जींद में हुई सुरजेवाला की बुरी हार ने कांग्रेस को झटका दिया है। राहुल गाँधी ने इस चुनाव को प्रतिष्ठा का सवाल बना लिया था,अब उनके फ़ैसले पर सवाल उठ रहे हैं।
मोदी सरकार ने वक़्फ़ की संपत्ति पर क़ब्ज़ा जमाए बैठे लोगों को 10 साल और क़ाबिज़ रहने की मोहलत दे दी है। सरकार का तर्क है कि यूपीए सरकार में बना क़ानून व्यावहारिक नहीं था।
लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस कार्यकर्ताओं से ‘शक्ति’ ऐप के ज़रिये चुनावी मुद्दों से संबंधित फ़ीडबैक तो पार्टी लेगी, लेकिन उम्मीदवारों के बारे में रायशुमारी नहीं करेगी।
जाने-माने धर्मगुरु मौलाना महमूद मदनी ने जमीयत उलमा-ए-हिंद के महासचिव पद से इस्तीफ़ा दे दिया है। उन्होंने अपना इस्तीफ़ा मौलाना क़ारी मोहम्मद उस्मान मंसूरपुरी को भेजा है।
उत्तर प्रदेश में अकेले चुनाव लड़ने के कांग्रेस आलाकमान के फ़ैसले से प्रदेश इकाई में ख़ासी बेचैनी है। छोटे-बड़े नेता और चुनाव लड़ने की चाहत रखने वाले लोग परेशान हैं।
कांग्रेस ने कार्यकर्ताओं में जोश भरने और मुसलमानोंं को संकेत देने के लिए यूपी में अकेले चुनाव लड़ने का एलान आनन फानन में कर दिया, पर वह छोटे दलो के लिए दरवाजा खुला रखना चाहती है।
दिल्ली में दो दिन चली बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक इस उम्मीद के साथ ख़त्म हुई के सवर्णों के लिए 10% आरक्षण और राम मंदिर के मुद्दे पर हो रहा ध्रुवीकरण उसे फिर से केंद्र की सत्ता में वापस लाएगा।
राहुल गाँधी प्रवासी भारतीयों को कांग्रेस की तरफ़ खींचने के मक़सद से दो दिन के दुबई दौरे पर हैं। लेकिन कांग्रेस का आरोप है कि मोदी समर्थक इस दौरे को नाकाम करने की कोशिश में हैं।
युवाओं को तरजीह देने की बात करने वाली कांग्रेस पार्टी 80 साल के बुजुर्ग को सामने लाकर क्या संकेत दे रही है? क्या वह बीजेपी को टक्कर देने की तैयारियाँ शुरु कर रही है?
एक तरफ़ जहाँ राहुल गाँधी पीएम मोदी और उनके मंत्रियों से दो-दो हाथ कर रहे हैं वहींं कांग्रेस के एक मीडिया को-ऑर्डिनेटर मोदी के एक मंत्री के बंगले पर हाथों में गुलदस्ता लिए देखे गए।
आगामी लोकसभा चुनाव में दिल्ली में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच भले ही गठबंधन के कयास लग रहे हों लेकिन कांग्रेस गठबंधन करना नहीं चाहती है। तो क्या कांग्रेस इतनी मज़बूत हो गई है या आप कमज़ोर?
तीन तलाक़ से जुड़े विधेयक से तीन साल की सज़ा के प्रावधान को हटाने के मुद्दे पर सरकार और कांग्रेस आमने-सामने हैं। दोनों ही अड़े हुए हैं और पीछे हटने को बिल्कुल तैयार नही हैं।
राम मंदिर-बाबरी मसजिद विवाद पर सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में आज शुरू हो रही है। मुसलमान कोर्ट के फैसले को मानने को तैयार हैं और वे किसी तरह का तनाव अब और नहीं चाहते।