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कहीं ‘चुनावी खेल’ ना बिगाड़ दे बिजली, एक्शन में कमलनाथ सरकार

अघोषित बिजली कटौती को लेकर बिजली महकमे के कर्मचारियों को बार-बार चेताने के बावजूद बिजली की आँख मिचौली ना थमने से बेहद नाराज़ कमलनाथ सरकार अब एक्शन में आ गई है। दरअसल, लोकसभा चुनावों के एलान के बाद से रखरखाव के नाम के अलावा अन्य कई कारणों से राज्य के अनेक हिस्सों में घंटों अघोषित बिजली कटौती की शिकायतें सामने आ रही हैं। नाथ सरकार ने शुक्रवार को अकेले इंदौर और उज्जैन संभाग में 174 मुलाजिमों के ख़िलाफ़ सख़्त एक्शन लिया है। इन्हें सस्पेंड और बर्खास्त किया गया है, और इनमें कई इंजीनियर भी शामिल हैं।

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लोकसभा चुनाव की घोषणा के बाद से मध्य प्रदेश के अधिकांश हिस्सों में बिजली का ‘संकट’ बढ़ जाने की सूचनाएँ आ रही हैं। कथित ‘संकट’ से जुड़ा दिलचस्प तथ्य यह है कि प्रदेश में फिलवक़्त बिजली की उपलब्धता 20 हज़ार मेगावाट है, जो कुल माँग से 11 फ़ीसदी ज़्यादा बताई जा रही है, बावजूद इसके ‘हाहाकार’ ने कांग्रेस सरकार की नींद उड़ा रखी है। 

बता दें कि कांग्रेस की पूर्ववर्ती सरकार बिजली संकट को लेकर बेहद बदनाम रही है। ख़ास तौर पर दिग्विजय सिंह के शासनकाल में बिजली की घंटों घोषित कटौती हुआ करती थी। साल 2003 में कांग्रेस की राज्य से विदाई की बड़ी वजह बिजली का भारी संकट भी रहा था।

बहरहाल, माँग से अधिक बिजली उपलब्ध होने के बावजूद इस ‘संकट’ को नाथ सरकार और मध्य प्रदेश कांग्रेस के लोग, बीजेपी मानसिकता वाले बिजली महकमे के अधिकारियों और कर्मचारियों की ‘कलाकारी’ क़रार दे रहे थे। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने स्वयं कई मौक़ों पर सीधे एवं संकेतों में अधिकारियों और कर्मचारियों को चेताया है। शिकायतें नहीं थमने के बाद नाथ सरकार ने शुक्रवार को ‘बड़ा धमाका’ किया। इंदौर और उज्जैन संभाग में 85 कर्मचारियों को मुअत्तल किया गया, जबकि बिजली की आउट सोर्सिंग व्यवस्था के लिए ज़िम्मेदार 89 अधिकारियों और कर्मचारियों की सेवाएँ समाप्त करने के आदेश जारी कर दिए गए। इंदौर में सस्पेंड मुलाजिमों में 6 सहायक इंजीनियर और 10 लाइनमेन हैं।

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ग़ौरतलब है कि मालवा-निमार्ड बीजेपी का गढ़ है। बावजूद इसके मध्य प्रदेश विधानसभा के चुनावों में इस इलाक़े में बीजेपी को अपेक्षित सफलता नहीं मिल सकी थी। साल 2013 के विधानसभा चुनावों की तुलना में पार्टी की सीटें यहाँ घट गई हैं। सबसे ज़्यादा बिजली कटौती की शिकायत मालवा-निमाड़ से ही मिल रही थीं, लिहाजा सरकार ने ‘डंडा’ सबसे पहले इसी क्षेत्र में चलाया।

भूरिया, सिंधिया और दिग्विजय ‘निशाने’ पर

अघोषित बिजली कटौती की शिकायतें गुना-शिवपुरी, रतलाम-झाबुआ और भोपाल में भी बड़े स्तर पर हैं। भोपाल में तो बिजली वितरण कंपनी के बाक़ायदा मैसेज उपभोक्ताओं तक पहुँच रहे हैं। इन संदेशों में ‘मेंटनेंस’ की वजह से बिजली गुल किये जाने की बात बताई जा रही है। रतलाम में हर दिन तीन से चार घंटे कटौती की सूचनाएँ हैं। शिवपुरी में डेढ़ से दो घंटे अघोषित बिजली कटौती चल रही है। आँधी-तूफान (मौसम का मिजाज बदला हुआ है और रोजाना ऐसे हालात प्रदेश भर में बन रहे हैं) में बिजली गुल होने का सिलसिला चार से पांच घंटे का बन रहा है। यहाँ बता दें कि, गुना-शिवपुरी से ज्योतिरादित्य सिंधिया, रतलाम-झाबुआ से कांतिलाल भूरिया और भोपाल से दिग्विजय सिंह कांग्रेस के प्रत्याशी हैं। 

मध्य प्रदेश में साल 2014 के चुनाव में कुल 29 में से जो दो सीटें कांग्रेस को मिली थीं, उनमें सिंधिया की सीट भी शामिल रही थी। दूसरी सीट छिंदवाड़ा थी, जिसे कमलनाथ ने कांग्रेस के लिये जीता था। बीजेपी को मिली रतलाम-झाबुआ सीट दिलीप सिंह भूरिया के असामयिक निधन से रिक्त हुई थी। इस सीट को उपचुनाव में कांतिलाल भूरिया ने कांग्रेस के टिकट पर जीता था। इस तरह से नंबर गेम बीजेपी 26 और कांग्रेस 3 सीटों का हो गया था। इन क्षेत्रों के अलावा ग्वालियर-चंबल, विंध्य और भोपाल संभाग में बिजली कटौती की सतत शिकायतें सामने आ रही हैं।

23 सीटों पर डाले जाने हैं वोट

मध्य प्रदेश की कुल 29 में अभी छह सीटों पर ही वोट पड़े हैं, 23 पर मतदान होना है। बैतूल, दामोह, खजुराहो, रीवा, सतना, होशंगाबाद और टीकमगढ़ में पांचवें फ़ेज में 6 मई को वोट पड़ेंगे। जबकि मुरैना, भिंड, ग्वालियर, गुना, सागर, विदिशा, भोपाल और राजगढ़ में छठे चरण में 12 मई को तथा देवास, उज्जैन, धार, खंडवा, इंदौर, मंदसौर, रतलाम और खरगोन में सातवें चक्र में 19 मई को मतदान होगा।

चीफ़ सेक्रेट्ररी ने चेताया 

मध्य प्रदेश के मुख्य सचिव सुधि रंजन मोहंती ने बिजली व्यवस्था की समीक्षा करते हुए वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग में महकमे के अधिकारियों और कर्मचारियों को जोरदार ढंग से आड़े हाथों लिया है। उन्होंने वीसी (वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग) में दो टूक कहा है, ‘कई जगह जानबूझकर सप्लाई बटन स्विच ऑफ़ किए जा रहे हैं।’ समीक्षा में यह बात भी उभरकर सामने आयी है कि अनेक जगहों पर बिजली व्यवस्था का बड़ा हिस्सा आउट सोर्स है, जिसमें कुछ राजनीतिक दलों के लोग शामिल हैं - जो चुनावों को प्रभावित करने के लिए बिजली का ‘गेम’ कर रहे हैं। 

सूत्रों ने बताया है कि समीक्षा बैठक में साफ़ कर दिया गया है कि - ‘विद्युत आपूर्ति व्यवस्था पर अब इंटेलिजेंस की नजर है। गड़बड़ी करने वालों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जायेगा। सीनियर अफ़सर भी एक्शन से बच नहीं सकेंगे।’

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संजीव श्रीवास्तव

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