केरल में पिछले 24 घंटे में कोरोना के मामले 30 प्रतिशत बढ़ गए। राज्य सरकार ने दिन भर में कोरोना के 31,445 नए मामलों की पुष्टि की है। इसके साथ ही राज्य में 24 घंटे में कोरोना से 215 लोगों की मौत हो गई है। यह एक दिन पहले हुई मौतों से 19 प्रतिशत अधिक है।
इसके साथ ही राज्य सरकार ने ओणम उत्सव को लेकर चेतावनी दी है और चिंता जताई है।
केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीणा जॉर्ज ने कहा है कि ओणम उत्सव के दौरान भारी भीड़ होने और लोगों के बड़ी तादाद में एकत्रित होने की आशंका है। इसलिए अगले चार हफ़्तों तक ज़्यादा चौकसी बरती जाएगी। उन्होंने इस दौरान डेल्टा किस्म के कोरोना वायरस के फैलने की आशंका भी जताई है।
केंद्र की चेतावनी
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने दूसरे राज्यों को भी ओणम उत्सव के दौरान अधिक चौकस रहने को लेकर हिदायत दी है और कहा है कि वे संक्रमण बढ़ने से रोकने के लिए हर मुमकिन उपाय करें।
केरल की इस संकटपूर्ण स्थिति पर राजनीति भी शुरू हो गई है। केंद्रीय मंत्री व बीजेपी नेता वी. मुरलीधरन ने केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन पर ज़ोरदार हमला करते हुए ट्वीट किया है। उन्होंने कहा है, "केरल में कोविड-19 की स्थिति भयावह है, मुख्यमंत्री विजयन अपने लोगों को बचाने में नाकाम रहे हैं।"
टीका के बावजूद संक्रमण
एक रिपोर्ट के अनुसार, केरल में 40 हज़ार से ज़्यादा ऐसे लोग संक्रमित पाए गए हैं जिन्हें पूरी तरह से टीके लग गए थे। अब ऐसे मामलों को केंद्र सरकार ने जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए भेजने को कहा है जिससे पता लगाया जा सके कि कहीं कोई नया वैरिएंट तो इसके पीछे नहीं है।
यह बड़ी चिंता का विषय इसलिए भी है क्योंकि इन मामलों से सवाल उठता है कि क्या यह वायरस अब वैक्सीन से मिली सुरक्षा को मात देने में सक्षम है?
देश में फ़िलहाल हर रोज़ सबसे ज़्यादा कोरोना संक्रमण के मामले दर्ज करने वाले केरल में पूरी तरह टीके लगाए लोगों को कोरोना से संक्रमित होने का यह मामला कोई नया नहीं है। ऐसे मामले पहले भी आते रहे हैं।
सोशल डिस्टैंसिंग का उल्लंघन
लेकिन बड़ी चिंता की बात इसलिए है कि एक राज्य में इतनी बड़ी संख्या में टीके लगवाए लोगों के संक्रमण के मामले आए हैं।
'एनडीटीवी' की रिपोर्ट के अनुसार इनमें से एक ज़िले पथानामथिट्टा में क़रीब 15 हज़ार मामले तो पहली खुराक के बाद और 5 हज़ार से ज़्यादा मामले दूसरी खुराक के बाद आए। इसके अलावा दूसरी बार संक्रमण के मामले भी आए हैं।
मतलब साफ़ है कि सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क पहनने जैसे कोरोना प्रोटोकॉल के पालन में लापरवाही ख़तरनाक साबित हो सकती है।
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