प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मामले में विदेश मंत्री एस. जयशंकर से क़दम उठाने के लिए कहा था। इधर, भारत अफ़ग़ानिस्तान में फंसे भारतीयों की वतन वापसी के काम में जुटा हुआ है।
पंजशिर घाटी की ओर बढ़ रहे तालिबान लड़ाकों को उसके पहले अंदराबी घाटी में अहमद मसूद और अमीरुल्ला सालेह के नेतृत्व वाले सेकंड रेजिस्टेन्स के लोगों ने रोक दिया है।
काबुल स्थित हामिद करज़ई हवाई अड्डे के बाहर हुई गोलीबारी में एक अफ़ग़ान गार्ड मारा गया है, तीन गार्ड्स बुरी तरह घायल हो गए हैं। जर्मन सेना ने इसक पुष्टि कर दी है।
अमेरिका उसी मुल्ला अब्दुल ग़नी बरादर को अफ़ग़ानिस्तान का राष्ट्रपति बनाएगा जिसके नेतृत्व में तालिबान ने 20 साल तक अमेरिकी व नेटो सैनिकों के ख़िलाफ़ युद्ध लड़ा है।
तालिबान के सैन्य दस्ते के प्रमुख मुल्ला अब्दुल ग़नी बरादर अफ़ग़ानिस्तान पहुँच चुके हैं, उन्होंने अपने विरोधी गुलबुद्दीन हिक़मतयार समेत कई लोगों से बात की है और सरकार बनाने की दिशा में कदम उठाया है।
तालिबान ने अपने पहले शासन में अपने राजनीतिक विरोधियों, आम नागरिकों और धार्मिक अल्पसंख्यकों को ठिकाने लगा दिया था। बीते महीनों में भी तालिबान ने कई नागरिकों की हत्या की है।
तालिबान भले ही एक उदारवादी चेहरा पेश करने की कोशिश कर रहा है, उसके लड़ाकों ने अल्पसंख्यक शिया हज़ारा और अफ़ग़ान सेना के लोगों को निशाना बनाना शुरू कर दिया है।
ताज़िक, उज़बेक, हज़ारा क़बीले के लोग एकजुट होकर नॉदर्न अलायंस जैसा संगठन बनाने की कोशिश में हैं, जो अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान को ज़बरदस्त चुनौती दे सके।
ख़बर ये आ रही है कि अखुंदज़ादा पाकिस्तान की सेना की हिरासत में है। भारत सरकार को विदेशों की ख़ुफ़िया एजेंसियों से यह जानकारी मिली है और इस बारे में और ज़्यादा जानकारी जुटाई जा रही है।
तालिबान के सामने जो सबसे बड़ी चुनौती है, वह है पंजशिर प्रांत। पूरे मुल्क़ में यही एक प्रांत है, जहां पर तालिबान तो छोड़िए, सोवियत संघ से लेकर अमेरिका तब कब्जा नहीं कर पाए और इस बात के लिए पंजशिर की मिसाल दी जाती रही है।