महाराष्ट्र के ताज़ा राजनीतिक घटनाक्रम में जो सबसे बड़ा सवाल है, वह यह कि क्या बीजेपी शिवसेना, कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के विधायकों को तोड़ने में सफल हो पाएगी?
महाराष्ट्र में अजीत पवार ने एनसीपी के ख़िलाफ़ जो बग़ावत की है उससे और पुराने घटनाक्रमों से यह साफ़ होता है कि राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए ही उन्होंने यह क़दम उठाया है।
बड़ा सवाल यह है कि क्या अजीत पवार का एनसीपी तोड़ने का पूरा खेल ख़राब हो गया है? विधायक धनंजय मुंडे के वापस पार्टी की बैठक में लौटने से यह बात अब चर्चा में है।
महाराष्ट्र में रात के अंधेरे में जो अंधी राजनीति की गई और जिस तरह रातोंरात राज्य का सबसे बड़ा सत्ता परिवर्तन हो गया, क्या शरद पवार उससे बिल्कुल अनजान थे?
संजय राउत ने मीडिया से कहा कि शनिवार को शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और कांग्रेस, तीनों ही पार्टियों के नेता अपने विधायकों के पत्र राज्यपाल को सौंप देंगे।
भारतीय राजनीति में ग़ैर-कांग्रेसवाद का एक बड़ा दौर रहा है लेकिन अब क्या देश आने वाले समय में ग़ैर-भाजपावाद की राजनीति की ओर बढ़ने वाला है? क्या कांग्रेस विचारधारा से समझौता करेगी?
महाराष्ट्र में जब से शिवसेना ने अपने 30 साल के राजनीतिक साथी बीजेपी से अलग होकर नए विकल्पों की राह पकड़ी है, दोनों पार्टियों में ‘रार’ है कि थमने का नाम नहीं ले रही है।
मुख्यमंत्री शिवसेना का होगा, यह दावा भले ही शिवसेना बरसों से कर रही है लेकिन आज उसके इस ख़्वाब को साकार कराने में शरद पवार की ही महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी।
महाराष्ट्र में क्या अब विधायकों की ख़रीद-फ़रोख्त शुरू हो गयी है? कांग्रेस के वरिष्ठ नेता विजय वडेट्टीवार ने कहा कि बीजेपी की तरफ़ से शिवसेना के एक-एक विधायक को 50-50 करोड़ रुपये का ऑफर दिया गया है।
महाराष्ट्र में सरकार के गठन को लेकर जारी घमासान अब निर्णायक मोड़ पर पहुंचने वाला है। सरकार गठन की अंतिम तारीख़ 9 नवंबर है लेकिन अब तक बीजेपी-शिवसेना में पटरी ही नहीं बैठ रही है।
महाराष्ट्र में पिछले दो सप्ताह से नेता मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए संघर्ष कर रहे हैं, जबकि प्रदेश के मराठवाड़ा क्षेत्र में पिछले चार दिनों के दौरान 10 किसानों की आत्महत्या के मामले सामने आए हैं।