सीमा विवाद के कई कारण हो सकते हैं। लेकिन अभी जो हो रहा है, वह नया और चिंताजनक है। असम के मुख्यमंत्री ने तय कर लिया है कि वे राज्य में किसी न किसी प्रकार तनाव का निर्माण करेंगे और जो तनाव पहले से हैं, उन्हें बढ़ाएंगे।
पेगासस तकनीक के सहारे जासूसी की अंतरराष्ट्रीय ख़बर के बाद इस पर बहस छिड़ गई है कि क्या ऐसी तकनीक की इज़ाज़त किसी रूप में देनी चाहिए जो राज्य के लिए हमारी निजता का पूरी तरह से अतिक्रमण करना इतना आसान बना दे?
अब स्पष्ट है कि देश को हर तरफ और हर मुमकिन तरीके से अराजकता में धकेला जा रहा है। इसका सबसे ताजा उदाहरण है पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव को दिल्ली रिपोर्ट करने का निर्देश।
कोरोना से लड़ने में सरकार क्यों नाकाम है, उसने क्यों पहले से तैयारी नहीं की, ये सवाल हैं। लेकिन उससे बड़ा सवाल यह है कि क्या यह सरकार चुनते वक्त किसी ख़ास समुदाय के प्रति नफ़रत नहीं थी? सवाल उठा रहे हैं लेखक अपूर्वानंद।
कृषि क़ानून और किसान आन्दोलन पर क्यों सरकार ढिठाई से बिना पलक झपकाए उस सदन में झूठ बोल रही है, जहाँ संसद को गुमराह करना जनप्रतिनिधियों के विशेषाधिकार का हनन है?
पिछले 6 वर्षों में न तो राष्ट्र ध्वज और न राष्ट्रगीत के मायने इस देश में सबके लिए एक रह गए हैं। एक पूरी आबादी को अपमानित करने के हथियार के तौर पर इनका इस्तेमाल किया जा रहा है। इसकी वजह बता रहे हैं लेखक अपूर्वानंद।