loader

मप्र हनी ट्रैप: ख़ुदकुशी करने की कोशिश तक को मजबूर हुए पूर्व सांसद!

देश भर में चर्चा का केन्द्र बन चुके मध्य प्रदेश के हनी ट्रैप कांड में आए दिन नए ख़ुलासे हो रहे हैं। जांच में जुटी एसआईटी को कुछ और बेहद सनसनीखेज सुराग मिले हैं। हनी ट्रैप गैंग से बरामद अश्लील वीडियो के जखीरे में मध्य प्रदेश के एक पूर्व सांसद के 30 वीडियो मिले हैं। पता चला है कि गैंग ने सांसद को इस कदर ब्लैकमेल किया कि सांसद ने ख़ुदकुशी की तक कोशिश की थी। इसके अलावा जांच में एक बेहद चौंकाने वाला तथ्य यह भी सामने आया है कि गैंग की मास्टर माइंड ने नेताओं और अफ़सरों के फ़ोन सर्विलांस कराने के लिए बेंगलुरू की एक कंपनी को आउट सोर्स किया था।

उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार, मध्य प्रदेश के इस पूर्व सांसद को अपने जाल में फंसाने के बाद हनी ट्रैप गिरोह ने 2 करोड़ रुपये की मांग की थी। पूर्व सांसद ने अलग-अलग किश्तों में क़रीब 75 लाख रुपये की राशि गैंग को दी भी। गैंग से जुड़ी युवतियों के एनजीओ को काम भी दिलाया। गैंग ने जब इस पूर्व सांसद का पीछा नहीं छोड़ा तो तनाव और अवसाद के चलते पूर्व सांसद ने ख़ुदकुशी की कोशिश तक कर डाली। मध्य प्रदेश के बाहर भी इनका इलाज चला।

ख़ुदकुशी की कोशिश के बाद गैंग ने कुछ समय के लिये पूर्व सांसद का पीछा छोड़ा, लेकिन इनके ठीक होते ही गैंग के लोग पुनः उनके पीछे पड़ गये। लोकसभा चुनाव में टिकट वितरण के दौरान पूर्व सांसद पर गैंग ने भारी दबाव बनाया। अश्लील वीडियो की फेहरिस्त वायरल करने की बार-बार इन्हें धमकी दी गई। 

ताज़ा ख़बरें
पूर्व सांसद ने गैंग की मांग पूरी करने का आश्वासन देने के अलावा ब्लैकमेल करने वाली युवती को अपने ख़र्च पर कुछ महीनों के लिए दुबई भी भेजा। उसकी यात्रा पर भी मोटी रकम ख़र्च हुई।
तमाम प्रयासों के बावजूद पूर्व सांसद महोदय अपना टिकट नहीं बचा पाये। दरअसल, उनके ‘काले कारनामों’ की भनक पार्टी को लग चुकी थी। आलाकमान तक पूरा वृतांत विरोधी पहुंचा चुके थे, लिहाजा 2019 के चुनाव में इनका टिकट पार्टी ने काट दिया था।

पूर्व सांसद ने 2014 का लोकसभा चुनाव क़रीब पौने चार लाख वोटों से जीता था। इनकी ग़िनती बेहद सौम्य, सरल और पाक-साफ़ नेताओं में हुआ करती थी। सांसद का टिकट दिये जाने से पहले पार्टी ने इन्हें कई अहम पदों पर भी तैनात किया था। अब इन नेताजी के पास कोई जिम्मेदारी और काम पार्टी की ओर से नहीं है।

फ़ोन सर्विलांस के लिए हायर की कंपनी!

एसआईटी जांच में यह भी मालूम हुआ है कि हनी ट्रैप गैंग की मास्टर माइंड श्वेता विजय जैन ने आईटी क्षेत्र की एक्सपर्ट बेंगलुरू की एक निजी कंपनी को आउट सोर्स किया था। इस कंपनी के जरिये यह गैंग नेताओं और अफ़सरों के फ़ोन व चैटिंग पर नज़र रख रहा था। ‘पिगासस और ‘बग’ नामक सॉफ्टवेयरों का उपयोग ‘जासूसी’ के लिए कंपनी किया करती थी। कंपनी के पास जो तकनीक है, उससे आईफ़ोन को भी आसानी से हैक कर लिया जाता है।

इस सॉफ़्टवेयर कंपनी को संतोष कुमार नाम का शख़्स संचालित करता है। श्वेता ने कंपनी से साइबर सिक्योरिटी, साइबर फ़ॉरेंसिक और फ़ोन सिक्योरिटी के काम भी कराये। कंपनी ने पांच लोगों की टीम भोपाल में तैनात की थी। इस टीम में शिखा, सोनू, अंशिका, साक्षी और उसका भाई शामिल पाये गये हैं। 

श्वेता विजय जैन के साथ संतोष और उनकी टीम हनी ट्रैप केस से जुड़े हैं। साइबर सर्विलांस के कनेक्शन भी इनकी ओर इशारा कर रहे हैं। श्वेता विजय जैन अक्सर मध्य प्रदेश पुलिस के साइबर सेल के दफ़्तर में नजर आया करती थी। 

बेंगलुरू की इस कंपनी का मध्य प्रदेश सरकार में दखल बीजेपी की सरकार जाने के बाद हुआ था। यह कंपनी काफ़ी वक़्त तक केन्द्रीय एजेसियों के लिए भी फ़ोन सर्विलांस का काम करती रही। इस काम में कंपनी को बेहद एक्सपर्ट माना जाता है।

दो दर्जन लड़कियों का इस्तेमाल किया

गैंग ने दो दर्जन से ज़्यादा ग़रीब और ज़रूरतमंद लड़कियों को अपने जाल में फंसाकर इस्तेमाल किया। इनमें अनेक कॉलेज जाने वाली लड़कियां हुआ करती थीं। अच्छे कॉलेजों में एडमिशन और बढ़िया नौकरियां दिलाने के नाम पर लड़कियों को फंसाया जाता था। बाद में इन्हें नेताओं और अफ़सरों के सामने ‘परोसा’ जाता था। 

गैंग ‘लाइव सेक्स’ को रिकार्ड कर लेता था। इन वीडियो के जरिये शिकार से तो मोटी रकम वसूली ही जाती थी, जाल में फंस जाने वाली लड़कियों को वीडियो वायरल करने का भय दिखाकर, गैंग ब्लैकमेल भी किया करता था। वीडियो वायरल न किये जाने के आश्वासन पर जाल में फंसी लड़कियां नित नए ग्राहकों (अधिकांशतः अफ़सर और नेताओं के साथ) हम बिस्तर होने को होने को मजबूर होती थीं।

मध्य प्रदेश से और ख़बरें

लिपस्टिक, चश्मे के कवर में होते थे कैमरे

हनी ट्रैप गैंग लिपस्टिक और चश्मे के कवर में हिडन कैमरों का उपयोग करता था। ग्राहक के पास पहुंचने वाली युवतियां अपने चश्मे को कवर में रखने के बाद ऐसे स्थान पर रख देती थीं, जिनके जरिये आसानी से ‘लाइव सेक्स’ रिकार्ड हो जाये। लिपस्टिक का उपयोग भी वीडियो बनाने के लिए किया जाता था। 

चश्मे के कवर और लिपस्टिक को देखने के बाद भी ‘ग्राहक’ को कभी शक नहीं हो पाता था कि इनमें कैमरे छिपे हुए हो सकते हैं। बेहद पावरफुल कैमरों से अतरंग पलों की बिलकुल स्पष्ट रिकार्डिंग आसानी से की जाती थी। हम बिस्तर होने वाली कई लड़कियों को लिपिस्टक और चश्मे के कवर में कैमरा लगे होने की जानकारी नहीं होती थी। गैंग महंगे तोहफ़े के तौर पर उन्हें ये चीजें अक्सर देता  रहता था।  

चीफ़ इनकम टैक्स कमिश्नर की ‘पोस्ट’ चर्चा में

मध्य प्रदेश में इनकम टैक्स के डायरेक्टर रहे और वर्तमान में हैदराबाद के चीफ़ इनकम टैक्स कमिश्नर आर.के. पालीवाल की सोशल मीडिया पर डाली गई एक पोस्ट बेहद चर्चा में है। अपनी पोस्ट में उन्होंने कहा है, ‘यह दुर्भाग्यूपर्ण है कि हनी ट्रैप मामले की पुलिस के सूत्रों के जरिये अधकचरी जानकारियां मीडिया के माध्यम ये लीक हो रही हैं। जानकारियों को टीआरपी बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। हनी ट्रैप में फंसी महिलाओं के फ़ोटो छापे जा रहे हैं।’

संबंधित ख़बरें

अपनी पोस्ट में पालीवाल ने मीडिया को सलाह दी है कि वह कुछ फौरी बातें छापने के बजाय पूरे मामले की तह तक पहुंचे और मामले की पूरी सच्चाई जनता के सामने लाये। पालीवाल चाहते हैं कि समूचे मामले की सघन जांच राज्य और केन्द्र की संयुक्त टीम के माध्यम से कराई जाये।

विधायक का आपत्तिजनक बयान 

हनी ट्रैप मामले को लेकर निरंतर बयानबाज़ी कर रहे मध्य प्रदेश से कांग्रेस के विधायक और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के भाई लक्ष्मण सिंह ने अब कहा है, ‘हनी ट्रैप कोई नई बात नहीं है। अनादिकाल से यह सब चल रहा है। सत्ता पाने के लिए महिलाओं का उपयोग सदियों से होता आया है। महिलाओं के कारण कई युद्ध भी हुए हैं।’

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
संजीव श्रीवास्तव

अपनी राय बतायें

मध्य प्रदेश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें