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कोरोना की कूटनीति या भारत की मदद?

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान, आसिफ़ ज़रदारी और मियां नवाज़ शरीफ़ की बेटी मरियम के संदेश पढ़कर ऐसा लगा कि चाहे भारत और पाक एक-दूसरे से युद्ध लड़ते रहते हैं, लेकिन ये दोनों देश मूलतः हैं तो एक ही बड़े परिवार के सदस्य।
डॉ. वेद प्रताप वैदिक

भारत में फैले कोरोना की प्रतिध्वनि सारी दुनिया में सुनाई पड़ रही है। अमेरिका से लेकर सिंगापुर तक के देश चिंतित दिखाई पड़ रहे हैं। जो अमेरिका कल-परसों तक भारत को वैक्सीन या उसका कच्चा माल देने को बिल्कुल भी तैयार नहीं था, आज उसका रवैया थोड़ा नरम पड़ा है। 

अमेरिका के कई सीनेटरों और चेम्बर ऑफ कॉमर्स ने जो बाइडन प्रशासन से खुले-आम अनुरोध किया है कि वह भारत को तुरंत सहायता पहुँचाए।

इस समय अमेरिका के पास 30 करोड़ टीके तैयार पड़े हुए हैं, लेकिन वह ट्रंप के घिसे-पिटे नारे ‘अमेरिका पहले’ से चिपका पड़ा है। वह भूल गया कि जब कोरोना की मार शुरू हुई थी तो भारत ने ट्रंप के अनुरोध पर कुछ तात्कालिक दवाइयाँ तुरंत भिजवाई थीं।

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जो बाइडन प्रशासन में कमला हैरिस के उपराष्ट्रपति रहते हुए और कई भारतीय मूल के लोगों के अमेरिकी संसद में होते हुए अमेरिका उदासीन रहे यह संभव नहीं है। जर्मनी और फ्रांस ने भी मदद की पहल की है।

ऑक्सीजन का आयात

सिंगापुर और संयुक्त अरब अमीरात से हवाई जहाजों के जरिए ऑक्सीजन का आयात हो रहा है। भारत में ऑक्सीजन की कमी से हो रही मौतों और उनके दृश्यों ने सारी दुनिया का दिल दहला रखा है। जो लोग भारत के प्रति दुश्मनी या ईर्ष्या का भाव रखते हैं, उनके दिल भी पिघल रहे हैं।

मुझे पाकिस्तान और चीन से कई नेताओं, विद्वानों और पत्रकारों के फोन आ रहे हैं। जो लोग बहस के दौरान मुझसे भिड़ पड़ते थे, वे भी चिंता और सहानुभूति व्यक्त कर रहे हैं। वे भारत का हाल जानने के लिए उत्सुक हैं। 

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान, आसिफ़ ज़रदारी और मियां नवाज़ शरीफ़ की बेटी मरियम के संदेश पढ़कर ऐसा लगा कि चाहे भारत और पाक एक-दूसरे से युद्ध लड़ते रहते हैं, लेकिन ये दोनों देश मूलतः हैं तो एक ही बड़े परिवार के सदस्य।

मदद को तैयार पाकिस्तान

कराची के अब्दुल सत्तार एधी फाउंडेशन ने नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर 50 एंबुलेंस कारें और सेवाकर्मी भेजने का प्रस्ताव किया है।

पाकिस्तान के कुछ नामी-गिरामी मित्रों ने यह सुझाव भी दिया कि चीनी टीका सस्ता और पूर्ण कारगर है। आप उसे क्यों नहीं ले लेते? वे लोग वही टीका ले रहे हैं। चीनी सरकार ने दुबारा दवा भिजवाने का प्रस्ताव किया है।

चीन और पाकिस्तान के इन बयानों को हमारे कुछ लोग इन देशों की कूटनीतिक चतुराई कहकर दरकिनार कर सकते हैं और यह भी मान सकते हैं कि मोदी सरकार की छवि बिगाड़ने के लिए ही यह सब नाटक किया जा रहा है। 

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लेकिन हम यह न भूलें कि इसी सरकार ने दर्जनों पड़ोसी और सुदूर देशों को पिछले साल लाखों टीके भिजवाए थे। अब जबकि भारत में कोरोना-संकट गहराता जा रहा है, दुनिया के राष्ट्र भी दुबकनेवाले नहीं हैं।

वे आगे आएंगे। भारत की मदद करेंगे लेकिन फिलहाल जरुरी यह है कि भारत की सभी सरकारें और जनता हिम्मत न हारें, सभी सावधानियां बरतें, परस्पर टांग-खिंचाई की बजाय सहयोग करें और शीघ्र ही इस महामारी से मुक्ति पाएं।

(डॉ. वेद प्रताप वैदिक के ब्लॉग www.drvaidik.in से साभार।)
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डॉ. वेद प्रताप वैदिक

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