जून 2013 की भयंकर केदारनाथ आपदा के घाव भरे भी नहीं थे कि 7 फ़रवरी की सुबह हिमालय एक बार फिर ग़ुस्से में आ गया। चमोली में धौली गंगा और ऋषि गंगा इतनी कड़ाके की ठण्ड में ही विकराल हो उठी।
कई परियोजनाओं के तहत धड़ल्ले से साफ़ किए जा रहे जंगल और पहाड़ों को काटने के लिए किए जा रहे विस्फोट ही वहाँ आपदा को न्योता दे रहे हैं। चमोली ज़िले में ग्लेशियर टूटने से आई आपदा को इसी रूप में देखा जा सकता है।
संवेदनशील हिमालय क्षेत्र में रविवार को हुए हादसे ने फिर बहस छेड़ दी है विभिन्न विकास परियोजनाओं को लेकर। यह हादसा क्यों हुआ, कैसे हुआ और कैसे रुकेगा? जनादेश चर्चा इसी पर।
उत्तराखंड के चमोली में ग्लेशियर टूटने से तबाही के बीच युद्ध स्तर पर राहत और बचाव कार्य शुरू किया गया है। आईटीबीपी और सेना के जवानों के बाद अब वायु सेना इस काम में जुट गई है।