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ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ट्विटर पर अपने बायो से कांग्रेस हटाया, अटकलें तेज

महाराष्ट्र में सियासी संकट से जूझ रही कांग्रेस के लिए मध्य प्रदेश से चिंतित करने वाली ख़बर है। पूर्व केंद्रीय मंत्री और मध्य प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ट्विटर पर अपने बायो से कांग्रेस शब्द हटा दिया है। ट्विटर पर सिंधिया के बायो में लोक सेवक और क्रिकेट का प्रशंसक लिखा है। जबकि इससे पहले सिंधिया के बायो में पूर्व केंद्रीय मंत्री और पूर्व सांसद लिखा हुआ था। सिंधिया के ट्विटर पर अपना बायो बदलने से अटकलों का दौर तेज हो गया है। 

Jyotiraditya Scindia removes Congress from his Twitter profile - Satya Hindi
ज्योतिरादित्य सिंधिया का पुराना बायो।
Jyotiraditya Scindia removes Congress from his Twitter profile - Satya Hindi
ज्योतिरादित्य सिंधिया का नया बायो।
सोशल मीडिया में कहा जा रहा है कि सिंधिया कांग्रेस छोड़ सकते हैं। यहां इस बात का जिक्र करना ज़रूरी होगा कि सिंधिया लंबे समय से कांग्रेस आलाकमान से नाराज चल रहे हैं। हालांकि सिंधिया ने अपना स्पष्टीकरण भी जारी किया है। सिंधिया ने न्यूज़ एजेंसी एएनआई से कहा, ‘एक महीने पहले मैंने ट्विटर पर अपना बायो बदला था। लोगों के सुझाव पर मैंने अपने बायो को छोटा किया है। इस बारे में जो भी बातें फैलाई जा रही हैं, वह पूरी तरह निराधार हैं।’
मध्य प्रदेश में सिंधिया के समर्थक उन्हें प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाए जाने की माँग कर रहे हैं। बता दें कि राज्य में मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष, दोनों ही अहम पद कमलनाथ के पास हैं।
कुछ दिनों पहले सिंधिया जब भिंड के दौरे पर गए थे तो सिंधिया के स्वागत में ऐसे पोस्टर दिखे थे जिनमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की फ़ोटो थी। सिंधिया ने कुछ समय पहले किसानों की क़र्ज़माफ़ी को लेकर कमलनाथ सरकार को घेरा था और इस योजना के क्रियान्वयन पर तीखे़ सवाल उठाये थे। सिंधिया ने केन्द्र सरकार द्वारा कश्मीर से धारा 370 हटाने का समर्थन किया था जबकि राहुल गाँधी सहित पूरी कांग्रेस ने केंद्र के इस क़दम पर सवाल उठाए थे। 
Jyotiraditya Scindia removes Congress from his Twitter profile - Satya Hindi
मध्य प्रदेश में सिंधिया को लेकर लंबे समय से यह चर्चा थी कि बीजेपी से उनकी नज़दीकियाँ बढ़ रही हैं और यह भी ख़बरें आईं थीं कि सिंधिया कभी भी बीजेपी का दामन थाम सकते हैं। मध्य प्रदेश में भी आमतौर पर सिंधिया की आलोचना करने वाले बीजेपी के कई नेता पिछले काफ़ी वक़्त से सिंधिया को लेकर चुप दिखे या कुछ मुद्दों पर उनकी ‘तारीफ़’ भी करते नज़र आए। सिंधिया को कांग्रेस ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में प्रभारी बनाया था लेकिन सिंधिया वहां सक्रिय नहीं दिखे। 
बताया जाता है कि पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और मुख्यमंत्री कमलनाथ दोनों ही कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अर्जुन सिंह के बेटे अजय सिंह को प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाने का समर्थन कर रहे हैं। और इसी बात से सिंधिया और उनके समर्थक नाराज हैं।
सिंधिया को राहुल गाँधी खेमे का माना जाता है। लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद जब राहुल गाँधी ने कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद से इस्तीफ़ा दे दिया था तो सिंधिया ने भी राष्ट्रीय महासचिव का पद छोड़ दिया था। हाल ही में कांग्रेस के कई नेताओं ने खुलकर इस बात को कहा है कि पार्टी में राहुल गाँधी के क़रीबी नेताओं को जानबूझकर किनारे किया जा रहा है। हरियाणा में प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष रहे अशोक तंवर और और मुंबई कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष संजय निरुपम यह बात कह चुके हैं। 

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बग़ावत से बढ़ेगी कमलनाथ की मुश्किल!

राजनीतिक जानकारों के मुताबिक़, मध्य प्रदेश में क़रीब 40 विधायक सिंधिया के समर्थक हैं। विधानसभा में 230 सीटों के हिसाब से बहुमत का जादुई आँकड़ा 116 है। कांग्रेस के पास अभी 121 विधायकों का समर्थन है लेकिन अगर सिंधिया कांग्रेस छोड़ देते हैं तो उनके विधायक भी बग़ावत का रास्ता अपना सकते हैं और ऐसे हालात में कमलनाथ सरकार के लिए काफ़ी मुश्किल खड़ी हो सकती है। 

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क़मर वहीद नक़वी

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