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एमपी: विधानसभा में पप्पू, फेंकू और मामू जैसे 1500 शब्द प्रतिबंधित

मध्य प्रदेश विधानसभा में विधायक अब से पप्पू, फेंकू, मामू, बंटाधार, मंदबुद्धि और झूठा जैसे शब्दों का प्रयोग नहीं कर सकेंगे। इन, और इन जैसे 1500 शब्दों का प्रयोग राज्य विधानसभा में वर्जित होगा। मध्य प्रदेश विधानसभा के नये अध्यक्ष गिरीश गौतम ने यह पहल की है। संसदीय शब्द और वाक्यांश संग्रह संबंधी बाकायदा एक पुस्तक तैयार की गई है। इस पुस्तक का विमोचन रविवार आठ अगस्त को हुआ है। 

विधानसभा स्पीकर गौतम के अलावा, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, नेता प्रतिपक्ष कमलनाथ, संसदीय कार्यमंत्री नरोत्तम मिश्रा और कांग्रेस विधायक दल के मुख्य सचेतक डॉक्टर गोविंद सिंह की अगुवाई में पुस्तक का विमोचन किया गया है।

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पुस्तक में 1500 शब्दों को असंसदीय शब्द और वाक्यों की श्रेणी में शामिल किया गया है। इस पुस्तक को राज्य विधानसभा के सभी सदस्यों को भेज दिया गया है। 

बता दें, लोकसभा, राज्यसभा, राज्य विधानसभाओं और विधान मंडलों में माननीय सदस्यों (सांसद, विधायक और विधान मंडल के सदस्यों) की ‘ज़ुबान फिसलने’ और ‘पटरी छोड़ने’ की शिकायतें आम हैं।

अपनी बात रखने के लिये मिलने वाले अवसरों के अलावा सत्तापक्ष और प्रतिपक्ष के बीच होने वाली तीखी बहसों तथा गर्मागर्म माहौल के बीच ‘माननीय’ अनेक मर्तबा ऐसे शब्दों का प्रयोग कर जाते हैं जो संसदीय मर्यादाओं के दायरे में नहीं आते।

गर्म माहौल और शोरगुल के बीच सदस्यों द्वारा जाने-अनजाने में उपयोग किये जाने वाले असंसदीय और गैर मर्यादित शब्द/वाक्य सदन की कार्रवाई का हिस्सा बन जाते हैं। समय रहते ध्यान दिलाये जाने पर असंसदीय और गैर मर्यादित शब्द/वाक्यों को हटा दिया जाता है। अधिकांश बार ये कार्रवाई में दर्ज भी हो जाते हैं।

1500 के करीब जिन शब्दों को असंसदीय घोषित किया गया है, विधायक यदि इन शब्दों का प्रयोग करेंगे भी तो भी ये सदन की लिखी जाने वाली कार्यवाही का हिस्सा नहीं बन पायेंगे। ऐसा भी कह सकते हैं, ‘अब शब्दों को विलोपित करने की ओर किसी सदस्य को ध्यान आकर्षित नहीं करना पड़ेगा और ना ही सदन के स्पीकर को इस बारे में निर्देश देना होंगे। स्थायी रूप से असंसदीय घोषित इन शब्दों को कार्यवाही में दर्ज ही नहीं किया जायेगा।’

मध्य प्रदेश विधानसभा का सत्र सोमवार 9 अगस्त से शुरू हो गया है। कुल चार दिवसीय सत्र में पहले दिन तीन मौजूदा दिवंगत सदस्यों को श्रद्धांजलि के बाद उनके सम्मान में सदन की कार्रवाई स्थगित कर दी जायेगी।

ये हैं वे शब्द 

जिन शब्दों को ‘प्रतिबंधित’ किया गया है उनमें मिस्टर बंटाधार (पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को लेकर बीजेपी के सदस्य अक्सर इसका प्रयोग करते हैं), पप्पू (राहुल गांधी पर कटाक्ष के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है), मामू (मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को लेकर तंज के रूप में कांग्रेसी उपयोग करते हैं), मंदबुद्धि, झूठा, चोर, उचक्का, 420, झूठ, चोर, पागल, बकवास, भ्रष्ट शैतान, लफंगा, गंदी सूरत, धोबी के कुत्ते की तरह, चोर का भाई चोर, दुराचारी, नीच, डाकू, बदमाश, शिखंडी, यार और भ्रष्टाचारी जैसे शब्द भी अब सदन की कार्रवाई का हिस्सा नहीं बन पायेंगे। 

1954 से लागू किया गया

मध्य प्रदेश विधानसभा में प्रतिबंधित किये गये शब्दों से जुड़ा विधानसभा सचिवालय का एक महत्वपूर्ण कदम यह भी है असंसदीय घोषित किये गये इन शब्दों को भूतलक्षी प्रभाव (1954) से लागू किया गया है। सचिवालय ने 1954 से अब तक सदन में ‘माननीयों’ द्वारा प्रयोग किये गये 1 हजार 161 ऐसे शब्द/वाक्यों को कार्रवाई से हटाने का फैसला किया है, जिन्हें असंसदीय घोषित किया गया है। 

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शिवराज-कमल नाथ ने किया स्वागत

विधानसभा सचिवालय द्वारा उठाये गये इस कदम का मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और नेता प्रतिपक्ष (पूर्व मुख्यमंत्री) कमल नाथ ने स्वागत किया है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा, ‘विधानसभा सत्र की कार्यवाही देखने स्कूल और कॉलेज के बच्चे भी आते हैं, सदन का माहौल एवं शब्दों का चयन उन्हें निराश करता है।’ 

मुख्यमंत्री ने कहा, ‘मैंने सदन की कार्यवाही के अनुभव को लेकर बच्चों से पूछा था उन्हें कैसा लगा? एक बच्चे का जवाब था, मछली बाजार जैसा।’

'सदस्य संयत होंगे तो किताब हटा लेंगे'

विधानसभा अध्यक्ष गौतम ने कहा, ‘विधानसभा जनता की आस्था का केन्द्र है, जिस दिन विधानसभा के अंदर असंसदीय भाषा का उपयोग बंद हो जायेगा उस दिन इस किताब को हटा लिया जायेगा।’

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संजीव श्रीवास्तव

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