देश में कोरोना वैक्सीन अगले महीने से लगनी शुरू होनी है। लेकिन इससे पहले ही इस पर फ़तवे की तलवार लटक गई है। मुसलिम धर्म गुरुओं नें कोरोना वैक्सीन के हलाल या हराम होने को लेकर बहस छेड़ दी है।
बैठक में भले ही अगस्त में सोनिया गांधी को नेतृत्व के सवाल पर चिट्ठी लिखने वाले नेताओं ने अपने तेवर ढीले कर राहुल गांधी के दोबारा अध्यक्ष बनने का रास्ता साफ़ कर दिया हो लेकिन उनकी नाराज़गी पूरी तरह ख़त्म नहीं हुई है।
राहुल गांधी दोबारा कांग्रेस अध्यक्ष हो सकते हैं। कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ पार्टी के पदाधिकारियों और वरिष्ठ नेताओं की अहम बैठक के बाद इस आशय के पुख़्ता संकेत मिले हैं।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल का बुधवार तड़के निधन हो गया। कैसा था उनका व्यक्तित्व और स्वभाव, बता रहे हैं वरिष्ठ पत्रकार यूसुफ़ अंसारी अपने व्यक्तिगत अनुभव।
सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखने वाले 23 कांग्रेसी नेताओं में आज़ाद अकेले ऐसे नेता थे जिन्होंने कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक के बाद मीडिया में खुलकर अपनी बात रखी।
संसद के मानसून सत्र में कांग्रेस लद्दाख में चीनी घुसपैठ, लगातार डूबती अर्थव्यवस्था, तेज़ी से बढ़ती बेरोज़गारी और सरकारी उपक्रमों के निजीकरण के मुद्दों पर मोदी सरकार और ख़ास कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को घेरेंगी।
पांच सदस्यों वाली इस कमेटी में उन 23 नेताओं में से एक को भी जगह नहीं दी गई है जिन्होंने पार्टी नेतृत्व में बदलाव और कार्यशैला में सुधार की मांग करते हुए सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखी थी।
सोनिया गांधी को कांग्रेस का अंतरिम अध्यक्ष बने पूरा एक साल हो गया है। पिछले साल 10 अगस्त को उन्हें पार्टी का नया अध्यक्ष चुने जाने तक अंतरिम अध्यक्ष बनाया गया था
सचिन पायलट की बग़वात से कांग्रेस की राजस्थान सरकार संकट में है। सचिन पायलट ने बीजेपी नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया से मुलाक़ात की है। लगता है कि अशोक गहलोत सरकार इस तूफ़ान की भेंट चढ़ जाएगी।
क्या कांग्रेस में सबकुछ ठीक ठाक है या फिर पार्टी फिर किसी उथल-पुथल के दौर से गुज़रने वाली है? यह सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि लंबे समय से पार्टी के भीतर चली आ रही ख़ामोशी अब टूटने लगी है।
तब्लीग़ी जमात के मुखिया मौलाना साद के ख़िलाफ़ आए दिन क़ानूनी शिकंजा कसने की ख़बरें आती हैं लेकिन सवाल यह है कि दिल्ली पुलिस उन्हें गिरफ़्तार क्यों नहीं कर रही है?
लॉकडाउन की वजह से इस बार रमज़ान की रौनक फीकी हो गयी है। तमाम इसलामिक इदारों ने फतवा जारी कर मुसलमानों से रमज़ान के दौरान घर पर ही इबादत करने को कहा है।
पिछले कई दिनों से तब्लीग़ी जमात और दिल्ली के हज़रत निज़ामुद्दीन स्थित उसका मरकज़ तमाम मीडिया चैनलों और अख़बारों की सुर्ख़ियाँ बना हुआ है। ऐसे में सवाल यह है कि तब्लीग़ी जमात क्या है?
आज भी जब कभी मुग़ल काल के बादशाहों का ज़िक्र होता है तो औरंगज़ेब और दारा शिकोह बरबस ही आमने-सामने खड़े होते दिखते हैं। यह एक ऐसी कहानी है जिसमें भाई भाई का न हुआ, बेटा बाप का न हुआ और बाप बेटों का नहीं हुआ।