loader

कश्मीर मसले पर बात करें मोदी और इमरान 

इस समय ज़रूरी है कि मोदी और इमरान मिलकर कश्मीर पर बात करें और इसमें हमारे और पाकिस्तानी कश्मीरियों को भी शामिल करें। अटल जी और डाॅ. मनमोहन सिंह ने जनरल मुशर्रफ के साथ जो प्रक्रिया शुरू की थी, उसे आगे बढ़ाया जाए।
डॉ. वेद प्रताप वैदिक

कश्मीर की छह प्रमुख पार्टियों ने यह तय किया है कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख की जो हैसियत 5 अगस्त 2019 से पहले थी, उसकी वापसी के लिए वे मिलकर संघर्ष करेंगे। इस संघर्ष का निर्णय 4 अगस्त, 2020 को हुआ था, जिसे गुपकार घोषणा कहा जाता है। 

इस संघर्ष के लिए उन्होंने नया गठबंधन बनाया है, जिसे ‘पीपल्स एलायंस’ या जनमोर्चा नाम दिया गया है। जम्मू-कश्मीर की कांग्रेस पार्टी के नेता किसी निजी कारण से जनमोर्चा की बैठक में हाजिर नहीं हो सके। वैसे, कांग्रेस ने भी गुपकार घोषणा का समर्थन किया था। 

यहां मुख्य प्रश्न यही है कि अब कश्मीर में क्या होगा? क्या वहां कोई बड़ा जन-आंदोलन खड़ा हो जाएगा या हिंसा की आग भड़क उठेगी? हिंसा पर तो हमारी फौज़ काबू कर लेगी। तो क्या भारत सरकार धारा 370 और 35 को वापस ले आएगी?

मुझे लगता है कि यदि मोदी सरकार ऐसा करेगी तो उसका जनाधार खिसक जाएगा। वह खोखली हो जाएगी। हां, वह यह तो कर सकती है कि आंदोलनकारी नेताओं की साख बनाए रखने के लिए जम्मू-कश्मीर को फिर से राज्य का दर्जा दे दे, जैसा कि गृह मंत्री अमित शाह ने भी संसद में संकेत दिया था।

नेताओं को क्या चाहिए? सत्ता और सिर्फ सत्ता! उसके लिए वे कुछ भी कर सकते हैं। फारुक़ अब्दुल्ला की नेशनल कांफ्रेंस और महबूबा मुफ्ती की पीडीपी ने किस-किस से हाथ नहीं मिलाया? कांग्रेस से और बीजेपी से भी। उन्होंने एक-दूसरे के विरुद्ध आग उगलने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी। अब दोनों की गल-मिलव्वल पर क्या कश्मीरी लोग हंसेंगे नहीं? 

ताज़ा ख़बरें

यदि राज्य का दर्जा फिर से घोषित हो गया तो इन नेताओं की सारी हवा निकल जाएगी। यूं भी धारा 370 के प्रावधानों में पिछली कांग्रेसी सरकारों ने इतने अधिक व्यावहारिक संशोधन कर दिए थे कि कश्मीर की स्वायत्ता सिर्फ नाम की रह गई थी। 

इन नेताओं को सत्ता का और खुली लूट-पाट का मौका क्या मिलेगा, ये कश्मीर की मूल समस्या को दरी के नीचे सरका देंगे। 73 साल से चला आ रहा तनाव बना रहेगा और कश्मीर समस्या के दम पर पाकिस्तान की फौज़ असहाय पाकिस्तानियों की छाती पर सवारी करती रहेगी। 

विचार से और ख़बरें
इस समय ज़रूरी है कि मोदी और इमरान मिलकर कश्मीर पर बात करें और इसमें हमारे और पाकिस्तानी कश्मीरियों को भी शामिल करें। अटल जी और डाॅ. मनमोहन सिंह ने जनरल मुशर्रफ के साथ जो प्रक्रिया शुरू की थी, उसे आगे बढ़ाया जाए। डर यही है कि हमारी सरकार के पास दूरदृष्टिपूर्ण नेता नहीं हैं। वह नौकरशाहों पर उसी तरह निर्भर है, जैसे पाकिस्तानी नेता उनके फौज़ी जनरलों पर निर्भर हैं।

(डॉ. वेद प्रताप वैदिक के ब्लॉग www.drvaidik.in से साभार। लेखक, भारतीय विदेश नीति परिषद के अध्यक्ष हैं। )

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
डॉ. वेद प्रताप वैदिक

अपनी राय बतायें

विचार से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें