दुविधा में मोदी सरकार, अफ़ग़ानिस्तान पर 26 अगस्त को बुलाई सर्वदलीय बैठकI विरोधी गुट के हमले में तालिबान के 300 लड़ाकों के मारे जाने की ख़बरI इंदौर में मुस्लिम चूड़ीवाले को भीड़ ने पीटा, घेराव के बाद हुई एफ़आईआरI दिनभर की बड़ी ख़बरों का विश्लेषण-
यशवंत सिन्हा वाजपेयी सरकार में विदेश मंत्री थे । अफ़ग़ानिस्तान गये थे । तालिबान के मसले पर आशुतोष ने उनसे बात की । उनका कहना है कि भारत सरकार को तालिबान से बात जारी रखनी चाहिये । देश में तालिबान की आड़ में राजनीति देशहित के ख़िलाफ़ है और मोदी जी को इसे रोकना चाहिये ।
Satya Hindi news Bulletin सत्य हिंदी समाचार बुलेटिन। तालिबान को हराकर बग़लान के तीन जिलों पर फिर से कब्ज़ा । तालिबान का समर्थन करने वाले 14 लोगों को असम पुलिस ने धरा
काबुल पर तालिबान का कब्जा, लेकिन पुूरे अफगानिस्तान पर नहीं। पंजशीर में अहमद मसूद के लड़ाकों ने लोहा लिया तो काबुल में आम अफगान सड़क पर निकल आए। क्या अफगानिस्तान गृहयुद्ध की कगार पर है?
ये मानना कितना सही है कि तालिबान ने अफग़ानिस्तान को आज़ाद करवाया? क्या वे अफग़ानों को दूसरी ग़ुलामी में नहीं ढकेल रहे हैं? मुकेश कुमार के साथ चर्चा में शामिल हैं-तीस्ता सीतलवाड़, शीबा असलम फ़हमी, क़ुरबान अली, अनिल त्रिगुणायत
चुपचाप तालिबान से सौदा कर निकल लिया अमेरिका। चीन ने मौकापरस्ती की मिसाल दी। पाकिस्तान को तालिबान से फायदा होगा? भारत के लिए खतरा बढ़ गया है? क्या भारत ने तालिबान को मान्यता देने में देर कर दी है? पाकिस्तान, चीन और अमेरिका में काम कर चुके पूर्व राजनयिक और राजदूत विष्णु प्रकाश से आलोक जोशी की बातचीत।
Satya Hindi news Bulletin सत्य हिंदी समाचार बुलेटिन। ट्रंप बोले - अमेरिका का मध्य-पूर्व में जाना सबसे ग़लत फैसला था। ईयू : मानवाधिकारों का पालन हुआ तभी करेंगे तालिबान के साथ सहयोग
अफगानिस्तान की सत्ता पर तालिबान के काबिज होने के साथ ही पाकिस्तान समेत कई मुस्लिम देशों में इस्लामी कट्टरता बढ़ेगी तो प्रतिक्रिया में हिंदू कट्टरता भी बढ़ेगी ऐसा कई विश्लेषक मानते हैं .आज की जनादेश चर्चा इसी पर।
Satya Hindi news Bulletin सत्य हिंदी समाचार बुलेटिन। तालिबान का कंधार पर कब्जे का दावा, अब काबुल की ओर बढ़े।अफगान सरकार ने तालिबान को सत्ता में भागीदार का प्रस्ताव दिया
अफगानिस्तान में खूनखराबा और तेज़ हुआ। आधे से ज्यादा देश में फैला तालिबान। अमेरिका वापसी पर अड़ा। कैसे चलेगी अफगान सरकार? क्या यह बनेगा भारत के लिए सिरदर्द? विवेक काटजू, एस डी मुनि, शिवकांत, और शाहज़ेब जीलानी के साथ आलोक जोशी और हिमांशु बाजपेई।
भारतीय फोटो पत्रकार दानिश सिद्दीकी अफ़ग़ानिस्तान संघर्ष में मारे गए। वह अंतरराष्ट्रीय न्यूज़ एजेंसी रायटर्स के लिए अफ़ग़ानिस्तान में रिपोर्टिंग कर रहे थे।