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अफ़ग़ानों की पीड़ा- तालिबान ने नरसंहार किया, लड़कियों को बेचा; मदद करें

फ़िल्म निर्देशक और अफ़ग़ान फ़िल्म की महानिदेशक सहारा करीमी ने यह ख़त काबुल पर तालिबान के कब्जे से दो दिन पहले 13 अगस्त को सोशल मीडिया पर जारी किया था। 

मेरा नाम सहारा करीमी है और मैं एक फ़िल्म निर्देशक हूँ। साथ ही अफ़ग़ान फ़िल्म की वर्तमान महानिदेशक हूँ, जो 1968 में स्थापित एकमात्र सरकारी स्वामित्व वाली फ़िल्म कंपनी है।

मैं इसे टूटे दिल के साथ लिख रही हूँ और इस गहरी उम्मीद के साथ कि आप मेरे खूबसूरत लोगों को, खासकर फ़िल्ममेकर्स को तालिबान से बचाने में शामिल होंगे। तालिबान ने पिछले कुछ हफ्तों में कई प्रांतों पर कब्जा कर लिया है। उन्होंने हमारे लोगों का नरसंहार किया, कई बच्चों का अपहरण किया। कई लड़कियों को चाइल्ड ब्राइड के रूप में अपने आदमियों को बेच दिया। उन्होंने एक महिला की हत्या उसकी पोशाक के लिए की। उन्होंने हमारे पसंदीदा हास्य कलाकारों में से एक को प्रताड़ित किया और मार डाला, उन्होंने एक ऐतिहासिक कवि को मार डाला। उन्होंने सरकार के कल्चर और मीडिया हेड को मार डाला। उन्होंने सरकार से जुड़े लोगों को मार डाला। उन्होंने कुछ आदमियों को सार्वजनिक रूप से फांसी पर लटका दिया। उन्होंने लाखों परिवारों को विस्थापित कर दिया। इन प्रांतों से भागने के बाद, परिवार काबुल में शिविरों में हैं, जहाँ वे बदहाली की स्थिति में हैं। वहां इन शिविरों में लूटपाट हो रही है। दूध के अभाव में बच्चों की मौत हो रही है। यह एक मानवीय संकट है। फिर भी दुनिया खामोश है।

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हमें इस चुप्पी की आदत है, लेकिन हम जानते हैं कि यह उचित नहीं है। हम जानते हैं कि हमारे लोगों को छोड़ने का यह फ़ैसला ग़लत है। 20 साल में हमने जो हासिल किया है वह अब सब बर्बाद हो रहा है। हमें आपकी आवाज़ की ज़रूरत है। मैंने अपने देश में एक फ़िल्म निर्माता के रूप में जिस चीज के लिए इतनी मेहनत की है, उसके टूटने की संभावना है। यदि तालिबान सत्ता संभालता है, तो वे सभी कलाओं पर प्रतिबंध लगा देंगे। मैं और अन्य फ़िल्म निर्माता उनकी हिट लिस्ट में अगले हो सकते हैं। वे महिलाओं के अधिकारों का हनन करेंगे और हमारी अभिव्यक्ति को मौन में दबा दिया जाएगा।

जब तालिबान सत्ता में था, तब स्कूल जाने वाली लड़कियों की संख्या शून्य थी। तब से, स्कूल में 9 मिलियन से अधिक अफ़ग़ान लड़कियाँ हैं। तालिबान द्वारा जीते गए तीसरे सबसे बड़े शहर हेरात में इसके विश्वविद्यालय में 50% महिलाएँ थीं। ये अविश्वसनीय उपलब्धियाँ हैं, जिन्हें दुनिया नहीं जानती। इन कुछ हफ्तों में तालिबान ने कई स्कूलों को तबाह कर दिया है और 20 लाख लड़कियों को फिर से स्कूल से निकाल दिया है। 

sahraa karimi letter to world community for help amid taliban aggression  - Satya Hindi
मैं इस दुनिया को नहीं समझती। मैं इस चुप्पी को नहीं समझती। मैं खड़ी हो जाऊँगी और अपने देश के लिए लड़ूंगी, लेकिन मैं इसे अकेले नहीं कर सकती। मुझे आप जैसे सहयोगी चाहिए। हमारे साथ क्या हो रहा है, इस पर ध्यान देने में इस दुनिया की मदद करें। अपने देशों के प्रमुख मीडिया को अफ़ग़ानिस्तान में क्या हो रहा है, यह बताकर हमारी मदद करें। अफ़ग़ानिस्तान के बाहर हमारी आवाज़ बनें। यदि तालिबान काबुल पर कब्जा कर लेता है, तो हमारे पास इंटरनेट या संचार के किसी अन्य माध्यम तक पहुँच नहीं हो सकती है।
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कृपया अपने फ़िल्म निर्माताओं और कलाकारों को हमारी आवाज़ के रूप में समर्थन दें, इस तथ्य को अपने मीडिया के साथ साझा करें और अपने सोशल मीडिया पर हमारे बारे में लिखें। दुनिया हमारी ओर नहीं देखती है। हमें अफ़ग़ान महिलाओं, बच्चों, कलाकारों और फ़िल्म निर्माताओं की ओर से आपके समर्थन और आवाज़ की ज़रूरत है। यह सबसे बड़ी मदद है जिसकी हमें अभी ज़रूरत है। कृपया हमारी मदद करें। इस दुनिया को अफ़ग़ानों को छोड़ने न दें। कृपया काबुल में तालिबान के सत्ता में आने से पहले हमारी मदद करें। हमारे पास केवल कुछ दिन हैं। बहुत-बहुत धन्यवाद।’
साभार: जनादेश
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सहारा करीमी

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