किसी को अपने पिता के लौटने का इंतज़ार था तो किसी को अपने बेटे का। किसी को अपने पति का तो किसी को अपने भाई और दोस्त का। जब आख़ीरी बार बातें हुई थीं तो जल्द लौटने का वादा किया था। वे लौटे भी। लेकिन तिरंगे में लिपटे हुए।
जम्मू-कश्मीर के हंदवाड़ा में शहीद होने वाले पाँच जवानों में से एक कर्नल आशुतोष शर्मा कौन थे जो अपनी जान की परवाह किए बिना नागरिकों को बचाने के लिए आतंकवादियों की माँद में घुस गए थे?