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रूस-पाकिस्तान बढ़ाएंगे भारत की मुश्किल?

भारत सरकार और बीजेपी में ऐसा कोई नहीं है, जो अफ़ग़ान-स्थिति को ठीक से जानता-समझता हो। वैसे भी हमारी 'सर्वज्ञ' सरकार अपने बयानों की नौटंकी से ही खुश होती रहती है। दक्षिण एशिया के सबसे बड़े देश होने के नाते हमारी जिम्मेदारी सबसे ज़्यादा है, लेकिन अफ़ग़ान-मामले में हम हाशिए में पड़े हुए हैं।
डॉ. वेद प्रताप वैदिक

भारत के विदेश सचिव हर्ष श्रृंगला अभी-अभी मास्को होकर आए हैं। कोविड के इस भयंकर माहौल में हमारे रक्षा मंत्री, विदेश मंत्री और विदेश सचिव को बार-बार रूस जाने की जरूरत क्यों पड़ रही है?

ऐसा नहीं है कि किसी ख़ास मसले को लेकर भारत और रूस के बीच कोई तनाव पैदा हो गया है या भारत-रूस व्यापार में कोई गंभीर उतार आ गया है। लेकिन ऐसे कई मुद्दे हैं, जिनकी वजह से दोनों मित्र-राष्ट्रों के बीच सतत संवाद जरूरी हो गया है।

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क्या हैं मुद्दे?

  • सबसे पहला मुद्दा तो यह है कि रूस से भारत जो एस-400 मिसाइल 5 अरब डॉलर में खरीद रहा है, उसे लेकर अमेरिका कोई प्रतिबंध तो नहीं लगा देगा। ट्रंप-प्रशासन के दौरान यह ख़तरा ज़रूर था, लेकिन अब इसकी संभावना कम ही है। ये रूसी मिसाइल इस वक्त दुनिया के सबसे तेज़ मिसाइल हैं।
  • दूसरा, कोरोना महामारी से निपटने में दोनों राष्ट्र परस्पर खूब सहयोग कर रहे हैं। यों भी रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पूतिन और मोदी अब तक 19 बार मिल चुके हैं। कोराना-काल में पिछले साल उनकी चार बार बात भी हुई है।
  • तीसरा, मुद्दा है- भारत-प्रशांत का। रूस को यह चिंता है कि प्रशांत महासागर क्षेत्र में भारत कहीं अमेरिका का मोहरा बनकर चीन और रूस के विरूद्ध मोर्चाबंदी तो नहीं कर रहा है? इसके जवाब में श्रृंगला ने कहा है कि भारत किसी भी देश के विरुद्ध नहीं है। वह चेन्नई से व्लादिवोस्तक तक समुद्री गलियारा बनाने की भी तैयारी कर रहा है।
  • चौथा, अफ़ग़ानिस्तान के सवाल पर श्रृंगला ने कहा कि भारत को इस बात से कोई एतराज़ नहीं है कि रूस और पाकिस्तान के बीच सीधा संवाद चल रहा है। यदि यह संवाद अफ़ग़ानिस्तान में शांति लाता है तो भारत इसका स्वागत करेगा, लेकिन उस देश पर वह किसी राष्ट्र के क़ब्ज़े को बर्दाश्त नहीं करेगा।
भारत की चिंता यह है कि अफ़ग़ानिस्तान के बहाने रूस-पाकिस्तान फ़ौजी-सहकार जोरों से बढ़ रहा है। अभी-अभी अफ़ग़ानिस्तान पर रूस के विशेष दूत ज़मीर काबुलोव ने इसलामाबाद- यात्रा की है।

भारत की भूमिका?

दुर्भाग्यपूर्ण सच्चाई तो यह है कि अफ़ग़ान-समस्या को हल करने में भारत की भूमिका नगण्य है।

भारत सरकार और बीजेपी में ऐसा कोई नहीं है, जो अफ़ग़ान-स्थिति को ठीक से जानता-समझता हो। वैसे भी हमारी 'सर्वज्ञ' सरकार अपने बयानों की नौटंकी से ही खुश होती रहती है। दक्षिण एशिया के सबसे बड़े देश होने के नाते हमारी जिम्मेदारी सबसे ज़्यादा है, लेकिन अफ़ग़ान-मामले में हम हाशिए में पड़े हुए हैं।

(डॉ. वेद प्रताप वैदिक के ब्लॉग www.drvaidik.in से साभार)
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डॉ. वेद प्रताप वैदिक

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