मध्य प्रदेश सरकार ने कोरोना से मारे गये लोगों के परिजनों को मुआवजा (अनुग्रह राशि) देने को लेकर बड़ा फ़ैसला लिया है। इस बारे में सरकार ने विस्तृत गाइडलाइन जारी कर दी है। इससे पात्र दावेदारों को अनुग्रह राशि मिलने का रास्ता आसान हो गया है। प्रदेश सरकार द्वारा रविवार को जारी की गई गाइडलाइन में अनुग्रह राशि देने की सबसे जटिल शर्त मृत्यु प्रमाण पत्र में मौत की वजह कोरोना दर्ज होने की अनिवार्यता को समाप्त कर दिया है।
गाइडलाइन में कहा गया है, ‘आरटीपीसीआर और रैपिड एंटीजन टेस्ट में कोरोना पॉजिटिव होने और इसके बाद उपचार के चलते संबंधित की मौत हो जाने पर अनुग्रह राशि के लिए पात्र माना जाएगा।
गाइडलाइन के अनुसार यदि इलाज के दौरान कोरोना से मारे गये व्यक्ति का उपचार के पहले आरटीसीपीआर और रैपिड एंटीजन टेस्ट नहीं हुआ है तो ऐसे मामलों में मृत व्यक्ति की मौत का कारण दो डॉक्टरों के द्वारा कोरोना अभिप्रमाणित किए जाने वाले मामलों में भी मृतक के परिजन अनुग्रह राशि प्राप्त करने के पात्र होंगे।
राज्य सरकार ने सभी 52 ज़िलों के कलेक्टरों को कोरोना से मृत परिजनों को अनुग्रह राशि वितरित करने के लिए अधिकृत किया है। इसके लिए जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण का गठन होगा। दावेदार परिवार को प्रमाण के साथ प्राधिकरण के समक्ष आवेदन देना होगा।
सरकार ने अपनी गाइडलाइन में साफ़ निर्देश दिए हैं कि प्रत्येक आवेदन का निपटारा 30 दिनों के भीतर अनिवार्य तौर पर करना होगा।
देश में कोरोना से हुई पहली मृत्यु के मामले से लेकर मौजूदा समय तक हुई मौत के मामले में पात्र दावेदार अनुग्रह राशि के लिए आवेदन कर सकेंगे। नए नियम 31 दिसंबर तक लागू रहेंगे।
मध्य प्रदेश में कोरोना से सरकारी रिकॉर्ड के मुताबिक़ अब तक 10 हज़ार 256 मौतें दर्ज हुई हैं। इसके अलावा भी महामारी से काफ़ी संख्या में लोग मारे गए हैं। चूँकि मृत्यु प्रमाण पत्र में ऐसी मौतों का कारण कोरोना दर्ज नहीं है, इसी वजह से मारे गये लोगों के परिजनों को अनुग्रह राशि नहीं मिल पायी है और वे मुआवज़ा पाने के लिए जद्दोजहद में जुटे थे।
नये निर्देशों के बाद कोरोना से मौत पर मृतक के परिजन को 50 हजार रुपये का मुआवजा सरकार दे रही है।
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