loader

ज़्यादा बड़ा ख़तरा किससे- ट्रम्प या टेक कम्पनियों से?

टेक कम्पनियों को लेकर तेजस्वी सूर्या जैसे नेताओं की चिंताओं का दायरा सीमित है जबकि वास्तविक ख़तरों का अंधकार कहीं ज़्यादा व्यापक और डरावना है। वह इसलिए कि अमेरिका के अपने सफल प्रयोग के बाद ये कम्पनियाँ अन्य लोकतान्त्रिक राष्ट्रों की संप्रभुताओं का अतिक्रमण करते हुए उनकी नियतियों को भी नियंत्रित करने से बाज नहीं आएँगी। 
श्रवण गर्ग

बीजेपी के तेज़ी से उभरते सांसद तेजस्वी सूर्या ने जब कैपिटल हिल कांड के बाद डोनल्ड ट्रम्प का ट्विटर अकाउंट बंद किए जाने पर रोष जताया और कहा कि टेक कम्पनी का फ़ैसला लोकतंत्रों के लिए सजग होने का संकेत है तो उनकी प्रतिक्रिया को इस डर के साथ जोड़कर देखा गया कि भारत के सम्बन्ध में भी ऐसा हो गया तो उसकी सबसे ज़्यादा मार सत्तारूढ़ दल के कट्टरपंथी समर्थकों पर ही पड़ेगी। ट्विटर द्वारा ट्रम्प के अकाउंट को बंद करने का आधार यही बनाया गया है कि पदासीन राष्ट्रपति के उत्तेजक विचारों से हिंसा और ज़्यादा भड़क सकती है।

तेजस्वी सूर्या के साथ ही बीजेपी के आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने भी ट्विटर कम्पनी के क़दम को ख़तरनाक बताया था। 

तेजस्वी अपने कट्टर हिंदुत्व और अल्पसंख्यक-विरोधी विचारों के लिए जाने जाते हैं। पिछले दिनों ग्रेटर हैदराबाद म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन के प्रतिष्ठापूर्ण चुनावों के प्रचार में वे मुसलिम नेता ओवैसी के ख़िलाफ़ भी काफ़ी उत्तेजना भरे बयान दे चुके हैं। मालवीय का ज़िक्र ट्विटर पर विवादास्पद टिप्पणियों के सिलसिले में आए दिन होता रहता है। ट्रम्प को लेकर बीजेपी की संवेदनशीलता किसी से छिपी नहीं है। कैपिटल हिल की हिंसा की तो प्रधानमंत्री ने आलोचना की थी पर उसकी ज़िम्मेदारी को लेकर किसी पर कोई दोषारोपण नहीं किया था।

तेजस्वी सूर्या की प्रतिक्रिया के राजनीतिक-राष्ट्रीय निहितार्थ चाहे जो रहे हों, अंतरराष्ट्रीय खरबपति कम्पनियों—ट्विटर, फ़ेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब आदि —की एक निर्वाचित राष्ट्रपति के ख़िलाफ़ प्रतिबंधों की कार्रवाई से उत्पन्न होनेवाले उन अन्य ख़तरों की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सार्वजनिक रूप से चिंता प्रारम्भ हो गई है जिनका उल्लेख बीजेपी नेता ने नहीं किया। मसलन, भय जताया जा रहा है कि ट्विटर जैसी कम्पनियों द्वारा ट्रम्प के ख़िलाफ़ की गई कार्रवाई का दुरुपयोग वे सब हुकूमतें करने लगेंगी जो प्रजातंत्र की रक्षा के नाम पर एकतंत्रीय शासन व्यवस्था क़ायम करने के बहाने तलाश रही हैं।

ये व्यवस्थाएँ ट्विटर-फ़ेसबुक आदि के हिंसा भड़काने वाले सोशल मीडिया पोस्ट्स सम्बन्धी तर्कों को आधार बनाकर अब अपने देशों के मीडिया और नागरिकों की अभिव्यक्ति की आज़ादी को सीमित अथवा स्थगित कर सकती हैं।

कहा जा सकता है कि अगर ट्विटर और फ़ेसबुक हिंसा को भड़कने से रोकने के लिए एक राष्ट्रपति के विचारों को भी अपने प्लेटफ़ॉर्म्स पर प्रतिबंधित कर सकते हैं तो फिर सरकारें स्वयं भी ऐसा क्यों नहीं कर सकतीं! वैसी स्थिति में एक लोकतांत्रिक तानाशाह को हिंसा फैलाने से रोकने के इस ग़ैर-लोकतांत्रिक तरीक़े और हक़ीक़त में भी अधिनायकवादी तंत्रों में प्रतिबंधित आज़ादी के बीच कितना फ़र्क़ बचेगा? पर अंत यहीं नहीं होता! टेक कम्पनियों की ट्रम्प के विरुद्ध ‘निर्विरोध’ कार्रवाई से उपज सकने वाले कुछ और भी ख़तरे हैं जो कहीं ज़्यादा गम्भीर हैं।

tejasvi surya opposes twitter ban on trump - Satya Hindi
कैपिटल बिल्डिंग हिंसा।फ़ोटो साभार: ट्विटर/वरुण गांधी/वीडियो ग्रैब

कोई पूछना नहीं चाहेगा कि एक राष्ट्राध्यक्ष जब सत्ता से हटाए जाने की निराशा के क्षणों में समर्थकों को कैपिटल हिल (अमेरिकी संसद) पर शक्ति-प्रदर्शन के लिए कूच करने के लिए भड़का रहा था तो क्या उसे ऐसा करने से रोकने के उपाय अमेरिका जैसी बड़ी लोकतांत्रिक व्यवस्था में भी वे ही बचे थे जो एकदलीय शासन प्रणालियों में उपस्थित हैं? मतलब कि ट्रम्प के कथित हिंसक इरादों पर क़ाबू पाने में एकाधिकारवादी सोशल मीडिया कम्पनियों की क्षमता ज़्यादा प्रभावी साबित हुई! अमेरिका के बाक़ी लोकतांत्रिक संस्थानों, नागरिक प्रतिष्ठानों, आदि के साथ ही विजयी होकर सत्ता में क़ाबिज़ होने तैयार बैठी डेमोक्रेटिक पार्टी के करोड़ों मतदाताओं की ताक़त भी ट्विटर, फ़ेसबुक के सामने आश्चर्यजनक ढंग से बौनी पड़ गई!

अमेरिका में जब एक दिन सब कुछ शांत हो जाएगा तब यह सवाल नहीं पूछा जाएगा कि ट्रम्प प्रशासन के अंतिम दिनों में हिंसा की आग को फैलने से रोकने का पूरा श्रेय क्या ट्विटर के जैक डोर्सी और फ़ेसबुक के मार्क ज़ुकरबर्ग को दे दिया जाए?

अगले चुनावों में अगर ट्रम्प अथवा उनका कोई मुखौटा रिपब्लिकन पार्टी की सत्ता में वापसी करा देता है तो सोशल मीडिया प्लेटफ़ार्म्स के विस्तारित एकाधिकारवाद को लेकर किसी तरह की प्रतिशोधात्मक कार्रवाई की जाएगी या नहीं? और यह भी कि ट्रम्प अगर देश में घृणा और हिंसा के बल पर चुनाव जीत जाने में सफल हो जाते तब क्या ये कंपनियाँ उनके ख़िलाफ़ ऐसी कोई कार्रवाई करने की हिम्मत दिखातीं?

वीडियो चर्चा में देखिए, अमेरिका में हमला भारत के लिए चेतावनी!

टेक कम्पनियों को लेकर तेजस्वी सूर्या जैसे नेताओं की चिंताओं का दायरा सीमित है जबकि वास्तविक ख़तरों का अंधकार कहीं ज़्यादा व्यापक और डरावना है। वह इसलिए कि अमेरिका के अपने सफल प्रयोग के बाद ये कम्पनियाँ अन्य लोकतान्त्रिक राष्ट्रों की संप्रभुताओं का अतिक्रमण करते हुए उनकी नियतियों को भी नियंत्रित करने से बाज नहीं आएँगी। तब फिर नागरिकों की व्यक्तिगत जानकारी के साथ-साथ राष्ट्रों की संप्रभुता और सार्वभौमिकता के सौदे भी किए जाने लगेंगे, वैश्विक सेन्सरशिप के हथियार का इस्तेमाल कर उन्हें ब्लैकमेल किया जा सकेगा।

tejasvi surya opposes twitter ban on trump - Satya Hindi
प्रधानमंत्री के साथ तेजस्वी सूर्या।
सवाल यह भी है कि जिन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल नागरिक अभी अपनी आज़ादी की लड़ाई के लिए कर रहे हैं उनकी ही विश्वसनीयता अगर चुनौती बन जाएगी तो तय करना मुश्किल हो जाएगा कि ज़्यादा बड़ा ख़तरा किससे था —राजनीतिक ट्रम्प या इन व्यावसायिक कम्पनियों से! अंत में यह कि अपने समर्थकों को शक्ति-प्रदर्शन के लिए कैपिटल हिल पर कूच करने के आह्वान को ट्रम्प ने पूरी तरह से उचित ठहरा दिया है और बाइडन-हैरिस के शपथ-ग्रहण के अवसर पर कैपिटल हिल के दिन से भी बड़ी हिंसा की आशंकाएँ अमेरिका में व्यक्त की जा रही हैं। ट्विटर अब क्या करेगा?
सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
श्रवण गर्ग

अपनी राय बतायें

विचार से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें