लोकसभा चुनाव तो बीजेपी प्रधानमंत्री मोदी के चेहरे पर लड़ती ही है, विधानसभा चुनावों में भी उनका ही चेहरा आगे क्यों किया जाता है? क्या इसीलिए गुजरात और उत्तराखंड जैसे राज्यों में मुख्यमंत्री के रूप में नये चेहरे उतारे जाते हैं?
क्या बीजेपी के पास सरकार की विफलताओं और पार्टी के 2014 के वायदों की नाकामी से बचने का कोई रास्ता नहीं है। क्या पुलवामा और बालाकोट की घटनाओं से भी पार्टी को नया रास्ता नहीं मिला?