असम में एक अप्रैल को होने वाले मतदान के लिए तैयारियाँ पूरी कर ली गई हैं। दूसरे दौर की 39 सीटों के लिए 345 उम्मीदवार मैदान में हैं। पहले चरण की सैंतालीस सीटों से उलट इस चरण में मामला एकतरफ़ा नहीं होगा।
बंगाल में जहाँ बीजेपी ने CAA को पहली कैबिनेट मीटिंग में ही लागू करने का वादा किया है तो वहीं, असम में इसको घोषणा पत्र से बाहर रखा है। इसको लेकर राजनीतिक विश्लेषक सवाल उठा रहे हैं. देखिए नीलू व्यास की रिपोर्ट-
अगर बीजेपी असम को फिर से जीतती है, तो इसका मतलब होगा कि नरेंद्र मोदी और अमित शाह द्वारा नागरिकता (संशोधन) अधिनियम लागू करने से उन्हें ऐसे एक राज्य में नुक़सान नहीं होगा, जहाँ इस क़ानून के ख़िलाफ़ प्रबल आंदोलन शुरू हुआ था।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने असम विधानसभा चुनाव अभियान की शुरुआत करते हुए असम के लोगों को चेतावनी दी कि आंदोलन करने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा, सिर्फ़ शहीदों की संख्या बढ़ेगी।
भारतीय जनता पार्टी जिस तरह धनबल और कई तरह के दबावों का प्रयोग कर कांग्रेस और दूसरे विरोधी दलों के निर्वाचित प्रतिनिधियों को अपनी ओर मिला कर सरकार गिराने-बनाने का खेल पूरे देश में खेलती है, असम में वह स्वयं उसका शिकार हो सकती है।
कांग्रेस ने असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल से कहा है कि वह बीजेपी छोड़ कर बाहर निकल आएँ, वैकल्पिक सरकार बनाएँ और कांग्रेस उस सरकार का बाहर से समर्थन करेगी।