निम्न जातियों को अभी भी जाति असहज करती है और इन जातियों के लोग अपनी जाति का खुलासा करने से हिचकिचाते हैं। वहीं, बीजेपी निम्न जातियों के माथे पर जाति का ठप्पा लगा देने की कवायद में जुटी हुई है।
जाति जनगणना पर महाराष्ट्र सरकार प्रस्ताव पास करने से राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति आदि को दलित व पिछड़ी जाति बताकर वंचित तबक़े का हितैशी होने का दावा करने वाली बीजेपी फँसती नज़र आ रही है।