानों से बग़ैर पूर्व सलाह मशविरा के कृषि क़ानून पारित करने के आरोप को एक बार फिर ख़ारिज कर दिया है। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि इन क़ानूनों पर बातचीत दो दशक से भी लंबे समय से चल रही थी।
क्या अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप पर राजद्रोह का मामला बनता है? क्या 20 जनवरी को कार्यकाल ख़त्म होने के पहले ही संविधान के 25वें संशोधन का इस्तेमाल कर उन्हें पद से हटाया जा सकता है?
क्या पश्चिम बंगाल के गौरव के प्रतीक माने जाने वाले क्रिकेटर सौरव गांगुली जल्द ही भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो जाएंगे? क्या बीजेपी ममता बनर्जी की लोकप्रियता की काट के रूप में उन्हें विधानसभा चुनाव में मैदान में उतारेगी?
पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2021 जैसे-जैसे नज़दीक आता जा रहा है, बंगाली अस्मिता के सबसे बड़े प्रतीकों में एक नेताजी सुभाष चंद्र बोस को अपनाने की बीजेपी की कोशिशें तेज़ होती जा रही हैं।
भारतीय जनता पार्टी भले ही यह दावा करे कि 75 सीटों के साथ वह सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है, सच यह है कि हिन्दू-बहुल और पारंपरिक गढ़ जम्मू में भी उसे सिर्फ 37.3 प्रतिशत वोट ही मिले हैं, जो बहुमत से काफी कम है।
पश्चिम बंगाल के चुनावों पर घमासान जारी है। भारतीय जनता पार्टी ज़बर्दस्त तरह से हमलावर हैं। बीजेपी अपने पूरे चुनाव प्रचार में ममता बनर्जी को घेरने के लिये मुसलिम तुष्टिकरण के बेहद तीखे और सांप्रदायिक आरोप मढ़ रही है।
जिस पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री पर मुसलमानों के तुष्टिकरण का आरोप लगता है, जिस राज्य में हिन्दू-मुसलमान विभाजन की राजनीति अभी भी जड़ें नहीं जमा पाई है, वहां मुसलमानों की बात करने वाले असदउद्दीन ओवैसी क्या कहेंगे?
बिहार विधानसभा चुनाव में पाँच सीटें जीत कर सबको हैरत में डालने के बाद ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलिमीन (एआईएमआईएम) ने अब पश्चिम बंगाल का रुख किया है।
ऐसे समय जब पूरी दुनिया में वामपंथ का मर्सिया पढ़ दिया गया है, भारत में दक्षिणपंथी और विभाजनकारी ताक़तें हावी हैं और बीजेपी व नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता बढ़ती ही जा रही है, इसके उलट वामपंथी दलों ने बिहार में ज़बरदस्त चुनावी नतीजे लाकर सबको हैरत में डाल दिया है।
ऐसे समय जब रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनल्ड ट्रंप डोमोक्रेट उम्मीदवार जो बाइडन से लगभग 40 सीटों से पीछे चल रहे हैं और उनका जीतना बेहद मुश्किल हो चुका है, उनकी प्रचार टीम ने पेनसिलविनिया, मिशिगन और विस्कॉन्सिन में अदालत का दरवाजा खटखटाया है।
अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के अब बस कुछ घंटे ही रह गए हैं। अटकले तेज़ है कि कौन चुनाव जीतेगा। साथ ही एक सवाल उभर कर सामने आ रहा है कि अगर ट्रंप चुनाव हार गये तो क्या वो पूरी शालीनता से पद छोड देंगे?