प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार के कई मंत्रियों ने पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के नारे को जोर-शोर से उछाला था। लेकिन क्या हम उस दिशा में आगे बढ़ पाए हैं?
उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में विधानसभा चुनावों से पहले नेहरू जैसी शख्सियतों पर हमला क्यों किया जा रहा है और क्यों धर्म निरपेक्ष नज़रिए को छोड़ हिंदू नज़रिए से इतिहास को समझने की कोशिश हो रही है?
कहा जाता है कि सदन को चलाना सरकार की प्राथमिक ज़िम्मेदारी होती है और सदन को सुचारू रूप से चलाने में विपक्ष को सहयोग देना चाहिए, तो क्या दोनों ही पक्ष अपनी ज़िम्मेदारी को पूरा नहीं कर रहे?
राजनीति में वंशवाद और परिवारवाद को बढ़ावा देने का आरोप सिर्फ़ कांग्रेस पर क्यों लग रहा है? जबकि बीजेपी में कई नेता ऐसे हैं, जो वंशवादी राजनीति से ही आए हैं।
भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों को 37 साल बाद भी इंसाफ़ नहीं मिल पाया है। सरकारें इस घटना से चेतने के बजाए बाक़ी विनाशकारी परियोजनाओं को पूरा करने के काम में जुटी हैं।