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महिला को बलात्कार ‘योग्य’ बताने वाले बोलसोनारो गणतंत्र दिवस के अतिथि क्यों?

हर कट्टर व्‍यक्ति का अपना एक जनाधार और आक्रामक फैन फ़ॉलोइंग होती है। जेयर एम. बोलसोनारो की भी है। पर हमने उन्‍हें न्‍यौता देते वक्‍़त क्‍या अपने संवैधानिक मूल्‍यों का ध्‍यान रखा है? 26 जनवरी संविधान के उत्‍सव का अवसर है। इस उत्‍सव का ख़ास मेहमान वह नेता कैसे हो सकता है, जो ख़ुद गणतंत्र की बजाए ‘गन तंत्र’ का समर्थन करता हो?

‘अतिथि देवो भव’ हमारी परंपरा है। पर क्‍या आप किसी ऐसे व्‍यक्ति को अपने घर मेहमान के तौर पर आमंत्रित करना पसंद करेंगे, जो बच्चियों को कमज़ोर क्षणों की पैदाइश, महिलाओं को बलात्‍कार के योग्‍य या अयोग्‍य, यातना को ज़रूरी कार्रवाई और सुधारों की बजाए ‘गन तंत्र’ को बेहतर मानता हो? इस बार हमने ऐसे ही एक व्‍यक्ति को गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्‍य अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया है।

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‘हम भारत के लोगों’ ने संविधान को अपनाया और एक गणतंत्र, संप्रभु राष्‍ट्र के रूप में संविधान में दिए नियमों पर चलने का फ़ैसला किया। हमारा संविधान विश्‍व का सर्वाधिक लंबा और लिखित संविधान कहा जाता है। जिसके मूल में मनुष्‍यता, समानता और सह अस्तित्‍व की भावना निहित है। 26 जनवरी का दिन संविधान के उत्‍सव का दिन है, जिसमें तीनों सेनाओं की शिरकत के साथ ही देश का हर आम और ख़ास व्‍यक्ति प्रत्‍यक्ष या परोक्ष रूप से शामिल माना जाता है। ऐसी परंपरा रही है कि प्रति वर्ष गणतंत्र दिवस समारोह में किसी राष्‍ट्राध्‍यक्ष को भारत की ओर से विशेष अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया जाता है। यह किसी भी देश के लिए सम्‍मान और भारत के साथ उसके सकारात्‍मक रिश्‍तों का भी प्रतीक माना जाता है।

अब तक इन मेहमानों में अश्‍वेत आंदोलन के नायक नेल्‍सन मंडेला, गुट निरपेक्ष आंदोलन के सूत्रधार ब्रोज टिटो जैसे महान नेता शामिल रहे हैं।

1972 के गणतंत्र दिवस समारोह में मॉरीशस के प्रधानमंत्री शिवसागर रामगुलाम को आमंत्रित कर हमने एक ऐसे नेता की मेहमान नवाजी की जिसने अभावों के बावजूद हमारी राष्‍ट्रभाषा हिंदी के लिए काम किया। वर्ष 2018 में आसियान देशों के प्रमुखों को गणतंत्र दिवस के अतिथि के तौर पर आमंत्रित कर भारत ने यह संदेश दिया कि वह दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों के साथ आर्थिक संबंधों, शांति और मज़बूती का पक्षधर है।

ब्रजील से भारत के संबंध

इस बार के गणतंत्र दिवस समारोह में ब्राजील के राष्‍ट्रपति जेयर एम. बोलसोनारो को दावत दी गई है। भारत और ब्राजील भावनात्‍मक रूप से जुड़ाव महसूस करने वाले देश हैं। दोनों ही उपनिवेश रहे हैं इसलिए लोकतांत्रिक मूल्‍यों में विश्‍वास रखते हैं। दोनों देश कई बहुराष्‍ट्रीय मंचों के सदस्‍य हैं। सांस्‍कृतिक  आदान-प्रदान की बात करें तो ब्राजील को नारियल और आम का स्‍वाद भारत ने ही चखाया। जबकि भारत के लिए काजू की आमद ब्राजील से हुई। 1868 में पहली बार पानी के जहाज़ में सवार होकर भारत से नेल्‍लोर मवेशी का जोड़ा ब्राजील गया। लंबी टांगों और छोटे कान वाली यह ख़ूबसूरत प्रजाति आज ब्राजील के बीफ़ उद्योग में 80 फ़ीसदी हिस्‍सेदारी रखती है। ब्राजील पुर्तगाल का उपनिवेश था और 1822 में स्‍वतंत्र हुआ। 1961 में गोवा के पुर्तगाल से मुक्‍त होने पर ब्राजील ने भारत के ऑपरेशन विजय का विरोध किया जिसके कारण दशकों तक ब्राजील और भारत के संबंध कुछ ख़ास नहीं रहे। पर अब वे फि‍र से सौहार्दपूर्ण होने लगे हैं। बोलसोनारो से पहले 1996 में ब्राजील के पूर्व राष्‍ट्रपति फर्नांडो हेनरिक कार्डसो और 2004 में लुइज इनकियो लुला दा सिल्‍वा भारत आ चुके हैं। इन दोनों ही नेताओं से अलग बोलसोनारो अपनी कट्टर विचारधारा के कारण जाने जाते हैं।

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कौन हैं बोलसोनारो?

1 जनवरी 2019 को पदभार ग्रहण करने वाले राष्‍ट्रपति जेयर बोलसोनारो सेवानिवृत्त सैन्‍य अधिकारी हैं। अपने पंद्रह वर्ष के सेवाकाल में उन्‍होंने आर्टिलरी और पैराशूट यूनिट में सेवाएँ दीं। अपने देश में वह चर्चा में तब आए जब उन्‍होंने सेवारत होते हुए भी मिलिट्री में सैन्‍य कर्मियों को कम वेतन भत्ते दिए जाने का मुद्दा उठाया। ‘वेजा’ मैगज़ीन में हुए इस खुलासे के बाद वरिष्‍ठ सैन्‍य अधिकारियों के बीच उनकी काफ़ी आलोचना हुई। पर इसके साथ ही वह अपने सहकर्मियों और उनके परिवारों के बीच लोकप्रिय हो गए। यह बात और है कि अगले ही वर्ष 1987 में इसी पत्रिका ने उन पर सैन्‍य शिविर में बम लगाने का आराेप लगाया। उनके वरिष्‍ठ अधिकारी उन्‍हें एक गुस्‍सैल और अतिमहत्‍वाकांक्षी व्‍यक्ति की संज्ञा देते हैं। वेजा मैगज़ीन के इन आरोपों की लंबी जाँच चली और अंतत: सुप्रीम मिलिट्री कोर्ट से वह बरी हो गए। 

1988 में जब वह रियाे डि जिनेरिओ के सिटी काउंसलर बने तब भी उन्‍होंने सैन्‍य सुधारों के कई फ़ैसले लिए। जिससे उनकी लोकप्रियता में और इज़ाफा हुआ। इसी लोकप्रियता के बल पर वह 55.1% वोटों के साथ राष्‍ट्रपति बनने में सफल रहे। पर उनकी अनर्गल बयानबाज़ी और कट्टर सोच ने उन्‍हें महिला मतदाताओं से दूर रही रखा। बताया जाता है कि उन्‍हें केवल 18 फ़ीसदी महिलाओं के ही वोट मिले। ख़ुद को पारीवारिक मूल्‍यों में विश्‍वास रखने वाला बताने वाले बोलसोनारो पाँच बच्‍चों के पिता हैं। इनमें चार बेटे हैं। जबकि पाँचवीं संतान के रूप में उनकी जो बेटी है, उसके बारे में उनका मानना है कि यह किन्‍हीं कमज़ोर क्षणों की पैदाइश है। 

हम जब ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ के नारे के साथ अपने देश का लैंगिक अनुपात सुधारने की कोशिश कर रहे हैं, तब इस तरह की मानसिकता वाले व्‍यक्ति को हम कैसे पसंद कर सकते हैं?

विवादित बयान

बोलसोनारो ने बहस के दौरान अपनी साथी सांसद मारिया डू रोसारियो को भद्दी तक कह दिया था। बलात्‍कार संबंधी क़ानून पर चल रही बहस के दौरान उन्‍होंने पूर्व मानवाधिकार मंत्री और सांसद मारियो के लिए अपशब्‍दों का इस्‍तेमाल करते हुए कहा कि मैं अगर बलात्‍कार कर सकता तो भी आपका बलात्‍कार नहीं करता, क्‍योंकि आप इस योग्‍य नहीं। बोलसोनारो के इस बयान की दुनिया भर में तीखी आलोचना हुई और ब्राजील में उन पर 10000 ब्राजीलियन रियाल का जुर्माना किया गया था, जो लगभग 2500 अमेरिकी डॉलर के बराबर है। तब जब हम बलात्‍कार के विरुद्ध सख्‍त सज़ा देने की माँग कर रहे हैं और पूरा देश निर्भया के दोषियों की फाँसी का इंतज़ार कर रहा है, तब क्‍या हमें ऐसे व्‍यक्ति का स्‍वागत करना  शोभा देता है जो बलात्‍कार के लिए योग्‍यता तलाशता है? वह अर्थव्‍यवस्‍था के लिए भी स्त्रियों को कमजा़ोर कड़ी मानते हैं। अपने एक बयान में उन्‍होंने कहा कि महिलाएँ गर्भवती हो जाती हैं और इससे काम बाधित होता है। वे पाँच महीने काम करती हैं और उन्‍हें पूरे साल का वेतन देना पड़ता है जिससे उद्योगों की रफ्तार बाधित होती है।

जेयर बोलसोनारो ऐसे मूढ़मति व्‍यक्ति हैं जिन्‍हें लगता है कि कम खाकर और शौच को नियंत्रित करके ग्‍लोबल वॉर्मिंग को कंट्रोल किया जा सकता है। भारत और ब्राजील दोनों ही जी-7 समूह के सदस्‍य देश हैं। पर जब जी-7 सम्‍मेलन में ब्राजील को अमेज़न के जंगलों में लगी आग को बुझाने के लिए 22 मिलियन डॉलर की सहायता राशि देने की पेशकश की गई तो उन्‍होंने इसे यह कहकर ठुकरा दिया कि इस राशि का इस्‍तेमाल वे यूरोप में जंगलों को बढ़ाने में करें तो बेहतर होगा। दुनिया भर में बोलसोनारो को उदारवाद, स्‍त्री अधिकार, अल्‍पसंख्‍यकों, आधुनिकता और समरसता का विरोधी माना जा रहा है, तब उन्‍हें संविधान के भव्‍य उत्‍सव का ख़ास मेहमान बनाकर भारत ने दुनिया को क्‍या संदेश दिया है?
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योगिता यादव

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