loader

नर्मदा के पानी को लेकर एक बार फिर आमने-सामने आए मप्र-गुजरात

नर्मदा के जल को लेकर मध्य प्रदेश की कमलनाथ और गुजरात की विजय रूपाणी सरकार एक बार फिर आमने-सामने है। नर्मदा से अतिरिक्त जल देने की गुजरात की माँग को मध्य प्रदेश ने सिरे से ठुकरा दिया है। मध्य प्रदेश सरकार के इनकार के बाद गुजरात सरकार ने केंद्रीय नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण का दरवाजा खटखटाया है। बता दें कि, नर्मदा जल विवाद न्यायाधिकरण ने चार राज्यों में जल बंटवारे को लेकर 1979 में एक फ़ैसला दिया था। नर्मदा बेसिन में 28 मिलियन एकड़ फ़ीट पानी को आधार बिन्दु बनाकर न्यायाधिकरण ने यह फ़ैसला दिया था। फ़ैसले के अनुसार, नर्मदा के कुल 28 मिलियन एकड़ फ़ीट पानी में मध्य प्रदेश की 18.25 मिलियन एकड़ फ़ीट, गुजरात की 9, राजस्थान की 0.50 और महाराष्ट्र की 0.25 प्रतिशत मिलियन एकड़ फ़ीट की हिस्सेदारी सुनिश्चित की गई थी।
ताज़ा ख़बरें
न्यायाधिकरण के फ़ैसले के पालन के लिए केंद्रीय नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण भी गठित किया गया था। यह प्राधिकरण चारों राज्यों के बीच पानी के बँटवारे समेत इस फ़ैसले से जुड़े तमाम अन्य बिन्दुओं का पालन कराता है। हर वर्ष एक जुलाई से 30 जुलाई के बीच मध्य प्रदेश प्रत्येक राज्य को तय हिस्से के अनुसार नर्मदा का पानी मुहैया कराता है। 
मध्य प्रदेश इस वर्ष गुजरात को उसके हिस्से का 1600 क्यूसेक पानी दे चुका है। गुजरात सरकार तय सीमा तक पानी मिल जाने के बाद सरदार सरोवर बाँध के लिए अतिरिक्त पानी छोड़ने की माँग कर रही है। मप्र सरकार ने गुजरात की इस माँग को नामंजूर कर दिया है।

इसलिए नामंजूर की माँग

उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार, गुजरात सरकार ने सरदार सरोवर बाँध के अपने पन बिजली उत्पादन संयंत्र को पूरी तरह से बंद कर दिया है। न्यायाधिकरण का फ़ैसला है कि मध्य प्रदेश से मिलने वाले नर्मदा जल के बदले में गुजरात की सरकार सरदार सरोवर के पन बिजली संयंत्र में कुल उत्पादित होने वाली बिजली में से 57 फ़ीसदी हिस्सा मध्य प्रदेश को देगी। विवाद की जड़ अकेली बिजली भर नहीं हैं। दरअसल, गुजरात सरकार सरदार सरोवर बाँध के रिजर्व वायर लेवल की 138.68 मीटर की क्षमता को टच करना चाहती है। गुजरात की सीमा और सरदार सरोवर बाँध से लगे मध्य प्रदेश के नर्मदा किनारे के 76 गाँव ऐसे हैं जिनके पुनर्वास का काम अभी पूरा नहीं हुआ है। कोर्ट-कचहरी में भी काफ़ी संख्या में मामले हैं। यदि सरदार सरोवर को 138.68 मीटर क्षमता तक भरा गया तो मध्य प्रदेश के डूब क्षेत्र वाले इलाक़ों में तबाही मच जायेगी। सीधे-सीधे छह हजार परिवार इससे प्रभावित होंगे। इसी बात ने मध्य प्रदेश की सरकार की नींद उड़ा रखी है।

मप्र को हुआ 289 करोड़ का नुक़सान

गुजरात सरकार द्वारा सरदार सरोवर बाँध में एक साल से बिजली का उत्पादन नहीं किये जाने से मध्य प्रदेश को उसके हिस्से की 57 प्रतिशत बिजली नहीं मिल पायी है। सरदार सरोवर पर लगे गुजरात सरकार के बिजली संयंत्र की क्षमता 1450 मेगावाट है। पूर्ण क्षमता से उत्पादन होने पर मध्य प्रदेश 826 मेगावाट बिजली का हक़दार होता है।
जानकारों के मुताबिक़, इस हिसाब से संयंत्र बंद होने से मध्य प्रदेश को 289 करोड़ रुपये का सीधा नुक़सान हुआ है। हालाँकि गुजरात सरकार से जुड़े सूत्रों का दावा है कि बिजली ना दे पाने की स्थिति में मध्य प्रदेश को बिजली के बदले में राशि का प्रस्ताव दिया गया था, लेकिन मध्य प्रदेश ने राशि लेने से मना कर दिया।

गुजरात सरकार ने केन्द्रीय नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण में लगाई गई अर्जी में दलील दी है कि उसे सरदार सरोवर बाँध की सुरक्षा की जाँच करनी है। सुरक्षा जाँच के लिए बाँध को 138.68 क्षमता तक भरा जाना ज़रूरी है।
गुजरात सरकार सरदार सरोवर में रिजर्व वायर लेवल 138.68 तक ले जाना आवश्यक बता रही है, लेकिन पिछले सालों में रिजर्व वायर का अधिकतम लेवल 121.92 के ऊपर कभी नहीं गया है। यही वजह रही है कि डूब क्षेत्र वाले इलाक़ों में मध्य प्रदेश सरकार को सरदार सरोवर की वजह से बहुत ज़्यादा कठिनाई का सामना कभी नहीं करना पड़ा है।

शिवराज सरकार में भी हुआ था टकराव

मध्य प्रदेश की पूर्ववर्ती शिवराज सरकार के साथ भी गुजरात सरकार के पिछले सालों में कई बार टकराव के हालात बने। चूँकि दोनों ही राज्यों में बीजेपी की सरकारें थीं, लिहाजा दोनों ही ने मामले को ज़्यादा तूल नहीं दिया। 
2014 में केंद्र में मोदी सरकार बनने के बाद भी एक बार अतिरिक्त पानी देने को लेकर विवाद के हालात बने, तब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी ज़्यादा लचीला रवैया तो नहीं अपनाया, लेकिन ‘मज़बूरी वश’ बीच का रास्ता ज़रूर निकाला।
अतिरिक्त पानी की गुजरात सरकार की माँग को मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान राज्यों (तीनों में ही बीजेपी के मुख्यमंत्री थे) ने डेट वाटर स्टोरेज का उपयोग करने की अनुमति देकर पूरा किया था। जानकार कहते हैं केंद्र की सरकार के मुखिया नरेंद्र मोदी की वजह से ही तब ये तीनों राज्य - गुजरात (मोदी भी गुजरात से ही आते हैं) के आगे ‘सरेंडर’ हुए थे।

कमलनाथ सरकार ने रखी हैं ‘दो शर्तें’

ताज़ा विवाद के बाद मध्य प्रदेश के मुख्य सचिव सुधि रंजन मोहंती ने गुजरात सरकार को एक पत्र लिखा है। इस पत्र में मध्य प्रदेश ने अतिरिक्त पानी देने के लिए गुजरात के सामने ‘दो शर्तें’ रखी हैं। पहली - गुजरात सरकार सरदार सरोवर बाँध स्थित पन बिजली संयंत्र में बिना देर किए बिजली का उत्पादन आरंभ करे और दूसरी - बाँध के अधिकतम स्तर को 121 मीटर से ऊपर ना ले जाये। 
मध्य प्रदेश से और ख़बरें
मुख्य सचिव मोहंती ने अपने पत्र में साफ़ संकेत दिये हैं कि अगर इन दोनों शर्तों पर गुजरात की सरकार अमल करने को तैयार होती है तो मध्य प्रदेश अतिरिक्त जल देने में किसी तरह की देरी नहीं करेगा।

कई गाँव डूब जाएँगे

मध्य प्रदेश नर्मदा घाटी विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव एम.गोपाल रेड्डी ने मीडिया से कहा, ‘गुजरात को और पानी दिया तो मध्य प्रदेश के कई गाँव डूब जाएँगे। पुनर्वास का काम पूरा होने तक गुजरात को और पानी दिया जाना मुमकिन नहीं है।’
सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
संजीव श्रीवास्तव

अपनी राय बतायें

मध्य प्रदेश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें