loader

कोरोना: केंद्र-राज्य सरकारों के सामने चुनौतियों का अंबार

मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला साल कोरोना संकट के बीच पूरा हुआ। लॉकडाउन के कारण केंद्र व राज्य सरकारों के सामने चुनौतियों का अंबार लगा हुआ है। इस बीच, लॉकडाउन तीसरे महीने में प्रवेश कर गया है, कल-कारखाने, दुकानें, दफ्तर ठप हैं, प्रवासी मजदूरों की करुणा-कथा बदतर होती जा रही है और हताहतों की संख्या बढ़ती चली जा रही है। 
डॉ. वेद प्रताप वैदिक

मोदी सरकार की दूसरी पारी का पहला साल पूरा हुआ लेकिन यह वैसे नहीं मनाया गया, जैसे कि हर साल इसकी वर्षगांठ मनाई जाती है। यदि कोरोना नहीं होता तो यह उत्सव प्रेमी और नौटंकी प्रिय सरकार देश के लोगों को पता नहीं, क्या-क्या करतब दिखाती। 

इस एक साल में उसने कई ऐसे चमत्कारी कार्य कर दिखाए, जो वह पिछली पारी के पांच साल में भी नहीं कर सकी थी। जैसे, धारा 370 को ख़त्म करके अधर में लटके हुए कश्मीर को लाकर उसने जमीन पर खड़ा कर दिया। वैसे तो धारा 370 के कई बुनियादी प्रावधानों को इंदिरा सरकार ने काफी कुतर डाला था लेकिन फिर भी औपचारिक तौर से उसे हटाने की हिम्मत पिछली किसी भी कांग्रेसी या गैर-कांग्रेसी सरकार ने नहीं की थी।

ताज़ा ख़बरें

इसी प्रकार, तीन तलाक की कुप्रथा को समाप्त करने का साहस दिखाकर मोदी सरकार ने मुसलिम महिलाओं को अपूर्व राहत प्रदान की, हालांकि इस कदम को कई विरोधी नेताओं ने मुसलिम-विरोधी बताकर इसे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का हिंदू राष्ट्रवादी पैंतरा कहने की भी कोशिश की। 

जहां तक पड़ोसी मुसलिम देशों के गैर-मुसलिम शरणार्थियों के स्वागत के कानून का सवाल है, उसका विरोध न सिर्फ भारत के मुसलमानों ने डटकर किया बल्कि सभी विरोधी पार्टियों ने उसकी भर्त्सना की। मेरी अपनी राय यह थी कि पड़ोसी देशों के शरणार्थियों को शरण देने में कोई बुराई नहीं है, लेकिन उसका आधार मजहब नहीं बल्कि उनका अपना गुण-दोष होना चाहिए। थोक में किसी को भी नागरिकता देना भारत की सुरक्षा को खतरे में डालना है। 

विचार से और ख़बरें
इस मुद्दे पर गहरा असंतोष भड़क रहा था और नागरिकता रजिस्टर का मामला भी तूल पकड़ रहा था लेकिन कोरोना की लहर में ये सारे मुद्दे और सरकार की प्रारंभिक उपलब्धियां भी अपने आप दरी के नीचे सरक गईं। जिस तथ्य ने सरकार को सांसत में डाल रखा था यानि बढ़ती हुई बेरोजगारी और घाटे की अर्थव्यवस्था, वह कोरोना-संकट की वजह से अब आसमान छूने लगी है। 
प्रधानमंत्री ने 24 मार्च को लॉकडाउन घोषित करने में वही ग़लती की, जो उन्होंने पिछली पारी में नोटबंदी और जीएसटी के वक्त की थी। आगे-पीछे सोचे बिना धड़ल्ले से कुछ भी कर डालने के नतीजे सामने हैं।

लॉकडाउन तीसरे महीने में प्रवेश कर गया है, कल-कारखाने, दुकानें, दफ्तर ठप हैं, प्रवासी मजदूरों की करुणा-कथा बदतर होती जा रही हैं, हताहतों की संख्या बढ़ती चली जा रही है। इसमें शक नहीं कि केंद्र और राज्य-सरकारें कोरोना से लड़ने की जी-तोड़ कोशिशें कर रही हैं लेकिन डर यही है कि यह संकट कहीं सारी उपलब्धियों पर भारी न पड़ जाए। 

(डॉ. वेद प्रताप वैदिक के ब्लॉग www.drvaidik.in से साभार)

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
डॉ. वेद प्रताप वैदिक

अपनी राय बतायें

विचार से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें